वो कहावत तो आपने खूब सुनी होगी, “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली!” यह कहावत काँग्रेस पर इस समय बिलकुल फिट बैठती है। श्री राम मंदिर के काम में रोड़े अटकाने के लाख प्रयास करने के बाद अब जब भूमि पूजन का मार्ग प्रशस्त हो चुका है, तो कांग्रेस अपनी राम भक्ति दिखाने के लिए मैदान में उतर आई है। खबरों के अनुसार छत्तीसगढ़ की काँग्रेस सरकार श्री राम के ननिहाल के सौंदर्यीकरण को अपनी स्वीकृति दे चुकी है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या से 800 किलोमीटर दूर स्थित छतीसगढ़ के चंदखुरी के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव को भूपेश बघेल की सरकार ने स्वीकृत किया है और जल्द ही इसे लागू करने की बात की गई है। विदित हो कि चंदखुरी वो स्थान है जहां श्री राम की माँ कौशल्या देवी का जन्म हुआ था और ये स्थान श्री राम के ननिहाल के रूप में प्रसिद्ध है। इस स्थान पर कौशल्या देवी को समर्पित एक अनोखा मंदिर है। जो एक पोखर के बीचोबीच स्थित होने से विश्व के सबसे अनोखे धर्मस्थलों में से एक है।
इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ सरकार ने श्री राम जन्मभूमि निर्माण के उपलक्ष्य में अपनी निजी योजना का भी शुभारंभ किया है, जिसका नाम है ‘राम वन गमन पथ योजना‘, जिसमें श्री राम और माता सीता एवं लक्ष्मण द्वारा वनवास में जिन भी जगहों पर रुके थे, उन सभी स्थानों को चिन्हित कर उनके सौंदर्यीकरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने आदेश दिए हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण का स्वागत किया है और ये आशा जताई है कि एक भव्य मंदिर का निर्माण जल्द ही होगा।
परंतु कांग्रेस में ये राम भक्ति कब से आ गई? जिस पार्टी ने कभी डंके की चोट पर कहा था कि श्री राम का कोई अस्तित्व नहीं, वह आज श्रीराम के नाम पर वाहवाही क्यों बटोरना चाहती है? वजह स्पष्ट है – काँग्रेस किसी भी तरह बैकफुट पर नहीं रहना चाहती। जिस तरह से कांग्रेस श्री राम जन्मभूमि परिसर के राह में रुकावट डालकर जनता के कोपभाजन का शिकार बनी थी उससे वे भली-भांति समझ चुकी है कि आगे एक भी गलती उन्हे राजनीति से हमेशा के लिए मिटा सकती है।
लेकिन ये कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी काँग्रेस राफेल मुद्दे पर इस तरह का दोगलापन दिखा चुकी है। वर्षों तक एनडीए द्वारा सम्पन्न डील को घोटाला सिद्ध करने पर तुली राफेल के भारत आते ही सुर बदलते हुई ट्वीट करवाते हैं कि राफ़ेल उनकी कृपा से भारत आया। इससे पहले शायद ही कभी चंदखुरी की ओर काँग्रेस ने ध्यान दिया हो , परंतु अब जब भूमि पूजन पर उनके सभी हथकंडे असफल हो गए, तो उन्होने अब चंदखुरी को अपनी ढाल बना लाइमलाइट में बने रहने का बचकाना प्रयास किया है।
काँग्रेस ने श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण में अनेकों बाधाएँ डाली थी। चाहे वकील के तौर पर कपिल सिब्बल द्वारा पवित्र भूमि को सौंपने में रोड़े अटकाने हो या फिर भूमि पूजन के विरुद्ध अपने चाटुकारों द्वारा पीआईएल दाखिल कराना हो या फिर भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा ही क्यों न करानी हो। काँग्रेस ने हर कदम पर श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण में रोड़े अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन अबकी बार जनता ने उनकी दाल नहीं गलने दी, जिसके कारण अब काँग्रेस अपने आप को राम भक्त दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।