नेपोटिज़्म का एक दूसरा पहलू भी है, और ये अभिषेक बच्चन से बेहतर शायद कोई नहीं जानता

पिता महानायक, माँ और पत्नी सफल अभिनेत्री फिर भी लाइमलाइट से कोसो दूर हैं छोटे बच्चन

अभिषेक बच्चन

PC: Odisha Bytes

सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु के पश्चात बॉलीवुड में वंशवाद एक बार फिर से लाइमलाइट में आया है। सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के पश्चात जिस प्रकार से वंशवाद के दुष्प्रभाव को उजागर किया गया, उसके पश्चात वंशवाद को बढ़ावा देने वाले हर बॉलीवुड सेलेब्रिटी को निशाने पर लिया गया, चाहे वह करण जौहर हो, महेश भट्ट हो, सलमान खान हो, या फिर वरुण धवन जैसे अभिनेता ही क्यों न हो। नेपोटिज़्म मानो बॉलीवुड का वो काला अध्याय बन चुका है, जिसके बारे में बात करने से पहले भी कोई दस बार सोचेगा।

परंतु क्या आपको पता है कि नेपोटिज़्म के साइड इफ़ेक्ट्स भी होते हैं? निस्संदेह इस कुप्रथा के कारण बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकारों को अवसर मिला है, जो शायद अभिनय के नाम पर ही धब्बा हैं। परंतु कुछ ऐसे अभिनेता भी हैं, जिन्हें नेपोटिज़्म के साइड इफ़ेक्ट्स का भी शिकार होना पड़ा है। ये न केवल किसी बड़े घराने से संबंध रखते हैं, अपितु अपने आप में काफी प्रतिभावान भी हैं। लेकिन निरंतर लाइमलाइट में रहने के कारण और अपेक्षाओं के बोझ तले ये लोग मानो कहीं दब से गए। इन्हीं में से एक हैं अभिषेक बच्चन, जो एक योग्य अभिनेता होकर भी उतनी शोहरत नहीं पा सके, जितना उनके पिता, और प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन को मिला था।

2000 में मशहूर निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म ‘रिफ़्यूजी‘ से पदार्पण करने वाले अभिषेक बच्चन का फिल्मी करियर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। प्रारम्भ में कई असफल फिल्में करने के बाद उन्हें पहचान मिली मणि रत्नम की फिल्म ‘युवा’ से, जहां उन्होंने अपने अभिनय से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। तद्पश्चात उन्होंने ‘सरकार’ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, और कई फिल्मी विशेषज्ञों का कहना है कि वे अमिताभ बच्चन से भी ज़्यादा प्रभावी दिखे। अभिषेक बच्चन ने इसके अलावा ‘गुरु’, ‘पा’, ‘कभी अलविदा न कहना’ में अपनी योग्यता सिद्ध कराई है, और अभी हाल ही में उन्होंने ‘ब्रीद इंटू द शैडोज़’ नामक वेब सिरीज़ में भी अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया है।

कहने को अभिषेक बच्चन सभी सुविधाओं और धन धान्य से सम्पन्न एक प्रतिभावान अभिनेता हैं। इनके पिता अमिताभ बच्चन एक अविश्वसनीय अभिनेता हैं, जिन्हें उनके प्रशंसक ‘सदी के महानायक’ का दर्जा भी देते हैं। इनकी माँ जया बच्चन है, जो अपने समय की बेहद कुशल अभिनेत्री रही हैं। अभिषेक की पत्नी एश्वर्या राय बच्चन भी अपने आप में एक प्रतिभावान और कुशल अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों में ही अपनी छाप छोड़ी है। स्वयं अभिषेक अपने आप में एक बेहद कुशल और प्रतिभावान अभिनेता हैं, लेकिन इन सब के बावजूद अभिषेक बच्चन उतने प्रसिद्ध नहीं हुए, जितना उनके पिता, या माँ या फिर पत्नी। ऐसा क्यों?

कारण कई है, लेकिन एक प्रमुख कारण स्वयं वंशवाद रहा है। इसी पर टिप्पणी करते हुए टीएफ़आई के संस्थापक अतुल मिश्रा ने एक ट्वीट थ्रेड में बताया, “नेपोटिज़्म कभी कभी महंगी पड़ जाती है। रोहन गावस्कर पर हमेशा से ये दबाव रहा कि वो अपने पिता जैसे खेले, अर्जुन तेंदुलकर पर भी यही दबाव रहेगा, यदि वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करते हैं। लेकिन यदि नेपोटिज़्म के कारण किसी को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, तो वो हैं अभिषेक बच्चन”।

सच कहें तो अभिषेक बच्चन इसलिए आजकल सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और अपमानजनक समीक्षाओं का शिकार होते हैं, क्योंकि नेपोटिज़्म के कारण उनके लिए अनुचित मापदंड स्थापित किए गए, जिसपर खरा न उतरने के लिए अभिषेक बच्चन को आलोचना का शिकार होना पड़ा है। प्रारम्भ में अभिषेक ने काफी ऊटपटांग फिल्में भी चुनी थी, जिसके कारण उन्हें आज भी ट्रोल किया जाता है। लेकिन अगर उन्हें दरकिनार करें, तो अभिषेक बच्चन अपने किरदारों को आत्मसात करने में ठीक उतने ही कुशल हैं, जितना कि स्वर्गीय इरफान खान, के के मेनन जैसे कलाकार। ‘खेले हम जी जान से’ जैसी असफल फिल्म में भी उन्होंने मास्टर दा सूर्य कुमार सेन की भूमिका के साथ न्याय करने का बेहद सार्थक प्रयास भी किया था। यदि उन्हें किसी बेहतर निर्देशक का साथ मिला होता, तो आज बात ही कुछ और होती।

हमारे देश की एक समस्या ये भी है कि अक्सर हम भेड़ चाल में चलने में विश्वास करते हैं। नेपोटिज़्म के मामले में भी हम उन्हीं लोगों को अधिक निशाने पर लेने का प्रयास करते हैं, जो लाइमलाइट में है, लेकिन इस नेपोटिज़्म के दूसरे पहलुओं पर ध्यान देने की किसी को सुध नहीं रहती है, और न ही हम बॉलीवुड की मूल समस्या पर ध्यान देते हैं, जितना की अयोग्य लोगों को बढ़ावा देने में, जिसके कारण अभिषेक बच्चन जैसे लोगों की समस्या भी इस भीड़ में कहीं खो सी जाती है।

 

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