शार्क की तरह लीबिया में तुर्की के लड़ाकों को निगल रहा है राफेल, भारत को भी ये जल्दी ही मिलने वाला है

भारत के दुश्मनों संभल के!

राफेल

PC: Rashtratak

तुर्की के तानाशाह Recep Tayyip Erdoğan भले ही दूसरे खलीफा बनने के सपने बुन रहे हों, लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही है। लीबिया में अपने ख्वाबों को यथार्थ में बदलने के लिए प्रयासरत एर्दोगन को हाल ही में करारा झटका लगा जब लीबिया में स्थित तुर्की के अल-वतीय एयरबेस एयरबेस को फ्रांसीसी मूल के राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा तबाह कर दिया गया। इस हमले में तुर्की के कई प्लेन, ड्रोन और फिक्स विंग एयरक्राफ्ट बर्बाद हो गए और कुछ रिपोर्ट ने ये तक दावा किया है कि हमलें में तुर्की के कई सैनिक भी घायल हुए हैं।

लीबियन नेशनल आर्मी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा कि उन्होंने तुर्की के अल-वतीय एयरबेस में तैनात एमआईएम-23 हॉक एयर डिफेंस सिस्टम को तितर बितर कर दिया। लीबियन नेशनल आर्मी द्वारा की गई एयर स्ट्राइक्स ने ये कारनामा करके दिखाया, जिसकी पुष्टि लीबियाई मीडिया के हवाले से रशिया टुडे ने भी की।

तुर्की के एयर डिफेंस सिस्टम्स की धज्जियां उड़ाने में फ्रांस का भी बहुत बड़ा हाथ रहा। दरअसल, 218टीवी.net के अनुसार लीबिया में स्थित तुर्की एयर डिफेंस सिस्टम्स का विध्वंस इतना भी आसान काम नहीं था। परंतु आईएसआईएस और तुर्की समर्थक गुटों की धुर विरोधी लीबियन नेशनल आर्मी के पास फ्रांस का समर्थन था, जिन्होंने तत्काल प्रभाव से अपने राफेल फाइटर जेट्स प्रदान किए, जिसके कारण उन्हें तुर्की के हवाई रक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने के लिए तुरंत राफेल फाइटर जेट्स की सहायता मिल गई।

बता दें कि लीबिया में गृह युद्ध जैसे हालत बन चुके हैं। एक ओर तुर्की GNA यानि Government of National Accord को लीबिया कब्ज़ाने के लिए उकसा रहा है, तो लीबियन नेशनल आर्मी को फ्रांस सहित वैश्विक ताकतों का समर्थन प्राप्त है। अब जिस प्रकार से तुर्की एयर डिफेंस सिस्टम्स का विध्वंस हुआ है, उससे स्पष्ट होता है कि पलड़ा किसका भारी है।

अब कल्पना कीजिये, जिस राफ़ेल जेट ने तुर्की एयर डिफेंस सिस्टम्स का भर्ता बना दिया हो वो यदि भारत के पास आ जाये, तो भारत कितने लाभकारी स्थिति में हो सकता है? पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की देखरेख में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट्स खरीदने के समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किया था, जिसमें से 2 फाइटर जेट्स अभी भारत आ चुके हैं, और 6 अन्य फाइटर जेट्स सितंबर तक भारत पहुँचने की आशा है। गलवान घाटी में चीन द्वारा किए गए हमले के पश्चात स्वयं फ्रांस ने भारत को तत्काल प्रभाव से राफ़ेल जेट्स भेजने में दिलचस्पी भी दिखाई है। राफेल जेट्स अत्याधुनिक और सभी सुविधाओं से लैस है, और पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल  बीएस धनोआ की माने तो यदि राफ़ेल भारत के पास पहले होता, तो वीर वायुसेना अफसर, विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमन का न प्लेन क्रैश होता, और न ही वे पाकिस्तानी सेना के हाथों बंदी बनाए जाते।

वैसे भी भारतीय वायुसेना ने विपरीत परिस्थितियों में अपने सीमित साधनों से शत्रु के अत्याधुनिक फाइटर जेट्स को धूल चटाई है। विश्वास नहीं होता तो 1965 के भारत पाक युद्ध पर एक दृष्टि डाल लीजिये। हमारे शत्रु पाकिस्तान के पास अत्याधुनिक North American F-86 Sabre फाइटर जेट्स उपलब्ध थे, तो वहीं भारत के पास उपलब्ध था अंग्रेज़ों के जमाने की नैट फाइटर जेट्स, जो Sabre जेट्स के सामने वैसे ही थे जैसे टाइटैनिक के सामने एक छोटी सी नौका।

लेकिन उन छोटे, पर घातक फाइटर जेट्स के सहारे भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना में जो त्राहिमाम मचाया था, उससे नैट फाइटर जेट्स को ‘ Sabre स्लेयर्स’ यानि Sabre नाशक की उपाधि भी मिली। अब जब भारत के पास अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस राफ़ेल फाइटर जेट्स उपलब्ध हैं, तो न केवल अब वो पाकिस्तान से चार कदम आगे है, अपितु चीन के किसी भी नापाक हरकत को मुंहतोड़ जवाब देने में कहीं अधिक सक्षम होगा। लीबिया में जिस तरह से तुर्की खेमे में राफ़ेल जेट्स ने त्राहिमाम मचाया है, वो भारत के लिए किसी शुभ समाचार से कम नहीं है।

 

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