चीन की मनमानी अब नहीं चलेगी, अब चीन के खिलाफ कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश में उठाया सख्त कदम

चीन अब क्या करोगे!

ऑस्ट्रेलिया

चीन गुंडागर्दी के बाद अब अन्य देशों पर दबाव बना कर अपनी बात मनवाने के लिए अपने देश में विदेशी नागरिकों के अपहरण पर उतर आया है। चीन के ऐसी करतूत के बाद पहले कनाडा और अब ऑस्ट्रेलिया ने इस Hostage Diplomacy के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने नागरिकों को चीन जाने के खिलाफ ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों के लिए एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है जिसमें ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को चीन की यात्रा के लिए मना किया गया है। Associated Press के अनुसार ऑस्ट्रेलिया ने यह कदम चीन की हरकतों को देखते हुए लिया है। रिपोर्ट के अनुसार जिस प्रकार के हालात चीन के अंदर हैं वैसी स्थिति में उसके नागरिकों का जाना सही नहीं है। एडवाइजरी में कहा गया था कि चीन में विदेशियों को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की Department of Foreign Affairs and Trade (DFAT) ने यह स्पष्ट कहा है कि चीन ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि विदेशी लोग उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं। ऑस्‍ट्रेलिया की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि जो नागरिक चीन में पहले से हैं वे जल्द से जल्द ऑस्‍ट्रेलिया वापस लौट जाएँ।

ऑस्ट्रेलिया से पहले कनाडा  ने भी चीन पर इसी से तरह के आरोप लगाए थे जब  2 कनाडाई मूल के नागरिकों का चीन में अपहरण हो गया था। जब कनाडा ने वर्ष 2018 में Huawei की Chief Financial Officer Meng Wanzhou को फ़्रौड के लिए गिरफ्तार किया था तभी चीन ने कनाडा पर दबाव बनाने के लिए दोनों कनाडाई नागरिकों का अपहरण कर लिया था। यही नहीं तब से आज तक उन्हें किसी प्रकार का कांसुलर एक्सेस भी नहीं दिया गया है।

इस मामले को लेकर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार पर काफी दबाव था लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अडिग रहे। उन्होंने अपने नागरिकों की रिहाई के लिए हुवावे की अधिकारी को छोड़ने की सलाह को अस्वीकार कर दिया और कहा, ”यदि चीन यह मानता है कि नागरिकों को हिरासत में लेकर कनाडा सरकार पर दबाव बनाएगा तो कोई भी कनाडा का नागरिक सुरक्षित नहीं होगा। इसे देख कर अन्य देश भी अपनी कूटनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इसी तरीके से कनाडा बनाने लगेंगे।” उन्होंने कहा कि चीन को वे अपनी मनमानी नहीं करने दे सकते हैं। कनाडा ने चीन के दबाव में न आते हुए पिछले हफ़्ते हॉन्ग-कॉन्ग के साथ अपने प्रत्यर्पण संधि को स्थगित कर दिया था और सेना की ज़रूरतों से जुड़े कई सामान के निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी थी।

चीन अपनी मनमानी करवाने के लिए व्यापार संबंधों को खराब करने और नागरिकों तथा छात्रों के खिलाफ गिरफ्तारी जैसे कदम भी उठा सकता है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चीन इसी तरह की रणनीति अपना रहा है क्योंकि इसी देश ने प्रखर रूप से चीन के खिलाफ जांच की मांग की थी। इसी वर्ष मई महीने में 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान 100 से अधिक देशों ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ और चीन के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया था। इस प्रस्ताव में ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख हाथ था। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया चीन की सभी मोर्चों पर विरोध में उतर चुका है चाहे वो दक्षिण चीन सागर हो या भारत के साथ सैन्य समझौता करना हो।

पिछले दिनों चीन द्वारा विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के हांगकांग में लागू होने के ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने स्पष्ट कहा था कि उनकी सरकार चीन से खतरे के मद्देनजर हांगकांग के लोगों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करवा सकती है। ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि चीन इसी वजह से विदेशी नागरिकों पर चुन-चुनकर कार्रवाई कर रहा तथा उन्हें गलत तरीके से हिरासत में लेकर उनपर झूठे आरोप लगा रहा है।

चीन के इन्हीं कुकृत्यों को देखते हुए अब कनाडा के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के सामने इस तरह की hostage diplomacy जैसे खतरे से निपटने के लिए अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। चीन के खिलाफ इस तरह के एडवाइजरी का असर नकारात्मक ही होने वाला है और यह चीन के ऑस्ट्रेलिया के बीच के सम्बन्धों के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा जिससे नुकसान चीन को ही होगा क्योंकि उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। चीन पर दबाव बनाने के लिए इसी तरह के कदमों की आवश्यकता है और आने वाले दिनों में इस कम्युनिस्ट देश के खिलाफ और कई कदम देखने को मिल सकता है।

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