चीन के साथ टकराव के बाद से ही मोदी सरकार लगातार ऐसे फैसले ले रही है जो न सिर्फ चीन की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहे हैं, बल्कि भारत के घरेलू उद्योगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। लद्दाख में हुए गतिरोध के दौरान जब गलवान घाटी में झड़प हुई, तब से अब तक भारत सरकार ने चीन की अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके दिए हैं। चीन के 59 ऐप्स बैन होने के बाद, सरकार ने चीन के 275 ऐप्स को अपनी निगरानी में लिया और इसके बाद जियो ने 5G की घोषणा कर चीन की दूरसंचार कंपनी हुवावे को करारा जवाब दिया।
इसी क्रम में अब भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले उपभोक्ता वस्तुओं को भारत के बाजार से बाहर खदेड़ने की नीति पर काम करना शुरू कर दिया है, जिससे भारत के घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा मिल सके। हिदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के एक अधिकारी ने बताया है कि कलर टीवी को अब रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में डाल दिया गया है, जिसके कारण अब विदेशों से कलर टीवी के आयात के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होगी। इसका मूल उद्देश्य चीन के टीवी को भारतीय बाजार में आने से रोकना है।
भारत का टेलीविजन बाजार 15000 करोड़ के आसपास है, और इसमें अब तक 36% हिस्सेदारी चीन व दक्षिण पूर्वी एशिया के टेलीविजन निर्माताओं का था। रिपब्लिक की रिपोर्ट के अनुसार इससे चीन को लगभग 1 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, अब तक चीन भारत की नीतिगत खामियों का फायदा उठा रहा था। चीन में बने टीवी सेट किसी तीसरे देश के माध्यम से भारतीय बाजार तक पहुंच रहे थे। चीन ऐसे देशों को भारतीय बाजार तक पहुंच का माध्यम बना रहा था जिनके साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता है। किंतु अब सरकार ने इस रास्ते को रोकने के लिए ही यह कदम उठाया है। भारत का आसियान देशों के साथ UPA के शासनकाल में 2009 में मुक्त व्यापार हेतु समझौता हुआ था।
भारत में औद्योगिक उत्पादन कम रहने का एक सबसे बड़ा कारण भारत का पिछड़ा हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर रहा है। किंतु मोदी सरकार ने अपने शासन के दौरान इसमें काफी सुधार किया है। साथ ही कॉरपोरेट टैक्स में छूट भारत में औद्योगिक विकास को तेजी देने के लिए उठाया गया दूसरा महत्वपूर्ण कदम था। ऐसे में विदेशी उत्पादकों की भारतीय बाजार पर पकड़ यदि ढीली होती है तो भारत दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभर सकता है, यही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किये गए मेक इन इंडिया के सपने को भी साकार कर सकता है।
भारत के विपरीत यदि चीन की बात करें तो यह उसके लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसका कारण यह है कि भारत आज दुनिया को चीन से लड़ने का तरीका समझा रहा है। भारत का चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिकी सरकार ने भी इस पर विचार करना शुरू किया है। आज दुनिया को भारत यह संदेश दे रहा है कि चीन के बाद भारत ही ऐसा सामर्थ्यवान देश है जो दुनिया का विनिर्माण केंद्र बन सकता है। इसी कारण अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हाल ही में भारत अमेरिका शिखर सम्मेलन में यह बात कही थी कि भारत वैश्विक उत्पादन श्रृंखला में चीन का विकल्प बन सकता है। यही कारण रहा है कि अमेरिका ने कोरोनावायरस के फैलाव के बाद भारत में भारी मात्रा में निवेश शुरू किया है। भारत सरकार ने भी इस बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप फैसला लेना शुरू किया है और उम्मीद की जा सकती है कि टीवी उत्पादन के क्षेत्र में हुए नियमों के बदलाव अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में भी देखने को मिले।