सुशील मोदी ने कभी युवा नेताओं को आगे बढ़ने नहीं दिया, अब NDA के युवा नेता भी उनके निशाने पर आ गए हैं

बिहार में कमल खिलाना है, तो सुशील मोदी को बाहर बैठाना है

सुशील मोदी

बिहार में चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है और सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी कर रही हैं। दूसरी तरफ कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण बिहार की राजनीतिक पार्टियों में चुनाव को टालने की बहस भी छिड़ गयी है। इसी बीच बीजेपी के अकर्मण्य नेताओं में से एक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने (लोक जनशक्ति पार्टी) लोजपा के अध्यक्ष और युवा नेता चिराग पासवान पर हमला बोलते हुए उनपर कोरोना का बहाना लेकर चुनाव टालने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

दरअसल, बिहार में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव करने पर (राष्ट्रीय जनता दल) राजद के तेजस्वी यादव ने चिंता व्यक्त की थी। अब उनकी तरह ही लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी ऐसे समय में विधानसभा चुनाव कराने पर सवाल खड़ा किया है। परंतु ऐसा लगता है कि सुशील मोदी को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने सहयोगी पार्टी के युवा नेता चिराग पासवान और तेजस्वी दोनों पर हमला किया। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं, लेकिन जैसे कमजोर विद्यार्थी परीक्षा टालने के मुद्दे खोजते हैं, वैसे ही राजद अपनी संभावित हार को देखते हुए चुनाव टालने के लिए बहाना खोज रही है।” उन्होंने चिराग पासवान की ओर इशारा करते हुए लिखा, “विधानसभा चुनाव समय पर हों या टल जाएं, यह निर्णय चुनाव आयोग को लेना है, NDA चुनाव आयोग के निर्णय का पालन करेगा। इस वक्त किसी भी पार्टी द्वारा EC पर बयान देना सही नहीं है।“

सुशील मोदी के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें चिराग पासवान का इस प्रकार से प्रखर होना पसंद नहीं है। ऐसा भी हो सकता है कि NDA में बढ़ रही चिराग की लोकप्रियता की वजह से चिढ़े सुशील मोदी को पासवान पर खीज निकालने का मौका मिल गया हो। अगर हम बिहार की राजनीति को देखे तो यह पता चलेगा कि अब तक, सुशील मोदी ने बिहार भाजपा से एक भी युवा नेता को उभरने नहीं दिया है।

बिहार के विकास न कर पाने में बिहार की राजनीति से युवाओं का मुंह मोड़ना सबसे बड़े कारणों में से एक रहा है। इस राज्य के युवाओं में राजनीति के प्रति नफरत यहाँ राज करने वाले नेताओं के कारण उत्पन्न हुई है, जिन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत जेपी आंदोलन से की थी और जो लोग आज भी गद्दी पर किसी न किसी वजह से बने रहना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर लालू यादव और नितीश कुमार को देख लीजिये। परंतु BJP भी इससे अछूती नहीं रही है और युवाओं की राह का सबसे बड़ा कांटा सुशील मोदी रहे हैं।

बिहार BJP में उनके रहते किसी युवा नेता को ऊपर उठने का मौका नहीं मिला या नहीं दिया गया। अब ऐसा लगता है कि वो न सिर्फ BJP बल्कि NDA के अन्य दलों में भी किसी युवा नेता को आगे नहीं आने देना चाहते हैं। इसी कारण से अब उन्होंने NDA के युवा नेताओं को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है जिससे उनकी कुर्सी को कोई खतरा न हो। सुशील मोदी चाहते हैं कि स्थिति जस की तस बनी रहे जिससे दोबारा नितीश मुख्यमंत्री बन जाए और उन्हें उप-मुख्यमंत्री का पद मिलने में कोई मुश्किल न हो। बता दें कि अमित शाह ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि NDA नितीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी, शायद इसलिए वे चाहते हैं कि कुछ गड़बड़ होने से पहले ही चुनाव हो जाएँ और उन्हें फिर से उप-मुख्यमंत्री का पद मिल जाए। नितीश कुमार और सुशील मोदी दोनों यह जानते हैं कि अगर कोरोना के कारण स्थिति बिगड़ी तो सरकार जनता के बीच विश्वसनीयता खो देगी और हो सकता है कि BJP हाईकमान नितीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव न लड़े। इससे दोनों ही नेताओं के फिर से कुर्सी पाने के सपने को गहरा धक्का लगेगा।

यह सभी को पता है कि सुशील मोदी बिहार में सिर्फ बीजेपी के युवा नेताओं के ही नहीं बल्कि अपने समकक्षों के राह का भी रोड़ा बने हुए हैं। न तो उन्हें जनता पसंद करती है और न ही कार्यकर्ता।  ऐसे में अगर कोई अन्य नेता ऊपर उठता है तो सुशील मोदी बिहार की राजनीति में कहीं दिखाई भी नहीं देंगे। यही कारण है कि वे जल्द से जल्द चुनाव करा कर अपनी कुर्सी बचाना चाह रहे हैं। अगर बीजेपी बिहार में चुनाव जीतना चाहती है, तो उसे सुशील कुमार को बर्खास्त कर चिराग पासवान जैसे युवा और गतिशील राजनेता को सीएम चेहरा बनाने के साथ लोजपा का BJP में विलय करा लेना चाहिए।

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