केरल में भारतीय सैन्य बलों की वर्दियां धड़ल्ले से बिक रही हैं – अब नौसेना चाहती हैं इस कालाबाजारी पर पूर्ण प्रतिबंध

ये खतरनाक है!

सैन्य

सेना की वर्दी अपने आप में व्यक्ति को अधिक जिम्मेदार और सशक्त बनाती है। पर इसका दुरुपयोग न केवल हमारी तीनों सेनाओं के लिए अपमान की बात है, अपितु राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी है। अभी हाल ही में केरल में दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जो ये सिद्ध करते हैं कि वर्दी का दुरुपयोग रोकना अत्यंत आवश्यक है।

अभी कोच्चि से राजा नाथ नामक युवक को हिरासत में लिया गया है। बंगाल के नादिया जिले से संबंध रखने वाले राजा नाथ पर नौसेना के अधिकारी की यूनिफ़ोर्म पहनकर नौसेना बेस के आसपास घूमने के लिए हिरासत में लिया गया है। इस व्यक्ति ने लेफ्टिनेंट के रैंक की यूनिफ़ोर्म सिलवाई थी और टिक टॉक पर वीडियो भी बनाता था।  गिरफ्तारी के दौरान राजा के पास से नेवल बैज भी हिरासत में लिए गए हैं। फिलहाल के लिए धोखाधड़ी के अपराध में धारा 140 के अंतर्गत राजा नाथ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज है। इसी भांति अरनाकुलम दक्षिण पुलिस स्टेशन ने निबित डेनियल नामक व्यक्ति को कमांडर के रूप में घूमने के लिए हिरासत में लिया है।

इन घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए भारतीय नौसेना ने केरल सरकार से दरख्वास्त की है कि अनाधिकारिक रूप से सैन्य बलों के यूनिफ़ोर्म सिलवाये जाने और उनकी अनाधिकारिक विक्रेताओं से बिक्री कराने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाये। सैन्य बलों के सदस्यों की नकल करना एक दंडनीय अपराध है और जो इस तरह के काम करते हैं, उन्हे तत्काल प्रभाव से हिरासत में लिया जाये। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो राष्ट्रद्रोही तत्व इस तरह की गतिविधियों का अनुचित इस्तेमाल कर हमारे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा सिद्ध हो सकते हैं।

बता दें कि पंजाब में सैन्य बलों के यूनिफ़ोर्म को नागरिकों को प्रदान करना प्रतिबंधित है। ये अधिनियम श्रीनगर और गुजरात के कच्छ में भी लागू है। बता दें कि पठानकोट और उरी में सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों में आतंकियों ने इंडियन आर्मी के यूनिफ़ोर्म पहन रखे थे, और ऐसे में सैन्य बलों के यूनिफ़ोर्म की गरिमा बनाए रखने के लिए कुछ कड़े फैसले लेना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

ऐसे में भारतीय नौसेना ने सही कदम उठाते हुए सैन्य बलों के यूनिफ़ोर्म के अनाधिकारिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। लेकिन ये बात यहीं पर नहीं रुकनी चाहिए, और इस प्रतिबंध को राष्ट्रव्यापी बनाने पर भी ज़ोर देना चाहिए। सिर्फ दो या तीन राज्यों या शहरों द्वारा प्रतिबंधित करने से बात नहीं  बनेगी, क्योंकि बात सिर्फ वर्दी की गरिमा की नहीं है, बात है राष्ट्रीय सुरक्षा की।

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