दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक, देश की Academia राष्ट्र-विरोधी कूड़े से भरी पड़ी है, इसे अभी साफ करना होगा

शिक्षा की आड़ में देश विरोध अब नहीं चलेगा!

शिक्षा

मंगलवार को दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पूछताछ की। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने अपूर्वानंद का मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया। दिल्ली हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हिंसा के पीछे की बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज किया है। शिक्षा जगत में यह पहला मामला नहीं है जब कोई शिक्षक इस तरह की देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया गया हो। कुछ ही दिनों पहले चर्चित भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानि NIA ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हनी बाबू एमटी के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी की थी। हनी बाबू पर नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रचार करने तथा दूसरे आरोपियों के साथ भीमा-कोरेगांव हिंसा में शामिल होने का आरोप लगा है। वहीं महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामले में एक और आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) के सामने इसी वर्ष अप्रैल में सरेंडर किया था।

शिक्षा भारत की आत्मा है और इस आत्मा की स्वक्छ्ता ही एक सुनहरे भविष्य का निर्माण करती है। शिक्षा वैश्विक दृष्टिकोण और नैरेटिव को आकार देती है तथा भविष्य की पीढ़ियों को आकार देती है। परंतु भारत में अंग्रेजी आक्रमण और मैकुले शिक्षा नीति के कारण भारत का शिक्षा जगत गंदगी, नीचता और मलिनता से भर चुका है जिसकी शुद्धि अतिआवश्यक है। आज भारत के शिक्षा जगत में सभी प्रकार के अपराधों, जैसे झूठ, प्रोपोगेंडा से लेकर महिला प्रताड़ना और हिंसा करवाने और आतंकियों के लिए सहानुभूति पाई जाती है। इस गंदगी का सिर्फ एक की कारण है और वह शिक्षा जगत में वामपंथी विचारधारा का प्रबल होना।

उदाहरण के लिए, आज के कुछ कट्टरपंथी शिक्षकों और प्रोफेसरों द्वारा छात्रों को “हिंदुस्तान और हिंदुओं से आज़ादी” के लिए उकसाया जाता है और आतंकियों के लिए सहानुभूति कार्यक्रम कराये जाते हैं। यही नहीं जब MeToo कैम्पेन चला था तब राया सरकार नाम की एक वकील ने शिक्षा जगत के कई लोगों का नाम सामने लाया था जो यौन उत्पीड़न के आरोपी थे। इन नामों में Partha Chatterjee, Ahmer Anwar, Prasanta Chakraverty and Lawrence Liang जैसे नाम भी थे। राया सरकार की लिस्ट में 29 संस्थानों का जिक्र किया गया था, जहां कथित तौर पर उत्पीड़न की घटनाएं हुईं थी। इसमें सामान्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय, अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली और जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता; नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी; अशोक विश्वविद्यालय, FTII के प्रोफेसर भी शामिल थे।

भीमा कोरेगांव के सभी आरोपी किसी न किसी प्रकार से शिक्षा जगत से जुड़े हुए हैं। जब देश में CAA के विरोध प्रदर्शन के नाम पर जलाया जा रहा था तब जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अहमद अबरार ने ट्वीट कर यह बताया था कि उहोंने CAA का समर्थन करने वाले सभी गैर-मुस्लिम छात्रों को फेल कर दिया है। ये तो वो प्रोफेसर्स हैं जो नामी संस्थान से हैं या नाम मे बड़े हैं इसलिए इनकी करनी सामने आ जाती है।

ये दुर्भाग्य की बात है कि देश के शिक्षक और कुछ इतिहासकार कभी किसी दंगे के दोषी तो कभी किसी अपराध में शामिल तो कुछ नक्सली हैं। वामपंथी विचारधारा रखने वाले ये प्रोफेसर और तथाकथित बुद्धिजीवी देश को तोड़ने की बात को बौद्धिक नाम देते हुए Freedom Of Expression, self-determination, peoples’ movement and the kindred political jargons जैसे भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिससे वे अपनी वास्तविक मंशा के ऊपर एक पर्दा डाल सके। भारत को Aryan Invasion Theory के नाम पर देश को उत्तर-दक्षिण में बांटने से लेकर राम जन्म भूमि के सच को छिपाने तक, देश को हिंसा के आग में धकेलने से लेकर नक्सलियों की मदद तक में शिक्षा जगत का ही हाथ है।

आखिर यह नीचता और मलिनता का उदाहरण नहीं है तो क्या है? भारत में गुरु का स्थान आराध्य से भी ऊपर माना जाता है। हमारा देश “गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः” की राह पर चलने वाला देश है। आज भारत का शिक्षा जगत अपने ही देश में हिंसा और छात्रों से नीचता करने वालों से पटा हुआ दिखाई दे रहा है। शिक्षा किसी भी देश की रीढ़ होती है और अगर यह दूषित हो जाए तो शरीर अपने स्थान पर खड़ा भी नहीं हो सकता है। आज देश को सबसे अधिक अपने शिक्षा जगत को स्वच्छ करने की आवश्यकता है। हालांकि, नई शिक्षा नीति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। अगर देश के भविष्य को सुरक्षित करना है तो इसमें सभी जागरूक जनता को मिल कर काम करना होगा जिससे इस क्षेत्र की गंदगी की सफाई हो सके।

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