हाँग काँग में चीन विरोध करने वालों की आवाज दबा रहा है, बल्कि सुनिश्चित कर रहा उसके चाटुकार सत्ता में रहें

Hong Kong को गुलाम बनाना चाहता है चीन

Hong Kong

चीन के तियानमेन चौक वाली घटना एक बार फिर दोहरा रहा है, और इस बार इस घिनौने कृत्य का साक्षी होगा Hong Kong। जिस क्षेत्र  ने वर्षों से आज़ाद हवा में सांस ली थी, उनपर अब अचानक से चीन की गुलामी थोपी जा रही है। चीन के बर्बर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के पारित होने से न केवल चीन में लोकतंत्र की हत्या हो रही है, अपितु सीसीपी के चाटुकारों से Hong Kong को भरने का मार्ग भी प्रशस्त किया जा रहा है।

Hong Kong शुरू से ही एक स्वतंत्र क्षेत्र रहा है, लेकिन चीन अपने नए कानून से लोकतन्त्र के समर्थन में उठने वाली हर आवाज़ को दबाने में लगा हुआ है। चीन के नए नेशनल सेक्युरिटी लॉ ने इस बात को भी सुनिश्चित किया है की वे किसी भी व्यक्ति को चुनाव में लड़ने से रोक सकता है और उनके विदेशी गतिविधियों पर ही रोक लगा सकती है। यदि ऐसा करने में चीनी प्रशासन नहीं सफल हो पाती है, तो भी इस बर्बर कानून के प्रावधान ऐसे हैं कि Hong Kong के नागरिक चाहकर भी लोकतंत्र के समर्थन में अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते।

सीसीपी के चाटुकारों को Hong Kong में उच्च से उच्च पदों पर सुशोभित किया जा रहा है, जिससे हाँग  काँग पर थोपा गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के लिए कोई विरोधी न हो। जल्दबाजी में पारित किया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून इस बात की ओर इशारा करता है कि चीन अपनी औपनिवेशिक मानसिकता को बिलकुल भी त्यागने के मूड में नहीं है। पर ये काम यूं ही नहीं हुआ। सितंबर में Hong Kong की संसद के चुनाव होने थे, और चीन नहीं चाहता कि Hong Kong में एक भी ऐसा व्यक्ति पहुंचे, जो लोकतंत्र समर्थक हो।

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत चीन ने अभी से ही बर्बरता ढानी शुरू कर दी है। इस नए कानून के अंतर्गत 370 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, और 10 लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत कार्रवाई की गई है। इतना ही नहीं, इन दस लोगों के डीएनए सैंपल भी लिए गए हैं, और ऐसे में यह कहना लगा गलत नहीं होगा कि उइगर मुसलमानों की भांति Hong Kong के निवासियों के अंगों की तस्करी भी हो सकती है।

अब चीन हर प्रकार का विरोध कुचलने की ओर अग्रसर है, और जिस तरह से कार्रवाई हो रही है, उस तरह से वह जल्द ही विपक्ष में बैठे लोकतान्त्रिक समर्थकों का अस्तित्व ही मिटाने पर तुली हुई है। इससे पहले भी बीजिंग ने लोकतंत्र समर्थकों को मनमाने तरीके से Hong Kong की संसद से बाहर निकाला था।

अब नए कानून से चीन किसी को कभी भी, किसी भी समय देशद्रोह के लिए सलाखों के पीछे डाल सकती है। आधिकारिक रूप से इसकी सज़ा आजीवन कारावास तक जाएगी, लेकिन चीनियों के स्वभाव को देखकर ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि वे सिर्फ इतने पर ही रुकेंगे। इस कानून के अंतर्गत सिर्फ Hong Kong में ही नहीं, बल्कि चीन में भी कार्रवाई की जाएगी।

इतना ही नहीं, सीसीपी की चाटुकार कैरी लेम को इस बर्बर कानून को Hong Kong में लाने के लिए पुरुसकृत भी किया जा रहा है। उनके खास माने जाने वाले एरिक चैन को इस राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन के कार्य पर लगाया गया है। अब हाँग काँग को धीरे-धीरे कैरी लेम जैसे चाटुकारों से भरा जा रहा है, और लोकतंत्र को पूरी तरह से नष्ट किया जा रहा है। यदि वैश्विक समुदाय ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो हाँग काँग से लोकतंत्र का नामोनिशान हमेशा के लिए मिट जाएगा।

Exit mobile version