WHO की जांच से बचने के लिए चीन की नई चाल, बाढ़ का बहाना बनाकर वुहान में लगाया 31 दिनों के लिए लॉकडाउन

वुहान

चीन में भयंकर बाढ़ आई हुई है और लोगों का जीवन फिर से त्रस्त हो चुका है। यह बाढ़ भी वुहान में ही आई है जहां कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी। वुहान में मूसलाधार बारिश हो रही है और बारिश के पानी में वहां की सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं। ऐसे में चीन ने अपने नागरिकों को 31 दिनों के लिए घर में ही रहने के लिए कहा है। परन्तु वुहान में बाढ़ आने की खबर और फिर लोगों को घरों में रहने के लिए कहने के पीछे की वजह अब कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

कई रिपोर्टस का कहना है कि चीन के वुहान से 368 किलोमीटर दूर Yiling जिले के Three Gorges Dam से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। अब यहाँ पर यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह बाढ़ प्रकृतिक है? या चीन जानबूझकर नकली बाढ़ लाने का प्रयास कर जानबूझकर वुहान को बाढ़ में जलमग्न करने की चाल चल रहा है। वैसे बारिश के कारण बांध से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने के पीछे चीन की एक और बड़ी चाल है ऐसा कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि बाढ़ के बहाने लोगों को घरों में रहने के लिए कहना वो भी 31 दिनों के लिए इस ओर ही संकेत दे रहा है कि शायद, वुहान में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी है। चूँकि चीन ने दुनिया के सामने कोरोना पर नियंत्रण कर लेने की छवि को सामने रखा है ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर में दोबारा लॉकडाउन लगाने से उसकी पोल खुल जाएगी। दुनिया को दिखाने के लिए उसने लॉकडाउन भले न लगाया हो, परन्तु बाढ़ के बहाने को लोगों को घरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया है जिसे एक तरह का लॉकडाउन कहना गलत नहीं होगा।

इस बाढ़ की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अगले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक टीम वुहान जाने वाली है। यह टीम वुहान के वेट मार्केट्स से कोरोना के फैलने और जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण पहुंचने की जांच करेगी।

बता दे कि डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की एक टीम जल्द ही चीन का दौरा करेगी ताकि वायरस की उत्पत्ति और मानव में इसके प्रसार की जांच की जा सके।

Wion की रिपोर्ट के अनुसार एक्टिविस्ट जेनिफर जेंग (Jennifer Zeng) ने हाल ही में दावा किया कि Three Gorges Dam से लगातार पानी छोड़ने का कदम जानबूझकर उठाया गया है, और चीनी अधिकारी सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं, ताकि कोरोना महामारी में चीन की भूमिका से जुड़े सभी सबूतों को नष्ट किया जा सके।

जिस तरह से चीन ने पिछले छह महीनों से विश्व को सभी मामलों चाहे वो कोरोना हो, या हाँग-काँग, या दक्षिण चीन सागर में धोखा देना हो, चीन ने अपने आप को बचाने का हरसंभव  प्रयास किया है। इससे यह तो स्पष्ट हो चुका है कि चीन कुछ भी कर सकता है।

पहले तो चीन वुहान वायरस से भी इंकार करता रहा था और यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि यह वायरस उसके देश से नहीं फैला है। जब चीन के ही कुछ डाक्टरों ने कोरोना के बारे में खुलासा करने की कोशिश की तो चीन की सरकार ने उन्हें ही गायब कर दिया था। आई फेन नाम की इस डॉक्टर ने जब अपने हॉस्पिटल में अन्य स्टाफ वर्कर्स को इसके बारे में बताया तो अधिकारियों ने “अफवाह फैलाने” से बाज़ आने को कहा था। बाद में डॉ. आई फेन ने चीनी की मैगजीन रेनवू  को भी इंटरव्यू दिया लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने आई फेन को अगवा करवा लिया है और आज तक उस डॉक्टर का किसी को कोई अता-पता नहीं है।

यही नहीं चीन ने वुहान वायरस का आरोप अमेरिका के ऊपर भी मढ़ने का प्रयास किया था। हालांकि, चीन की यह चाल कामयाब नहीं हो सकी थी। चीन किस तरह से वुहान को अन्य देशों के अधिकारियों से बचाता आया है इसका नमूना हमें पहले ही देखने को मिल चुका है। आंकड़े छिपाने के आरोप तो चीन पर शुरू से ही लगते रहे हैं, लेकिन अब तक चीन इस बात को नकारता आया था कि वुहान में आधिकारिक आंकड़ों से ज़्यादा लोग मरे हैं। चीन के इस झूठ का पर्दाफाश तब हो गया था जब वुहान शहर के शमशान घाट खुले थे और वहां लोगों की बेहद लंबी लाइनें लगी नज़र आई थी।

इसके अलावा जब अमेरिका ने चीन से अपने अधिकारियों को वुहान लैब का परीक्षण करने की छूट देने को कहा था, तब चीन ने अस्वीकार कर दिया। ट्रम्प यह पहले ही कह चुके हैं कि अगर यह सामने आता है कि चीन ने सबकुछ जानबूझकर किया है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि अब इसी डर से चीन ने वुहान से सभी सबूत  मिटाने के लिये बाढ़ लाने जैसी चाल चली है। चीन ने इस बाँध को जानबूझकर खोल दिया है ताकि अगले हफ्ते WHO  की टीम कोरोना से जुड़ी रिपोर्ट्स के लिए वुहान न जा सके या अपना दौरा रद्द कर दे।

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