“यहाँ गलती से भी मत आ जाना” UK में घुसने पर चीनी राजनेताओं और अधिकारियों पर लग सकता है Ban

UK चीनियों से बोला “अब ना आना इस देस”

PC: Business Insider

यदि बोरिस जॉनसन के पीएम रहते हुए यूके में कोई बदलाव देखने को मिला है, तो वो निश्चित रूप से घुसपैठियों और असामाजिक तत्वों पर सरकार के सख्त रुख में स्पष्ट दिखा है। अब इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए यूके ने एक नए प्रकार का वीज़ा बैन लागू करने की बात की है, जो वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बहुत अहम है।

ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब की प्रेस वार्ता के अनुसार यूके एक विशेष प्रकार का वीज़ा बैन लगा रही है। इसमें जो भी व्यक्ति यूके में या कहीं पर भी मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है, तो उसे न केवल यूके के वीज़ा के लिए अप्लाई करने से प्रतिबंधित किया जाएगा, अपितु हर प्रकार के सैंक्शन भी लगाए जाएंगे। डोमिनिक राब के अनुसार, “अब इस अधिनियम से हमें उन लोगों को यूके में प्रवेश करने से रोकने की शक्ति मिल गई है, जो मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी थे, और जिनके देश यूके की अर्थव्यवस्था के बल पर यूके को ही बर्बाद करना चाहते थे”।

यूं तो इस प्रकार की रोक आम तौर से UN और यूरोपीय संघ लगाता आया है। परंतु ये पहली बार हो रहा है कि कोई देश मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर लोगों की अपने देश में एंट्री रोकने के लिए प्रावधान बना रहा है। परंतु इस अधिनियम के अंतर्गत किन देशों की शामत आ सकती है? इस बारे में अभी यूके सरकार ने कोई नाम उजागर नहीं किया है, लेकिन अगर ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट पर ध्यान दे, तो ऐसे कई देश हैं, जो इस नए अधिनियम के रडार में आ सकते हैं, जिनमें प्रमुख है – रूस, सऊदी अरब, उत्तर कोरिया इत्यादि।

परंतु, इस अधिनियम से अप्रत्यक्ष रूप से यूके की सरकार ने चीन को भी एक स्पष्ट संदेश भेजा है – मानवाधिकार का उल्लंघन करने वालों की यूके में कोई जगह नहीं है। इसी परिप्रेक्ष्य में डोमिनिक राब ने आगे कहा, “ ये निर्णय एक प्रत्यक्ष उदाहरण है कि कैसे यूके विश्व को मानवाधिकारों की रक्षा करने में राह दिखाएगा। हम उन लोगों को अपनी मनमानी नहीं करने देंगे जो निर्दोष लोगों को सताकर उन्हे बर्बाद करना चाहते हैं”। उदाहरण के लिए हाँग काँग पर बर्बर नेशनल सेक्युरिटी लॉ थोपने वाली प्रमुख अफसर और चीन सरकार की चाटुकार माने जाने वाली कैरी लैम के परिवार के सदस्य यूके में लोकतंत्र  की सुविधा का आनंद उठाते हैं, तो हो सकता है यूके ने ये कदम इन्हीं जैसे लोगों के मद्देनजर उठाया हो। इतना ही नहीं, यदि ये अधिनियम सफल रहा, तो सीसीपी के जो अफसर शिंजियांग और तिब्बत में तैनात हैं, और वहाँ की जनता पर अत्याचार ढाते हैं, वे लोग अब शायद ही कभी यूके में किसी भी तरह प्रवेश कर पाएंगे।

बता दें कि कुछ दिनों पहले, दो यूरोपीय देशों- ऑस्ट्रिया और बेल्जियम ने जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों (उइगर मुसलमान, फालुन गोंग, और ईसाई) के अंग निकालकर अपने नागरिकों के इलाज में इस्तेमाल कर रहे चीन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।

ऑस्ट्रियाई सांसद Gudrun Kugle ने कहा था कि, “बार बार मानव अंगों की अवैध तस्करी की रिपोर्ट पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में देखने को मिली है जो सभी मानव अधिकारों और नैतिक मानकों के विपरीत है।”

23 जून को पारित हुए प्रस्ताव में ऑस्ट्रियाई सरकार से WHO, मादक पदार्थों और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (UNODC), मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त के कार्यालय और यूरोप की परिषद जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अंग तस्करी पीड़ितों की रक्षा करने के लिए सहयोग करने की बात कही थी। चीन द्वारा मानव अधिकारों के अत्याचारों के प्रति अब कई देश जाग रहे हैं। ऐसे में अब कई चीनी राजनेताओं को दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों में प्रतिबन्ध का सामना करना पड़ता सकता है। यहाँ तक कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की दूसरे देशों में मौजूद संपत्ति भी फ्रिज हो सकती है।

अब यूके की सरकार भी चीन द्वार मानवाधिकारों के दुरूपयोग और अल्पसंख्यकों पर किये जा रहे अत्याचार को देखते हुए चीनी नेता और राजनयिक पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।

ऐसा लगता है कि यूके ने विशेष रूप से चीन को वुहान वायरस का प्रकोप फैलाने और हाँग काँग का बर्बरतापूर्वक दमन करने के लिए सबक सिखाने को कमर कस ली है। जब डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को दुनिया से अलग थलग करने का आवाहन दिया, तो यूके ने आगे आते हुए सर्वप्रथम चीनी टेलिकॉम कंपनियों को यूके की दूरसंचार टेक्नोलॉजी के अपग्रेडेशन में हिस्सा लेने से रोका। Huawei को यूके में पाँव न पसारने की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी ने तो मानो कसम खा ली है। ऐसे में अब मानवाधिकार उल्लंघन करने वालों को यूके में प्रवेश देने से रोककर यूके ने न केवल एक मिसाल कायम की है, बल्कि चीन पर बिना प्रत्यक्ष रूप से उंगली उठाए एक स्पष्ट संदेश भी भेजा है।

 

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