“पहले खुद से पूछो फिर आना”, विदेश नीति पर सवाल उठाए तो जयशंकर ने राहुल को बर्बाद कर दिया

जयशंकर ने अपने तथ्यों के बाण से राहुल के आरोपों को छलनी कर दिया

जयशंकर

PC: tv9bharatvarsh

देश की राजनीति में अयोग्य लोगों की कोई कमी नहीं है। हालांकि, जब राजनीति में सभ्य, शिक्षित, अनुभवी और कूटनीति में मंझे हुए खिलाड़ी शामिल होते हैं, तो राजनीति और लोकतंत्र का स्तर ही अपने नए आयाम पर पहुँच जाता है। ऐसा ही कल ट्विटर पर देखने को मिला जब देश के विदेश मंत्री और पूर्व राजनयिक एस जयशंकर ने अपने तथ्यों के बाणों से राहुल गांधी के सवालों का चीर-हरण कर डाला। राहुल गांधी की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने अपने स्टाइल में बिना तथ्य और आधार के ही देश की विदेश नीति पर सवाल उठाया था। राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक video पोस्ट करते हुए देश की विदेश नीति को फेल बताया था। जवाब में एस जयशंकर ने राहुल गांधी की धज्जियां उड़ा दी।

17 जुलाई को राहुल गांधी ने अपने वीडियो संदेश में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पिछले छह साल में भारत विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के संबंध में परेशान और बाधित रहा। गांधी ने वीडियो में अपने विचार रखे कि क्यों चीन आक्रामक हो गया है और आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दौरान कमजोर विदेश नीतियों के चलते देश कमजोर हुआ है।

https://twitter.com/RahulGandhi/status/1284002386806095872?s=20

बस इसके बाद जो हुआ वो देखने लायक था। विदेश मंत्री ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए ट्विटर पर एक लंबा चौड़ा thread पेश किया। अपने thread में उन्होंने राहुल गांधी के हर सवाल का तथ्यों के साथ शानदार जवाब दिया। एस जयशंकर ने कहा “राहुल गांधी ने विदेश नीति पर सवाल पूछे हैं। यहां पर कुछ उत्तर हैं। हमारा महत्वपूर्ण गठजोड़ मजबूत हुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ा है। अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान के साथ शिखर वार्ता और अनौपचारिक बैठकें होती रहती हैं। चीन के साथ हम राजनीतिक रूप से अधिक बराबरी के स्तर पर बात करते हैं। विश्लेषकों से पूछें”।

विदेश मंत्री ने आगे ट्वीट किया “उन्होंने कहा कि भारत अब अधिक खुले मन से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक), चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, दक्षिण चीन सागर और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के बारे में बातें करता है। इस बारे में मीडिया से पूछें”। पूर्व राजनयिक ने कहा, ‘कुछ तथ्य हमारे पड़ोसियों के बारे में भी। श्रीलंका और चीन के बीच 2008 में हम्बनटोटा बंदरगाह को लेकर समझौता हुआ था। उनसे पूछें जो इससे निपट रहे थे।’

 

जयशंकर यहीं नहीं रुके अगले ट्वीट में उन्होंने कहा “ मालदीव के साथ कठिन संबंध… जब 2012 में भारत राष्ट्रपति नाशीद की सरकार को गिरता देख रहा था… और चीजें बदली हैं। हमारे कारोबारियों से पूछें”। बांग्लादेश के बारे में जयशंकर ने कहा कि “2015 में भू सीमा मुद्दा सुलझने के बाद अधिक विकास और पारगमन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।’ अब वहां आतंकवादियों के लिए पनाहगाह नहीं है। हमारे सुरक्षा बलों से पूछें”।

 

इसी प्रकार जयशंकर ने अपने अगले ट्विट्स में समझाया कि “कैसे नेपाल में 17 साल के बाद प्रधानमंत्री की यात्रा होती है। ऊर्जा, ईंधन, अस्पताल, सड़क सहित अनेक विकास परियोजनाएं बढ़ती हैं। उनके नागरिकों से पूछें।“ उन्होंने कहा कि “भूटान अब भारत को एक मजबूत सुरक्षा और विकास भागीदार पाता है। अब वे 2013 के विपरीत अपनी रसोई गैस के बारे में चिंता नहीं करते। भूटान के परिवारों से पूछें”।

आखिरी में जयशंकर ने पाकिस्तान के मुद्दे पर राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए कहा “पाकिस्तान के साथ (जिसे आपने छोड़ दिया) निश्चित तौर पर एक तरफ बालाकोट और उरी तो दूसरी तरफ शर्म अल शेख, हवाना और 26/11 के बीच अंतर है। इस बारे में स्वयं से पूछें”।

इस प्रकार जयशंकर ने अपने तथ्यों से राहुल गांधी के आधारहीन आरोपों का जनाज़ा निकाल दिया। UPA के समय भारत की विदेश नीति कितनी घटिया थी, उसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2013 में चीनियों ने गैर-कानूनी तरीके से भारत की 640 sq km ज़मीन पर कब्जा जमा लिया था, और भारत सरकार कुछ नहीं कर पाई थी। विदेश नीति और कूटनीति पर जयशंकर से ज्ञान पाकर अब राहुल गांधी शायद ही कभी विदेश नीति पर ऐसे आधारहीन आरोप लगाने की हिमाकत करेंगे।

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