हागिया सोफिया मामले पर UAE आया तुर्की के विरोध में, अब मुस्लिम vs मुस्लिम लड़ाई शुरू

एर्दोगन को मुस्लिम देशों ने ही दिया झटका!

uae

तुर्की के इस्तांबुल में हागिया सोफिया को संग्रहालय में बदले जाने के बाद से भभकी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। तुर्की के शासक एर्दोगन के इस कदम के बाद जहां तुर्की ईसाई देशों के निशाने पर आ गया है, तो वहीं तुर्की का यह फैसला कुछ अरब मुस्लिम देशों को भी नहीं भाया है। तुर्की इस्लामिक दुनिया पर अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है, जो कि UAE और सऊदी अरब को बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में अब UAE ने खुलकर तुर्की का विरोध करना शुरू कर दिया है। UAE में प्रभावी लोग सोशल मीडिया पर ग्रीस का समर्थन कर रहे हैं। इसी के साथ ही UAE की सरकारी मीडिया भी तुर्की को आड़े हाथों ले रही है। Gulf News के एक लेख में एर्दोगन पर दोबारा खलीफा को स्थापित करने के सपने देखने का आरोप लगाया गया है। कुल मिलाकर ईसाई बनाम मुस्लिम लड़ाई के बाद अब हागिया सोफिया मामले पर मुस्लिम बनाम मुस्लिम लड़ाई देखने को मिल रही है।

बता दें कि तुर्की और क़तर जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम देश “मुस्लिम ब्रदरहुड” संस्था के माध्यम से दुनिया पर इस्लाम का वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं। यह संस्था राजनीतिक इस्लाम को बढ़ावा देती है और इसका एकमात्र मकसद शरिया के नियमों और कानूनों को स्थापित करना है और धर्म के नाम पर सत्ता को प्राप्त करना है। इस संगठन के माध्यम से तुर्की और क़तर कई इस्लामिक देशों में अपनी राजनीतिक पार्टियां बना चुके हैं, जहां वे अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, इस्लामिक दुनिया के बेताज बादशाह माने जाने वाले सऊदी अरब और उसके दोस्त UAE को तुर्की और क़तर की यह संस्था बिलकुल भी नहीं भाती है। UAE, सऊदी अरब ने तो मुस्लिम ब्रदरहुड को एक आतंकवादी संगठन का दर्जा तक दिया हुआ है। ये दोनों ही देश मानते हैं कि ISIS और अल-कायदा जैसे आतंकवादी सगठनों का जन्म भी इसी “मुस्लिम ब्रदरहुड संगठन” से हुआ है।

तुर्की के इन कारनामों की वजह से अब UAE की मीडिया और वहाँ के प्रभावी लोग तुर्की और एर्दोगन के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। उदाहरण के लिए 24 तारीख को UAE की gulf news में एक लेख छपा “पश्चिमी देशों को अब मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकवादी संगठन घोषित कर देना चाहिए”। इसी प्रकार UAE के एक ट्विटर यूजर हसन सजवानी ने एक ट्वीट में लिखा “एर्दोगन अभी भी खलीफा के सपनों में जी रहा है”।

एक अन्य ट्वीट में इसी यूजर ने ग्रीस में tourism को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया। यानि स्पष्ट है कि तुर्की के खिलाफ कुछ मुस्लिम देश अब ग्रीस का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

एर्दोगन यह ऐलान कर चुके हैं कि जो भी उनके द्वारा लिए गए हागिया सोफिया के फैसले का विरोध कर रहे हैं, वे मुस्लिम विरोधी हैं। हालांकि, यहाँ तो उसका विरोध करने वालों में हमें UAE जैसे मुस्लिम देश ही दिखाई दे रहे हैं।

तुर्की और UAE की दुश्मनी कोई नयी नहीं है। इससे पहले दोनों ही देश लीबिया गृह युद्ध के मुद्दे पर भी एक दूसरे के आमने-सामने आ चुके हैं। तुर्की और UAE अपने अपने proxies के जरिये लीबिया में एक दूसरे से जंग लड़ रहे हैं। वर्ष 2014 के विवादित चुनावों के बाद से ही लीबिया में दो गुट लगातार सत्ता प्राप्त करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। एक तरफ जहां अमेरिका, UN, तुर्की और क़तर जैसे देश एक गुट का समर्थन करते हैं, तो वहीं UAE, सऊदी अरब, जॉर्डन और फ्रांस जैसे देश दूसरे गुट का समर्थन करते हैं। इस प्रकार जमीन पर तुर्की और UAE एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिखाई देते हैं।

इसके बाद UAE और तुर्की के बीच का विवाद और भी बढ़ गया है। तब तुर्की के एक यूजर ने UAE पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी कर डाली थी, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में #BoycottUAE ट्रेंड करने लगा था। अली केसकिन नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा था- “UAE अब तुर्की का दुश्‍मन है। मैं अपने सभी मुस्लिम दोस्‍तों से UAE पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता हूं।”

https://twitter.com/alikeskin_tr/status/1262756828284252161

कुल मिलाकर पहले ही से विवादों से जूझ रही इस्लामिक दुनिया में हागिया सोफिया घटना दोबारा चिंगारी लगाने का काम कर सकती है। UAE और तुर्की के रिश्तों में पहले ही तनाव बढ़ा हुआ था, जो अब और बढ़ गया है। इसाइयों के बाद अरब के मुस्लिम भी तुर्की के खिलाफ बड़ा अभियान छेड चुके हैं।

 

Exit mobile version