रेहाना फातिमा याद है? हाँ वही रेहाना, जिसने सबरीमाला मंदिर में घुसने के लिए न जाने कैसे कैसे हथकंडे अपनाए थे। अब वही रेहाना फ़ातिमा न सिर्फ दर दर की ठोकरें खा रही है, बल्कि एक दूसरे कारनामे के लिए कुछ दिनों पहले ही केरल हाई कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका को ठुकराते हुए POCSO एक्ट के अंतर्गत होने वाली कार्रवाई को अपनी स्वीकृति दे दी है। अब इसी मामले को लेकर रेहाना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अभी महीने भर पहले रेहाना फ़ातिमा एक बार फिर विवादों के घेरे में आई थी, जब उसने अपने लड़कों को अपने अर्धनग्न शरीर पर कलाकृति बनाते हुए वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इस भद्दे और फूहड़ वीडियो के लिए रेहाना को सोशल मीडिया पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। भाजपा के राज्य ओबीसी मोर्चा महासचिव एवी अरुण प्रकाश ने रेहाना के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज की थी, जिसके बाद पथानमथीट्टा जिले की पुलिस ने रेहाना के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया।
रेहाना के विरुद्ध POCSO एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई होनी थी, जिसके विरुद्ध रेहाना ने अग्रिम जमानत के लिए केरल हाई कोर्ट में याचिका डाली थी, परंतु केरल हाई कोर्ट के सामने रेहाना की एक न चली। जस्टिस पीवी कुनहीकृष्णन ने अपने जजमेंट में स्पष्ट कहा कि बच्चों का इस्तेमाल फूहड़ता और अश्लीलता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। अभी रेहाना ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, परंतु रेहाना के कारनामों को देखते हुए उन्हें राहत मिलने के अनुमान बहुत कम है।
पर रेहाना फ़ातिमा इतना विवादों के घेरे में क्यों है, और आखिर सबरीमाला मंदिर विवाद से उसका क्या नाता है? दरअसल जब 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर की हजारों वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए 10 – 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी, तब रेहाना फ़ातिमा उन महिलाओं में शामिल थी, जिन्होंने मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था। पर रेहाना की हरकतें वहीं तक सीमित नहीं थी। उसने न केवल स्वामी अयप्पा के भक्त की आधी अधूरी पोशाक पहनकर सोशल मीडिया पर एक भड़काऊ फोटो डाली थी, बल्कि स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स का मानना था कि रेहाना सहित मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास कर रही कई महिलाओं ने भगवान अयप्पा को चढ़ाने वाले प्रसाद की पोटली में खून से सने सैनिटरी पैड भी शामिल किए थे।
फलस्वरूप रेहाना के विरुद्ध कई स्तर पर कार्रवाई हुई। सर्वप्रथम तो मुस्लिम जमात काउंसिल ने एर्नाकुलम सेंट्रल मुस्लिम जमात को ये निर्देश दिया कि वो सोशल एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा ने मुस्लिम समुदाय से बाहर का रास्ता दिखायें। मुस्लिम जमात काउंसिल के अध्यक्ष पूनकुंजू ने 20 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “रेहाना को मुस्लिम समुदाय से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास कर और खून के धब्बो वाली नैपकिन्स को मंदिर में ले जाने का प्रयास कर लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत किया है”। इसके अलावा पूकुंजू ने कहा, “रेहाना ने ‘किस ऑफ लव’ आंदोलन में हिस्सा लिया था और फिल्म में नग्न प्रदर्शन किया था, उन्हें मुस्लिम नाम इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है।”
तद्पश्चात रेहाना को बीएसएनएल [जहां वे काम करती थी] ने पहले नौकरी से निलंबित किया, फिर इसी वर्ष हमेशा हमेशा के लिए नौकरी से निकाल दिया था। बीएसएनएल में टेकनिशियन के तौर पर कार्यरत फातिमा को नवंबर 2018 में गिरफ्तार किए जाने के बाद सस्पेंड कर दिया गया था, जब एक फेसबुक पोस्ट को लेकर उसकी गिरफ्तारी हुई थी। उस दौरान BSNL ने अपनी कार्रवाई भी फातिमा के फेसुबक पोस्ट के जरिए लोगों की धार्मिक भावना आहत करने के चलते की थी। इसके बाद बीएसएनएल ने पूरे मामले की जांच के लिए टीम का गठन किया था, जिसने जांच के बाद आदेश दिया है कि रेहाना अनिवार्य रिटायरमेंट लें। रेहाना फातिमा को सौंपे गए आदेश के अनुसार, सबरीमाला में प्रवेश करने के उनके प्रयास की वजह से कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा था और साथ ही ग्राहकों में BSNL की प्रतिष्ठा को भी गहरा धक्का लगा था।
सच कहें तो रेहाना फ़ातिमा ने ये मुसीबत खुद ही बुलाई थी। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर ऐसे लोग फूहड़ता और अश्लीलता को भी बढ़ावा देना चाहते हैं, जिसके लिए ये लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। परंतु अब और नहीं। अब रेहाना फ़ातिमा के विरुद्ध फूहड़ता को बढ़ावा और अपने ही बच्चों का अपने कुत्सित विचारधारा के लिए कथित पर शोषण करने के लिए POCSO के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाएगा, जिसके लिए केरल हाई कोर्ट निस्संदेह बधाई के पात्र हैं।