दुनियाभर के रामभक्तों के लिए 5 अगस्त 2020 की तारीख कोई आम तारीख नहीं है। आज ही के दिन अयोध्या में श्री राम के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी गयी है। इससे पहले भूमि पूजन के शिलान्यास कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें हिस्सा लेने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कोरोना के चलते सभी सावधानियाँ बरती। प्रधानमंत्री मोदी और अयोध्या का नाता कोई नया नहीं है, बल्कि भाजपा नेता रहते हुए वे रामजन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण का समर्थन कर चुके थे। आप में से शायद ही किसी को पता होगा कि प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 1991 में अयोध्या में आए थे और तब उन्होंने प्रण लिया था कि वे उसके बाद अयोध्या तभी जाएंगे जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा। उस घटना के लगभग 29 साल बाद आज आखिरकार वे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मौके पर अयोध्या पहुंचे थे।
यह बेहद ही दिलचस्प घटना है। आज से ठीक 29 साल, 7 महीने और 13 दिन पहले पीएम मोदी अयोध्या के दौरे पर आए थे। तब वे गुजरात भाजपा के एक छोटे से नेता थे और वे तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे। उस वक्त पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी जोशी की यात्रा को कवर कर रहे थे। पत्रकार त्रिपाठी के मुताबिक जब उन्होंने मुरली मनोहर जोशी से पूछा था कि आपके साथ में खड़ा यह नौजवान कौन हैं? तो जोशी ने जवाब में कहा था कि यह गुजरात से आने वाले भाजपा नेता हैं। नरेंद्र मोदी उस समय भाजपा की राष्ट्रीय चुनाव समिति के सदस्य थे।
उस वक्त महेंद्र त्रिपाठी ने नरेंद्र मोदी से एक सवाल पूछा था। सवाल था कि वे अयोध्या अब अगली बार कब आएंगे! इसपर नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया था “जिस दिन राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा, उस दिन वापस अयोध्या आऊंगा”। आज बिलकुल वही बात साबित भी हो गई है। पीएम मोदी ने खुद अपने हाथों से राम मंदिर का शिलान्यास किया है। आज से 29 साल पहले शायद पीएम मोदी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें यह शुभ अवसर प्राप्त होगा, वो भी देश के प्रधानमंत्री के तौर पर! हालांकि, आज सच्चाई सबके सामने हैं।
भाजपा का शुरू से ही मानना रहा है कि इस भूमि पर श्री राम का भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। भाजपा ने राम मंदिर को शुरू से ही अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाकर रखा है। हालांकि, राम मंदिर का सपना पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में ही पूरा हो पाया है। पिछले वर्ष 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दे दी गयी थी, जबकि मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया था। उसके बाद आज जाकर राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया है। उम्मीद है कि आने वाले कुछ सालों में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा और फिर दुनियाभर के रामभक्त अयोध्या आकर अपने भगवान का नाम ले सकेंगे। करीब 500 वर्ष पुराने इस विवाद को जिस प्रकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा सुलझाया गया है, इसके लिए इतिहास कभी उनका नाम नहीं भुला पाएगा।