‘मैं जाकिर नाइक पर बायोपिक बनाना चाहता हूँ’ महेश भट्ट बॉलीवुड का वो धब्बा है जो मिटाये न मिटे

फिल्म निर्देशक महेश भट्ट एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी, गलत कारणों से। महेश भट्ट की दो वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है, और कारण है जाकिर नाइक। जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। महेश भट्ट इन दोनों वीडियो में न केवल ज़ाकिर नाईक की तारीफ करते दिखे हैं, बल्कि उनपर फिल्म बनाने की इच्छा भी ज़ाहिर की थी।

एक वीडियो में महेश भट्ट जाकिर नाइक की तारीफ करते हुए कहते हैं, “मैं ब्रिटिश साम्राज्य से पंगा मोल लेने के लिए ज़ाकिर नाईक का आभार प्रकट करता हूँ। अंग्रेजों से लड़ने के लिए हम लोग ज़ाकिर नाईक के आभारी हैं, जो हर प्रकार से हमारे देश के लिए एक धरोहर है, जिसे हम कदापि नहीं खो सकते”।

https://www.youtube.com/watch?v=lW7O1bUcm6M&feature=emb_logo

परंतु ये तो बस शुरुआत थी। एक अन्य वीडियो में देखा गया कि कैसे महेश भट्ट जाकिर नाइक के विवादित चैनल पीस टीवी के एक सम्बोधन में हिस्सा लेने आए थे। जब श्रोताओं में से एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या महेश भट्ट जाकिर नाइक को अपनी फिल्मों में शामिल करेंगे, तो महेश भट्ट ने बड़ी बेबाकी से कहा, “जाकिर नाइक का जीवन ही एक फिल्म बनाने के लिए काफी है। मैं नहीं जानता कि वे मेरे फिल्म में शामिल होंगे या नहीं, लेकिन अगर सब कुछ सही रहा, तो मैं उनसे इजाज़त लेकर किसी अभिनेता को ज़रूर इस प्रोजेक्ट में शामिल करूंगा।”

https://www.youtube.com/watch?v=WF0Z9Y6D_n8&feature=emb_logo

बता दें कि यह दोनों वीडियो 2010 की है, जब जाकिर नाइक भारत में अपने कुत्सित प्रोपगैंडा का प्रचार प्रसार करता था, और जनाब पर काँग्रेस सरकार की विशेष कृपा थी। ऐसे घृणित व्यक्ति की प्रशंसा कर और उसके घृणित, कुत्सित विचारों के बारे में प्रचार प्रसार करना यही दर्शाता है कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर ये व्यक्ति किस हद तक गिर सकता है।

26/11 का हमला याद है? इसी हमले के लिए महेश भट्ट ने न केवल इस्लामी आतंकियों को क्लीन चिट देने का प्रयास किया, अपितु आरएसएस को इस हमले का दोषी ठहराते हुए एक पुस्तक भी प्रकाशित करवाई, “26/11 – आरएसएस की साजिश”। हालांकि, इनके पुत्र राहुल भट्ट के तार जब हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक, डेविड कोलमैन हेडली से जुड़े नज़र आए, तो ये बगलें झाँकते दिखाई दिये।

सच कहें तो जब से सुशांत सिंह राजपूत की आकस्मिक मृत्यु के बाद महेश भट्ट का वो घिनौना बयान सामने आया, जहां वे सुशांत को एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति के रूप में चित्रित करना चाह रहे थे, तब से एक-एक कर इनके सभी काली करतूत सामने आ रहे हैं। 1980 के दशक के अंत में महेश भट्ट ने भारतीय संस्कृति, और पिता पुत्री के सम्बन्धों को तार-तार करते हुए फिल्मफेयर मैगज़ीन के कवर पेज के लिए अपनी बेटी पूजा भट्ट को होठों पर चूमते हुए फोटो खिंचवाई। आग में घी डालने वाली बात तो यह थी कि महेश भट्ट ने यह भी कहा था, “यदि पूजा मेरी बेटी न होती, तो मैं उससे शादी कर लेता”। इसे नीचता की पराकाष्ठा न कहें तो क्या कहें?

पर महेश भट्ट का विवादों ने कभी साथ नहीं छोड़ा। धाकड़ आईपीएस अफसर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा ‘लेट मी से इट नाऊ’ में बताया है कि कैसे जब गुलशन कुमार की हत्या की संभावना सामने आई, तब उन्होंने महेश भट्ट को कहा था कि वे गुलशन को इस बारे में सूचित करें, परंतु उसने ऐसा नहीं किया, और अगस्त 1997 में गुलशन को गोलियों से भून दिया गया था।

बॉलीवुड एक बहुत ही प्रतिभावन और गुणी उद्योग नहीं है, लेकिन इस उद्योग को जिस तरह महेश भट्ट ने अपने कृत्यों को कलंकित किया है, उसका प्रायश्चित करने में बॉलीवुड को वर्षों लग जाएंगे। अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए एक आतंकी प्रचारक का समर्थन यही सिद्ध करता है कि महेश भट्ट जैसे लोगों के लिए न राष्ट्र की अखंडता मायने रखती है, और न ही राष्ट्र का स्वाभिमान।

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