‘रवीश कुमार मरने के बाद जहनुम जायेगा’, ये हमारा नहीं बल्कि जाकिर नाइक का कहना है

'इससे फर्क नहीं पड़ता वो मुस्लिमों के लिए कितना अच्छा है'

कल्पना कीजिये कि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो एक समुदाय को बचाने के लिए जमाने से लड़ने को तैयार हैं। आप उस समुदाय की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं, यहाँ तक कि एक युवक के जीवन को भी बर्बाद करने को तैयार हैं। परंतु क्या हो जब उसी समुदाय का एक प्रतिनिधि खुलेआम कह दे कि इतना सब कुछ करने के बाद आप उनके अपने कभी हो ही नहीं सकते।

कुछ ऐसा ही हुआ है पत्रकार रवीश कुमार के साथ। वे मुसलमानों के कितने हिमायती हैं, इसके लिए कोई विशेष शोध करने की ज़रूरत नहीं, लेकिन इतनी मेहनत, इतनी जद्दोजहद, सब व्यर्थ, क्योंकि रवीश कुमार के लिए जन्नत में कोई स्थान है ही नहीं। अरे नहीं नहीं, ये हम नहीं कह रहे, बल्कि रवीश के चहेते समुदाय के चर्चित नुमाइंदे, जाकिर नाइक ऐसा कह रहे हैं।

अपने वैमनस्य से भरे विचारों और आतंकियों को समर्थन देने के लिए कुख्यात जाकिर नाइक इन दिनों मलेशिया में छुपे हुए हैं। अभी 27 जून को जनाब ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड की थी, जिसमें वे एक बार फिर इस्लाम के प्रचार के नाम पर गैर मुस्लिमों के विरुद्ध विष उगल रहे थे। इस वीडियो में एक व्यक्ति ने जब उनसे पूछा कि रवीश कुमार जैसे अच्छे गैर मुसलमानों को मुसलमानों की पैरवी करने के लिए क्या जन्नत मिलेगी,  तो ज़ाकिर ने बोला, “ऐसा बिलकुल नहीं होगा। रवीश कुमार निस्संदेह एक अच्छे गैर मुसलमान हैं, पर चूंकि उसने शिर्क किया है [अर्थात मूर्तिपूजा का पाप किया है], इसलिए उसकी रूह को जन्नत कभी नहीं बख्शी जाएगी”।

अब रवीश कुमार और उनके इस्लाम प्रेम को कौन नहीं जानता। मोदी सरकार को नीचा दिखाने और सेक्युलरिज़्म को बढ़ावा देने के अपने अभियान में रवीश कुमार किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने पूर्वोत्तर दिल्ली में  हुए दंगों के दौरान पुलिस पर गोलियां चला रहे उग्रवादी मोहम्मद शाहरुख उर्फ शाहरुख पठान के बचाव में यह कहा की वो मोहम्मद शाहरुख नहीं, बल्कि अनुराग मिश्रा है। जनाब इतने पर नहीं रुके, उन्होंने यहाँ तक कहा कि  उन्हें पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट पर यकीन नहीं होता है। उनके अनुसार जब तक उन्हें दोबारा रिपोर्ट नहीं दी जाती कि इस शख्स का नाम क्या है तब तक वे शंका ज़ाहिर करते रहेंगे और शाहरूख को अनुराग बताते रहेंगे।

रवीश के ओछे बयानों से प्रेरित होकर कट्टरपंथी इस्लामीक तत्वों ने भी फर्जी खबरें फैलाना शुरू कर दिया था कि हिंसा में कोई मुस्लिम युवक नहीं था बल्कि, वह एक हिंदू युवक था, जो हिंदू आतंकवाद फैला रहा था। उसका नाम शाहरूख नहीं बल्कि अनुराग मिश्रा है। कुछ लोगों ने तो इतना तक कह दिया कि ये भाजपा नेता कपिल मिश्रा का भतीजा है, और इसे जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। इसके कारण अनुराग को वाराणसी में पुलिस प्रोटेक्शन के लिए अर्जी भी डालनी पड़ी।

इसके अलावा जब तबलीगी जमात के सदस्यों द्वारा देश भर में वुहान वायरस के संक्रमण दर में वृद्धि लाने की भूमिका का पर्दाफाश हुआ, तब भी रवीश उनके बचाव में आगे आते हुए बोले, “अगर बार-बार आपके सामने चीन की थ्योरी लाई जा रही है तो समझिएगा, खबरों का अकाल है और सरकार द्वारा अपनी जवाबदेही को छुपाने के लिए ये चीन की थ्योरी लाई गयी है। इसीलिए चीन को निशाना बनाया जा रहा है। अब जब अर्थव्यवस्थाओं के तबाह होने से करोड़ों लोगों की ज़िंदगी भुखमरी के कगार पर, बेरोजगारी के कगार पर पहुँच गयी है, तब जाकर सरकारें सचेत हो रही हैं कि कहीं जनता उनसे ये ना पूछने लगे कि आप जनवरी, फरवरी और आधे मार्च तक क्या कर रहे थे, इसी जवाबदेही से बचने के लिए कहीं पर जमात दुश्मन है, तो कहीं पर चीन दुश्मन है”।

https://twitter.com/Soumyadipta/status/1252518862073090048

लेकिन अफसोस, सब किया कराया व्यर्थ। जिस समुदाय के लिए रवीश उल्टा लटकने को तैयार हो जाये, वो समुदाय उन्हें स्वीकारने को ही तैयार नहीं। जाकिर नाइक जैसे मौलानाओं की माने तो यदि आप स्वर्ग जाना चाहते हैं, तो आपको इस्लाम स्वीकारना होगा, अन्यथा आप चाहे जितना मुस्लिमों के तलवे चाट ले, आपको जन्नत नहीं नसीब होनी। बेचारे रवीश कुमार!

Exit mobile version