जिस कांग्रेस ने सीपी जोशी को हर बार दिखाया ठेंगा, वो अब कांग्रेस की सत्ता बचाने में जुटे हैं

इनकी बेचारगी कहिये या मज़बूरी, पर बड़े निष्ठावान हैं सीपी जोशी!

सीपी जोशी

सचिन पायलट को नीचा दिखाने की कांग्रेसी कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से बिलकुल इंकार कर दिया है। दरअसल, राजस्थान हाई कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी द्वारा सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के अयोग्य करार देने पर 24 जुलाई तक की रोक लगाई है।

विडम्बना तो देखिये सीपी जोशी की। कभी जिस कांग्रेस के लिए वो कोर्ट तक पहुंच गए, उसी ने उन्हें अक्सर अनदेखा किया है। पर विधानसभा के स्पीकर के लिए इतनी संवेदना किस बात की? इसके लिए राजस्थान कांग्रेस के इतिहास को देखना पड़ेगा, जिससे यह सिद्ध होता है कि कैसे कांग्रेस में योग्य और प्रतिभावान लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।

सीपी जोशी किसी समय पर राजस्थान कांग्रेस के सर्वेसर्वा माने जाते थे। 2008 के चुनाव में जब कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाई थी, तो ये सीपी जोशी ही थे, जिनके नेतृत्व में यह संभव हुआ था। सीपी जोशी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 200 में से 96 सीटों पर कब्जा जमाया था, परंतु सीपी जोशी को मुख्यमंत्री न बनाकर अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया था। जैसे सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के सरकार में आने के बावजूद उनके साथ अन्याय हुआ, वैसे ही सीपी जोशी को मुख्यमंत्री के पद से एक बार नहीं, अनेकों बार वंचित रखा गया।

राजस्थान कांग्रेस के इतिहास का यह स्याह पहलू ही है – जिसने भी अशोक गहलोत के साथ भिड़ंत करने का प्रयास किया है, उसे साइडलाइन करने में पार्टी हाइकमान को तनिक भी समय नहीं लगा है। उदाहरण के लिए पराश्रम मादेर्णा और सीपी जोशी को ही देख लीजिये। दोनों ही कुशल नेता थे, और इन्हीं दोनों के नेतृत्व में राजस्थान कांग्रेस ने 1998 और 2008 में सत्ता प्राप्त की थी। पराश्रम मादेर्णा के नेतृत्व में कांग्रेस ने अंतिम बार प्रचंड बहुमत के साथ राजस्थान में सरकार भी बनाई थी, लेकिन दोनों की कार्यकुशलता को नज़रअंदाज़ करते हुए अशोक गहलोत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, क्योंकि वे सोनिया गांधी के ज़्यादा करीब थे। इसके बाद जब राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में सीपी जोशी ने नाथद्वारा सीट से भरी मतों से जीत हासिल की थी और उन्हें लगा था कि अशोक गहलोत और सचिन के बीच के तनाव से उन्हें फायदा होगा। सीपी जोशी, जो गहलोत और पायलट के बीच की तनातनी के कारण एक बार फिर प्रदेश मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब सजोने लगे थे, उन्हें स्पीकर के पद से ही संतोष करना पड़ा। साथ ही कांग्रेस ने 2018 में जिस सचिन बिधूड़ी उर्फ सचिन पायलट के नेतृत्व में एक बार फिर राजस्थान में दमदार वापसी की थी उन्हें भी दरकिनार कर दिया।

हालांकि, सचीन पायलट ने पार्टी के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन लगता है शायद सीपी जोशी इतनी बार धोखा खाने के बाद भी अपने कड़वे अनुभव से कुछ सीखे नहीं हैं। तभी तो वो राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार बचाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं, यहाँ तक कि सचिन पायलट कांग्रेस के लिए मुश्किल न बने ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं।  उन्होंने पार्टी हाइकमान के निर्देश पर सचिन पायलट और 18 अन्य बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस थमा दिया। ऐसा लगता है कि वो ऐसा करके कांग्रे हाईकमान की नजरों आना चाहते हैं और लाइमलाइट पाना चाहते है। अब कड़वे अनुभवो के बाद भी इतनी निष्ठा दिखाने वाले सीपी जोशी कामयाब होते हैं या नहींं ये तो वक्त ही बताएगा

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