एक ओर जहां राजस्थान में सियासी खींचातानी जारी है, तो वहीं अशोक गहलोत अपने बेटे को राजनीति में उतारने के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं। राजस्थान में अपनी असफलता को छुपाने के लिए पार्टी ने कहीं भाजपा और केंद्र सरकार पर ‘लोकतांत्रिक’ सरकार के तख़्तापलट का आरोप लगाया है, तो कहीं फर्जी ऑडियो क्लिप प्रकाशित करवा भाजपा को घेरने के लिए हरसंभव प्रयास किया है। परंतु, जिस तरह से अशोक गहलोत इस गहमागहमी के बीच अपने पुत्र वैभव को लॉन्च करने में लगे हुए हैं, वो भी किसी से छुपा नहीं है। प्रदेश कांग्रेस के महासचिव वैभव गहलोत पिछले कुछ समय से राजनीति में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं। जयपुर में कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम में वैभव गहलोत, और वहाँ जनाब कहते हैं, “आप देख रहे हैं कैसे भाजपा एक लोकतान्त्रिक सरकार को गिराना चाहती है। यह एक ऐसी सरकार है जो वुहान वायरस के समय में बेहतरीन काम कर रही है। ये कितनी हास्यास्पद बात है कि केंद्र सरकार उसी सरकार को गिराना चाहते हैं जो वुहान वायरस के प्रकोप में अपनी जनता का ख्याल रख रही है”।
यह पहली बार होगा जब वैभव गहलोत ने कांग्रेस के किसी बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पार्टी के महासचिव होने के बाद भी वे पार्टी की गतिविधियों से काफी दूर रहे हैं। इसके पीछे एक अहम कारण भी है – 2019 का लोकसभा चुनाव। जोधपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे वैभव को केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 4 लाख मतों से भी ज़्यादा के भारी अंतर से परास्त किया था। गहलोत गजेंद्र ने अशोक गहलोत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उको नीचा दिखाने के लिए गहलोत ने फर्जी ऑडियो क्लिप का ताना बाना बुने थे। बता दें कि वैभव गहलोत के करियर को लॉन्च करने के लिए अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस की सारी ताकत जोधपुर में झोंक दी। नतीजा – गहलोत हारे तो हारे, 2018 के दिसंबर में राज्य चुनाव जीतने के बावजूद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।
राहुल गांधी ने तब अशोक गहलोत पर पूरे राज्य को किनारे रख अपने बेटे के राजनीतिक करियर पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा था। अशोक गहलोत ने अपने आप को बचाने के लिए इस असफलता का ठीकरा सचिन पायलट के सिर फोड़ा था।
सचिन पायलट हमेशा से वैभव गहलोत की राजनीतिक मंशाओं के लिए खतरा समान थे। अब यदि सचिन पायलट पार्टी से किनारा कर लेते हैं, तो ये संभव है कि वैभव के लिए मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो जाये। इस तरह से वैभव को न केवल क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिलेगा, अपितु वे राष्ट्रीय राजनीति में भी कदम रख पाएंगे। अक्टूबर 2019 में जब राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर वैभव का चुनाव हुआ, तो सचिन पायलट ने इसे कांग्रेस की छवि के लिए हानिकारक बताया था।
अब सचिन पायलट के हटने के बाद राजस्थान में फिलहाल के लिए गहलोत परिवार का एकछत्र राज्य होगा, और वैभव गहलोत को इसीलिए अशोक गहलोत के भावी उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार किया जा रहा है। ये और बात है कि ये निर्णय कांग्रेस के लिए उतनी ही फायदेमंद होगी, जितना मुलायम के लिए 2017 में अखिलेश यादव को तवज्जो देना हुआ था।