राजस्थान में आपसी फूट और खींचतान का शिकार कांग्रेस इस तरह से परेशानियों में उलझती जा रही है की उसे निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। 2019 की हार को एक साल से अधिक बीत चुके हैं और सोनिया पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं जबकि वास्तविकता ये है कि कांग्रेस नेतृत्व के संकट से गुजर रही है। यही कारण है की कांग्रेस समय रहते मध्य प्रदेश और राजस्थान के सियासी उठापटक को शांत नहीं कर पाई है।
कांग्रेस को लगातार मिल रही असफलताओं का नतीजा यह हुआ है कि अब कांग्रेस में अंदरूनी कलह पहले से अधिक खुलकर सामने आने लगी है। पार्टी के पुराने और नए नेता या कहें राहुल और सोनिया गांधी के समर्थकों के बीच विवाद बढ़ गया है। जहाँ नए नेताओं का मानना है कि कांग्रेस की लगातार असफलताओं का कारण UPA सरकार की नीतियां हैं, वहीं पुराने नेताओं ने राहुल गांधी की टीम और उनके नेतृत्व में चलाए गए चुनावी अभियान को इसका जिम्मेदार माना है।
राहुल खेमे के राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने पुराने नेताओं पर निशाना साधते हुए बयान दिया कि “आत्मनिरीक्षण की हर प्रकार से जरुरत है लेकिन हम 44 सीटों तक कैसे सिमटे इसे भी देखना चाहिए। हम 2009 में 200 से अधिक थे और आप सभी कह रहे हैं कि आत्मनिरीक्षण की जरूरत अब है। तब आप सभी मंत्री थे। साफ़ तौर पर कहा जाए तो इसका भी निरिक्षण होना चाहिए कि आप सभी कहाँ पर फेल हुए। आपको UPA के दूसरे शासन काल से निरिक्षण शुरू करना चाहिए।”
सातव के सीधे प्रहार से बौखलाए पुराने नेताओं ने भी पलटवार किया। आनंद शर्मा ने ट्विटर पर जवाब देते हुए कहा कि ” कांग्रेस के लोगों को UPA II के शासन पर गर्व करना चाहिए। कोई भी भाजपा से यह उम्मीद नहीं करता कि वो हमारे शासन का श्रेय हमें देगी, लेकिन हमारे अपनों को हमारे शासन का सम्मान करना चाहिए और उसे नहीं भूलना चाहिए। “
Congressmen must be proud of UPA's legacy. No party disowns or discredits it's legacy. Nobody expects the BJP to be charitable and give us credit but our own should respect and not forget. (11/11)
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) August 1, 2020
मनीष तिवारी ने बयान दिया कि “भाजपा 2004 -14 तक दस वर्षों तक शासन से बाहर रही लेकिन उन्होंने एक बार भी अपनी परिस्थितियों के लिए वाजपयी को या उनके शासन को दोष नहीं दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश कांग्रेस में गलत जानकारी रखने वाले ऐसे लोग हैं जो भाजपा से लड़ने के बजाए मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले UPA शासन पर आरोप लगा रहे हैं।“
BJP was out of Power for 10 yrs 2004-14. Not once did they ever blame Vajpayee or his Govt for their then predicaments
In @INCIndia unfortunatly some ill -informed ‘s would rather take swipes at Dr. Manmohan Singh led UPA govt than fight NDA/BJP.
When unity reqd they divide.
— Manish Tewari (@ManishTewari) August 1, 2020
मनीष तिवारी के बयान की तारीफ करते हुए कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय छोड़ते वक्त कहा था की इतिहास मेरे प्रति नम्र होगा। मिलिंद और मनीष तिवारी के बयानों से शशि थरूर ने भी स्वीकृति जताते हुए कहा कि हमें अपनी असफ़लतों से सीखते हुए कांग्रेस को दुबारा जीवित करना चाहिए लेकिन हमें अपने वैचारिक विरोधियों के हाथ में खेलना नहीं चाहिए।
I agree with @ManishTewari & @milinddeora. UPA's transformative ten years were distorted & traduced by a motivated & malicious narrative. There's plenty to learn from our defeats & much to be done to revive @INCIndia. But not by playing into the hands of our ideological enemies. https://t.co/Ui6WUlBl3F
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 1, 2020
वास्तव में बहस इसलिए छिड़ी है क्योंकि कांग्रेस का युवा वर्ग राहुल गांधी के नेतृत्व में लगातार मिल रही असफलताओं के बाद भी पार्टी की नीतियों में बदलाव के लिए तैयार नहीं है। यही कारण था कि हाल ही में पार्टी के प्रवक्ता संजय झा को भी पार्टी से निकाल दिया गया था क्येंकि उन्होंने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए थे। राहुल गांधी अपने रवैये और पॉलिटिकल स्टैंड के जरिये अक्सर कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर देते हैं। जैसे उन्होंने चीन के मुद्दे पर किया था। तब कांग्रेस के नेता ही नहीं उनके सहयोगी दल भी इस मामले पर राजनीति के खिलाफ थे, लेकिन राहुल ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को मोदी सरकार पर हमलावर न होने के कारण आड़े हाथों लिया गया।
कांग्रेस आज जिस समस्या का सामना कर रही है उसका कारण विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस का अस्पष्ट रुख है। कांग्रेस की सारी रणनीति पिछले वर्षों में सिर्फ विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने तक ही सीमित रही है, बजाए कोई बेहतर विकल्प सुझाने के। कांग्रेस अपनी नीतियों और विचारधारा के स्तर पर संकट से जूझ रही है, यही कारण है कि अब टकराव खुलकर दिखाई दे रहे हैं।