सत्ता के लिए संघर्ष नहीं, अब एक पूर्णकालिक गृहयुद्ध सऊदी अरब को लीलने आ रहा है

सऊदी अरब

PC: New York Post

कोरोना ने विश्व के बड़े से बड़े देशों और महाशक्तियों को अपने घुटनो पर ला दिया है, चाहे अमेरिका हो या यूरोप। लेकिन इस कोरोना महामारी के बीच सबसे अधिक नुकसान तेल पर निर्भर खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को हुआ है और अब वे बिखरने की कगार पर हैं। सऊदी अरब की हालत तो इतनी खराब हो चुकी है कि यह देश गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है।

दरअसल, सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पेट्रोलियम के निर्यात पर निर्भर है, परंतु कोरोना के बाद आए मंदी के कारण पेट्रोलियम के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गयी। इससे खाड़ी देशों को अपने खर्च में कटौती करने के पर मजबूर होना पड़ा। इसी क्रम में सऊदी अरब की सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जो वहां के नागरिकों में असंतोष फैलाने के लिए और अपनी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए पर्याप्त है।

सऊदी अरब ने कमजोर होती अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए Citizen’s Account Program से 2 मिलियन लोगों को निकाल दिया है। बता दें कि 2017 में लागू किए Citizen’s Account Program के तहत सऊदी परिवारों को मासिक रूप से आर्थिक मदद दी जाती थी और नागरिकों के खातों में रुपये जमा किए जाते थे।

यह प्रोग्राम विभिन्न आर्थिक सुधारों के कारण आने वाली गरीबी से जनता को बचाने के लिए लागू किया गया था। इस वर्ष फरवरी तक इस प्रोग्राम के तहत मदद पाने वालों की संख्या 12.6 मिलियन थी जो सऊदी के स्थानीय जनसंख्या का लगभग आधा है। अब वहां की राजशाही सरकार ने लोगों को इस प्रोग्राम से निकालना शुरू कर दिया है, वह भी ऐसे समय में जब सभी नागरिकों पर कोरोना की मार पड़ी है। Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी सरकार ने अप्रैल से ही नए आवेदकों के आवेदन अस्वीकार करना शुरू कर दिया था। जुलाई आते-आते लगभग 1.3 मिलियन लोग इस प्रोग्राम से मिलने वाली मदद से बाहर हो चुके थे। फरवरी में जहां 12.6 लोगों को मदद मिलती थी तो अब जुलाई तक यह संख्या 10.7 मिलियन हो चुकी है। यही नहीं फरवरी में इस प्रोग्राम के तहत कुल 2.3 बिलियन रियल जमा किए जाते थे, तो वहीं जुलाई में यह घटकर 1.7 बिलियन रियल तक आ चुका है। यानि सऊदी सरकार इस प्रोग्राम के तहत दिये जाने वाले मदद को भी घटा रही है।

इस प्रोग्राम से निकाले जाने वाले लोगों में असंतोष की भावना बढ़ रही है। यह असंतोष कब सड़कों पर उतर जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है।

यह पहला फैसला नहीं है जो लोगों में सरकार के खिलाफ भावना को बढ़ाएगा। इससे पहले सऊदी की राजशाही सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिसका असर सीधे तौर पर सऊदी अरब की जनता पर पड़ा है। वहां के प्रिंस Mohammad Bin Salman ने सरकार को ‘गैर-आवश्यक खर्च’ में कटौती करने का आदेश दिया जिसके बाद सऊदी अरब के कामगारों को कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस को बैन कर दिया गया था। इस भत्ते को वहाँ की सरकार सालाना भत्ते के तौर पर देती थी। इससे भी लोगों में असंतोष की भावना बढ़ी थी।

एक तरफ सरकार जनता को दी जाने वाली मदद में कटौती कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ टैक्स भी बढ़ा रही है। यानि जनता के ऊपर दोहरा मार पड़ा है। सऊदी अरब की सरकार ने नुकसान की भरपाई अपने नागरिकों से ही करने का फैसला लेते हुए जरूरी चीजों पर VAT यानि वैल्यू एडेड सर्विसेज तीन गुना करके 15 फीसदी करने का ऐलान किया था। इससे सऊदी में रहने वालों के ऊपर कई गुना का बोझ पड़ रहा है।

कोरोना के कारण पहले ही पर्यटन ठप पड़ा हुआ है। इस खाड़ी देश को मक्का और मदीना में श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगाने से दोहरा झटका लगा है, और वहाँ से भी राजस्व नहीं आ रहा है। पर्यटन से होने वाली कमाई से लेकर रोजगार भी बंद पड़ा है। ऐसी स्थिति में अब सरकार ने Citizen Account Program के तहत मिलने वाली मदद से भी लोगों को बाहर निकालना पड़ रहा है। इस तरह के झटके के बाद सऊदी अरब की जनता का असंतोष अब अपने आखिरी चरम पर पहुंच चुका है। जब जनता में असंतोष बढ़ता है तो या तो सत्ता परिवर्तन होता है या विद्रोह होता है। सऊदी अरब कोई लोकतान्त्रिक देश नहीं है जहां सत्ता परिवर्तन विकल्प हो इस कारण से अब सऊदी अरब में विद्रोह होना तय है।

कोरोनावायरस के प्रकोप और तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सऊदी शासकों का पूरा गणित बिगड़ चुका है। यही नहीं वहां के 84 वर्षीय सुल्तान Salman bin Abdulaziz की तबीयत खराब हो रही है। उनके निधन की स्थिति में सऊदी अरब में सत्ता का संघर्ष शुरू हो जाएगा। हालांकि, सत्ता तो प्रिंस Mohammed bin Salman के पास जानी है लेकिन भविष्य में कुछ भी हो सकता है। इसी वर्ष मार्च में प्रिंस ने सऊदी अरब के दो सीनियर प्रिंस जिसमें से एक सुल्तान के भाई भी थे, उनको गिरफ्तार करवा लिया था। इससे स्पष्ट होता है कि House of Saud में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। ऐसे में सुल्तान Salman bin Abdulaziz की मृत्यु के बाद सत्ता के लिए संघर्ष होना निश्चित है।

सत्ता के लिए संघर्ष में सऊदी में गृह युद्ध शुरू हो जाएगा और समर्थक एक दूसरे के खिलाफ सड़कों पर उतर आएंगे। ऐसे में पहले से ही राजशाही परिवार के फैसलों के कारण गरीबी की मार झेल रही जनता के पास विद्रोह के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। एक बार यह विद्रोह शुरू हुआ तो वह तब तक नहीं रुकेगा जब तक यह देश पूरी तरह से बर्बाद न हो जाए। इस विद्रोह से सऊदी अरब में एक गृह युद्ध शुरू हो जाएगा जिसे शांत करना किसी भी देश के लिए मुमकिन नहीं होगा।

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