बधाई हो चीन! ऑस्ट्रेलिया पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए Long range missiles खरीदने जा रहा है

Hands up चीन!

24 जून की एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कैसे ताइवान, भारत, जापान और अमेरिका ने एक साथ अपने हथियारों का मुंह चीन की ओर मोड़ लिया है। शायद इन्हीं चार देशों से प्रेरणा लेकर अब ऑस्ट्रेलिया ने भी मैदान में कूदने का फैसला लिया है। ऑस्ट्रेलिया ने ना सिर्फ अपने डिफेंस बजट को बढ़ाने का फैसला लिया है, बल्कि उसने चीन के खिलाफ समुद्र में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल्स को तैनात करने का भी फैसला लिया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने हाल ही में कहा कि जिस प्रकार क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, उसके बाद यह जरूरी हो जाता है कि Australia भी अपने सुरक्षा बलों को और ज़्यादा मजबूत करे।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के मुताबिक, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दावों को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा है। भारत और चीन के बीच विवाद, दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया सतह, हवा और समुद्र आधारित लंबी दूरी की मिसाइलें और हाइपरसोनिक स्ट्राइक मिसाइलों में निवेश करेगा”। आगे पीएम मॉरिसन ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि “सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट्स के बेड़े को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी के एंटी शिप मिसाइलों की खरीद सहित रक्षा रणनीति में बदलाव किया जाएगा। हिंद-प्रशांत उभरती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख केंद्र बन चुका है”।

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में ही ऑस्ट्रेलिया ने आगामी 10 सालों के लिए अपनी सुरक्षा रणनीति के तहत 195 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर्स का बजट बनाया था, लेकिन अब चार वर्षों के बाद ही Australia ने दोबारा अपनी नयी सुरक्षा रणनीति बनाई है जिसके तहत अगले दशक के लिए 270 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर्स का बजट रखा गया है। ऑस्ट्रेलिया इनमें से 15 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर्स सिर्फ साइबर वारफेयर के लिए इस्तेमाल करेगा क्योंकि पिछले कुछ समय से चीन लगातार ऑस्ट्रेलिया पर साइबर हमले कर रहा है।

मॉरिसन की इस नई रणनीति को विपक्ष की लेबर पार्टी से भी भरपूर समर्थन मिला है। लेबर पार्टी के मुताबिक “क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए ऐसा करना बेहद आवश्यक है। हमने तो शुरू से ही सुरक्षा बलों को मजबूत करने का पक्ष लिया है”।

जिस प्रकार कोरोना के बाद चीन बेहद आक्रामकता के साथ दूसरे देशों के साथ बर्ताव कर रहा है, उसने क्षेत्र के सभी देशों में अलार्म बजा दिया है, जिसके बाद सभी देश अब चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। भारत ने लद्दाख में, जापान ने चीन की ओर अपने बॉर्डर पर, अमेरिका ने दक्षिण चीन महासागर और ताइवान ने प्रतास द्वीपों पर पहले ही चीन के खिलाफ अपनी सेना और हथियारों को तैनात किया हुआ है। अगर चीन किसी भी देश के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई करने का विचार भी लाता है, तो ये सब देश मिलकर उसपर दबाव बनाने का काम कर सकते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया भी इन देशों की सूची में शामिल हो जाता है, तो चीन के लिए यहाँ मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

कोरोना से पहले ऑस्ट्रेलिया और चीन के व्यापारिक रिश्ते बेहद मजबूत थे। ऑस्ट्रेलिया अपने कुल एक्स्पोर्ट्स का लगभग 30 प्रतिशत एक्स्पोर्ट्स अकेले चीन को ही करता था। हालांकि, कोरोना के बाद जैसे ही Australia ने चीन के खिलाफ जांच करने की बात कही, तो चीन बिदक गया और उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये। उसी के बाद ऑस्ट्रेलिया चीन को सबक सिखाने के मूड में है।

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