‘Jo Biden ही भारत की UNSC में सीट पक्की कर सकते हैं’, भारतीय मूल के अमेरिकियों को लुभाने में जुटे Jo Biden

परन्तु भारतीय अमेरिकियों ने तो पहले ही अपना नेता चुन लिया है!

जो बाइडेन

अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) इन दिनों फिर से सुर्खियों में है, और इस बार वे भारतीय मूल के अमेरिकी समुदाय को लुभाने में लगे हुए हैं। इसीलिए जो बाइडेन के समर्थन में सभी लोग ये प्रचार प्रसार कर रहे हैं कि उनके राष्ट्रपति बनने से भारत को क्या क्या फ़ायदे हो सकते हैं।

अब ऐसे में पूर्व अमेरिकी राजनयिक रिचर्ड वर्मा ने कहा है कि भारतीय अमेरिकी समुदाय को दिल खोलकर जो बाइडेन (Joe Biden) के लिए अपना मत देना चाहिए, क्योंकि यदि ऐसा हुआ, तो राष्ट्रपति बनने पर जो बाइडेन (Joe Biden) UNSC में भारत के स्थायी सदस्यता के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे। यही नहीं, जो बाइडेन के लिए भारत में भी लिबरल ब्रिगेड ने सकारात्मक आर्टिकल्स प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए द प्रिंट ने ये लेख प्रकाशित किया कि Joe Biden के राष्ट्रपति चुने जाने पर भारत को कोई नुकसान नहीं होगा, और जो बाइडेन उतने ही अच्छे मित्र होंगे, जितने डोनाल्ड ट्रम्प भारतीय समुदाय के लिए हैं।

परंतु ऐसा क्या हो गया कि जो बाइडेन भारतीय अमेरिकन समुदाय को लुभाने के लिए हाथ धोके पीछे पड़े हुए हैं? इसके पीछे Joe Biden का अपना कड़वा अनुभव भी हो सकता है, जब उन्होंने कुछ दिन पूर्व भारत के आंतरिक मामलों पर अनुचित टिप्पणी की थी, और फलस्वरूप जो को सोशल मीडिया पर भारतीयों और भारतीय मूल के अमेरिकियों के कोपभाजन का सामना करना पड़ा था।

बता दें कि कुछ दिनों पहले जो बाइडेन ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाये जाने और सीएए के पारित होने पर भारत विरोधी टिप्पणियाँ की थी। उन्होंने मांग की कि कश्मीर के नागरिकों से जो अधिकार छीने गए थे, वो सम्मान लौटाए जाएँ। इसके अलावा जो बाइडेन ने सीएए को भारत के सेक्युलरिज़्म के लिए खतरा भी करार दिया।

बाइडेन के अनुसार, “ये निर्णय भारत के धर्मनिरपेक्षता की परंपरा के ठीक विरुद्ध है, और ये भारत के बहुसंस्कृतिक और अनेकों पंथों के सम्मान करने वाली लोकतन्त्र के लिए खतरनाक है”। यह बयान जो बाइडेन के चुनाव प्रचार वाली वेबसाइट पर विशेष रूप से अमेरिका के मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करने की नीति के अंतर्गत छापे गए थे।

अब शायद जो बाइडेन ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव के समीकरणों पर ध्यान नहीं दिया था, जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर जनता के विद्रोह का सामना भी करना पड़ा था। तत्कालीन डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने भारतीय अमेरिकन समुदाय को हल्के में लेने की बहुत भारी भूल की थी, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। इसी भांति जब जो बाइडेन ने ये अपमानजनक बयान दिया, तो भारत और भारतीय अमेरिकन समुदाय दोनों ने ही उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया।

ऐसे में जो बाइडेन को भली भांति समझ में आ गया कि वे हिलेरी वाली गलती को दोबारा नहीं दोहरा सकते, और तभी वे भारतीयों को लुभाने के लिए ट्रम्प से चार कदम आगे रहना चाहते हैं। परंतु वे एक चीज़ भूल रहे हैं, ट्रम्प पहले ही इस खेल में उनसे चार कदम आगे चल रहे हैं। जब 2016 में वे रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे, तो डोनाल्ड ट्रम्प भली भांति समझ गए थे कि भारतीय अमेरिकन समुदाय अमेरिका में कितना ताकतवर है, और इसीलिए उन्होंने अपने अभियान में भारतीयों को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। यहाँ तक कि उन्होंने हिन्दी में चुनाव प्रचार करते हुए ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ का नारा भी लगाया।

इसके अलावा राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐसे निर्णय भारत के पक्ष में लिए, जो कोई पहले सोच भी नहीं सकता था। चाहे पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देने पर रोक लगानी हो, या फिर गलवान घाटी के मुद्दे पर भारत का प्रत्यक्ष समर्थन करना हो, डोनाल्ड ट्रम्प किसी भी मामले में भारत का साथ देने में पीछे नहीं रहे। ऐसे में अब भारतीय अमेरिकन समुदाय को निर्णय लेना है, कि वे ऐसे मित्र को चुने, जो उनका साथ देने का वादा कर रहा है, या ऐसे मित्र को चुने, जो वास्तव में उनका और उनके मूल देश का साथ दे रहा है।

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