केवल 1% ही जातियों को मिलता है OBC के लिए निर्धारित 50 % आरक्षण का लाभ, अन्य को क्यों नहीं मिलता ?

आरक्षण का उद्देश्य तो वहीं का वहीं रह गया

ओबीसी

ओबीसी को मिलने वाले 27 प्रतिशत कोटा के अंतर्गत किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की मंशा से सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक समिति का गठन किया था। इस पैनल को 12 हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष पेश करनी थी, लेकिन उसके बाद से इस कमीशन को extension पर extension पर मिलता रहा है। अभी पिछले महीने ही इस कमीशन को दोबारा 6 महीनों का एक्सटैन्शन दिया गया है क्योंकि उनका काम महामारी की वजह से प्रभावित हो गया था।

इस साल के अंत तक फ़ाइनल रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जा सकता है। हालांकि, इस रिपोर्ट के शुरुआती तथ्य मीडिया द्वारा पहले ही सार्वजनिक किए जा रहे हैं। इस कमीशन के सदस्यों और सूत्रों द्वारा सामने रखी जा रही आंशिक सूचना के आधार पर अभी तक जो कुछ भी सामने आया है, वह बेहद हैरान करने वाला है।

ऐसी ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 हज़ार से 6 हज़ार OBC जातियों में से से केवल 40 जातियों ने ही आरक्षण के करीब 50 प्रतिशत फ़ायदों का लाभ उठाया है। वर्ष 1993 में केंद्र सरकार द्वारा केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी आरक्षण का नियम लागू किया गया था। इसके बाद वर्ष 2006 में इस आरक्षण को केंद्र के पैसे से चलने वाले शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू कर दिया गया था।

इस कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20 प्रतिशत OBC जातियों को यानि करीब 1 हज़ार ओबीसी जातियों को वर्ष 2014 और 2018 के बीच आरक्षण का कोई फायदा नहीं मिला। कमीशन के मुताबिक OBC आरक्षण के फ़ायदों में भारी भेदभाव के कारण OBC को भिन्न-भिन्न वर्गों में बांटने की सख्त आवश्यकता है। रिटायर्ड जज जी रोहिणी के नेतृत्व वाले कमीशन के सदस्य जेके बजाज के मुताबिक “OBC कोटा लागू होने में इतना ज़्यादा भेदभाव है कि OBC को भिन्न-भिन्न वर्गों में बांटना आज बेहद अनिवार्य हो गया है”।

इस कमीशन के मुताबिक ओबीसी की कुछ प्रभावशाली जातियाँ ही सारे कोटा फ़ायदों का लाभ उठा लेती हैं और बाकी जातियों को लाभ उठाने का कोई मौका ही नहीं मिल पाता। बजाज के मुताबिक “आज देश की सारी OBC जातियाँ, चाहे वो पिछड़ी हो या नहीं, उस 27 प्रतिशत कोटा के लिए लड़ती हैं”। इससे ओबीसी कोटा में भेदभाव को बढ़ावा मिल रहा है।

दरअसल, आरक्षण की वजह से पिछड़ी जातियों का उत्थान ना होने का बड़ा कारण यह है कि हर वर्ग में प्रभावशाली जातियाँ ही आरक्षण के सभी फ़ायदों का लाभ उठा लेती हैं। उदाहरण के तौर पर ओबीसी में यादव जाति तो वहीं, SC में जाटव, ये प्रमुख जातियाँ ही आरक्षण के सभी फ़ायदों का लाभ उठा लेती हैं, जबकि बाकी जातियों को दरकिनार कर दिया जाता है। ऐसे में लाखों लोग फिर भी वहीं के वहीं रह जाते हैं।

अब सरकार OBC कोटा में भेदभाव को खत्म करने के लिए इसे आगे और कई वर्गों में बाँट सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक “अभी सभी 2,633 ओबीसी जातियाँ उसी 27 प्रतिशत कोटा के लिए लड़ती हैं। कमीशन ने ओबीसी को आगे तीन वर्गों में बांटने का सुझाव दिया है। कमीशन के सुझावों के मुताबिक जिन्हें अब तक आरक्षण का कोई फायदा नहीं मिला, उन्हें 10 प्रतिशत कोटा दिया जाये, जिन्हें कुक्ग फायदा मिला है, उन्हें भी 10 प्रतिशत कोटा दिया जाये और जिन्हें सबसे ज़्यादा फायदा मिला है, उन्हें 7 प्रतिशत फायदा दिया जाए।

वर्ष 1989 में VP सिंह सरकार द्वारा पारित ओबीसी कोटा नियम ने देश की राजनीति को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। हालांकि, यह कभी अपने अंजाम को पूरा नहीं कर पाया। अब सरकार इस आरक्षण प्रणाली पर पुनर्विचार करने जा रही है, जिसके बाद ज़मीन पर हमें इसके फायदे देखने को मिल सकते हैं।

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