भारत में राफेल फाइटर जेट्स का आगमन क्या हुआ, मानो हमारे शत्रुओं की रातों की नींद उड़ सी गई है। खासकर पाकिस्तान अब भी इस बात को नहीं पचा पा रहा है कि राफेल फाइटर जेट्स भारत आ चुके हैं। वह भली भांति जानता है कि इन फाइटर जेट्स के आने से भारत का पलड़ा बहुत भारी हो चुका है, और पाकिस्तान छोड़िए, उसका वर्तमान आका चीन भी उसका मुक़ाबला नहीं कर सकता। इस बीच पाकिस्तान की जनता अपनी सरकार पर राफेल को लेकर दबाव बना रही है, जिसका फायदा उठाते हुए एक बार फिर से पाकिस्तानी सेना उठा सकती है।
दरअसल, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आएशा फ़ारूकी ने भारत की आलोचना करते हुए भारत पर हथियारों की होड़ शुरू करने का आरोप लगाया। आएशा फ़ारूकी के बयान के अनुसार, “भारत अपनी वास्तविक रक्षा जरूरतों से ज़्यादा हथियार जमा कर रहा है। पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय से गुहार लगाई है कि वह भारत को हथियार जमा करने से रोके। इससे दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है। भारत लगातार अपने परमाणु हथियारों की संख्या और हथियारों की गुणवत्ता, दोनों को ही बढ़ा रहा है। यह परेशान करने वाला है कि भारत लगातार अपनी जरूरत से ज्यादा सैन्य क्षमता इकट्ठा कर रहा है। भारत अब दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश बन गया है, और यह दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है”।
इन दिनों राफ़ेल पाकिस्तान के दिलो दिमाग में किस तरह छाया हुआ है, ये आप पाकिस्तानियों के हालिया इन्टरनेट रिसर्च से भी देखते हैं। हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, पाकिस्तान में राफेल के बारे में जानने के लिए ऐसी होड़ मच गई थी कि गूगल सर्च में भी राफेल ही ट्रेंड करने लगा। गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक, पाकिस्तान में कोई राफेल की कीमत जानने के लिए, तो कोई दुनिया का सबसे अच्छा फाइटर जेट सर्च करने में जुटा था। सिंध हो या बलूचिस्तान या फिर खैबर पख्तूनवा, पूरे पाकिस्तान में राफेल की धमक दिखने लगी। इससे पता चलता है कि पाकिस्तानी न केवल राफेल के बारे में सब कुछ जान लेना चाहते थे, बल्कि भारतीय वायुसेना के बारे में भी वो जानना चाहते थे। कुछ तो फाइटर एयरक्राफ्ट F-16 और राफेल में कौन बेहतर है, इसको जानने के लिए F-16 के साथ राफेल को सर्च कर रहे थे और यह सर्च गुरुवार को भी जारी है।
बता दें कि ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2020 के अनुसार, भारत 138 देशों की सूची में चौथा सबसे शक्तिशाली राष्ट्र है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को इसमें 15 वां स्थान दिया गया है। भारत आक्रामक रूप से रक्षा उपकरण खरीद रहा है, ऐसे में पाकिस्तान का डर जायज है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान से स्पष्ट पता चलता है कि पाकिस्तान राफेल जेट्स के भारत आगमन से कितना बुरी तरह घबराया हुआ है। परंतु ये घबराहट पाकिस्तानी सेना के लिए एक अवसर भी है, जिसका यदि वह उपयोग करे, तो किसी को कोई हैरानी नहीं होगी। राफ़ेल ने पाकिस्तानी सेना को अपने देश की जनता से धन उगाही करने का एक अच्छा बहाना दिया है, जिसका उपयोग वह अक्सर भारत विरोधी गतिविधियों में ही करता है।
पाकिस्तानी सेना अपनी उगाही के लिए विश्व भर में बदनाम है। पाकिस्तान का जो आम बजट होता है, उसका अधिकांश हिस्सा पहले ही पाकिस्तान ‘मुल्क की हिफाज़त’ के नाम पर उड़ा ले जाता है। जब विश्व वुहान वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है, तो भी पाकिस्तानी सेना के लिए धनोपार्जन सर्वोपरि रहा। उदाहरण के लिए मई माह में पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने इमरान सरकार को मेमोरेंडम भेजकर 6367करोड़ पाकिस्तानी रुपये के राहत पैकेज की मांग की, जिससे कि तीनों सेनाओं- एयरफोर्स, सेना और नेवी के कर्मचारियों की सैलरी में 20 फीसदी का इजाफा किया जा सके। वित्त मंत्रालय को सौंपे गए मेमोरेंडम में दावा किया गया है कि सुरक्षा कर्मियों को पाकिस्तानी रुपये की कीमत कम होने और मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण जीवनयापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वे अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन ने सेना की इस मांग को मंजूरी दे दी है। बता दें कि सेना ने अपने मेमोरेंडम में यह भी कहा है कि पिछले साल देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी इसी कारण से सैनिकों और अधिकारियों ने स्वेच्छा से अपने खर्चों में कटौती को मान लिया था। यह विडम्बना ही है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था कर्जों पर लंगड़ा कर चल रही हो, नागरिक भूखे मरने पर मजबूर हो, कोरोना जैसे हालात जब नागरिकों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है तब उस देश की सेना ने अपनी सेलेरी को 20 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की थी।
इसके अलावा पाकिस्तान द्वारा चीन से सहायता लेने की संभावना भी बहुत प्रबल है, क्योंकि उन्हें भारत के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी जो रखनी है। अपने सैन्य हथियारों के लिए अब पाकिस्तान चीन की ओर रुख करेगा। मतलब स्पष्ट है पाकिस्तान अपनी आवाम से पैसे ऐंठेगा और चीन से उसके बदले हथियार खरीदेगा और अपनी सेना की सैलरी में वृद्धि भी कर सकता है। ऐसे में राफ़ेल ने पाकिस्तानी सैन्यबलों को वो अवसर दिया है कि जिससे वे फिर से अपनी जनता से पैसे ऐंठ सके, जो पहले ही कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं। अगर एक पुरानी कहावत को इस परिप्रेक्ष्य में अनुवादित करें, तो पाकिस्तान की हालत प्रारम्भ से कुछ यूं थी, “जिन्ना रीति सदा चली आई, जान जाई पर पैसा न जाई!”