East China Sea में चीन की ठुकाई के बाद जापान ने वियतनाम को सौंपी अपनी “Killer boats”

मतलब जापान तो हाथ धोके चीन के पीछे पड़ा है

वियतनाम

निस्संदेह जापान इस समय पूर्वी चीन सागर में चीन की हेकड़ी को समाप्त करना चाहता है। परंतु अब जापान केवल वहीं तक सीमित नहीं है, अपितु दक्षिणी चीन सागर में चीन की हेकड़ी को समाप्त करने के अभियान में वियतनाम का भी साथ दे रहा है। जापान ने अभी हाल ही में वियतनाम के साथ हाथ मिलाते हुए एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसके अंतर्गत जापान वियतनामी नौसैनिक क्षेत्रों की रक्षा हेतु चीन से मोर्चा संभालने के लिए 345 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के पैट्रोलिंग बोट्स देगा।

अब जापान वियतनाम की सहायता ऐसे समय पर कर रहा है जब चीन रणनीतिक रूप से अहम नौसैनिक क्षेत्रों में घुसपैठ करने में लगा हुआ है, चाहे वह हिन्द महासागर हो, दक्षिण चीनी सागर हो या पूर्वी चीनी सागर ही क्यों न हो। दक्षिण चीनी सागर केवल रणनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बहुत अहम क्षेत्र है, क्योंकि यहां मछलियों से लेकर खनिज पदार्थ और तेल से जुड़े बहुमूल्य संसाधनों की भरमार और इसीलिए चीन इस क्षेत्र में एकछत्र राज्य करना चाहता है। चीन अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु नाइन डैश लाइन सिद्धान्त का उपयोग करता है, जहां उसके अनुसार दक्षिण चीनी सागर में चीन का नौसैनिक क्षेत्र चीनी तट से करीब 2000 किलोमीटर दूर तक स्थित है। इसका न कोई वैधानिक और न ही कोई ऐतिहासिक आधार है, पर ये तो चीन ठहरा।

 

 

 

अब चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा मजबूत करने के लिए आक्रामक रुख अपना रहा है। इसके अंतर्गत चीन ने पिछले कुछ महीनों से फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई एवं वियतनाम के नौसैनिक क्षेत्रों पर भी धावा बोला है। इसके कारण ASEAN गुट के देश अपने ही जल संसाधनों का उपयोग नहीं कर पा रहे। द डिप्लोमेट के अनुसार चीन की गुंडई के कारण वियतनाम को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स का नुकसान हुआ है।

अब वियतनाम उन देशों में से तो बिलकुल नहीं, जो अपने नुकसान पर भी मौन धारण करे। वियतनाम ने तुरंत चीन के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए चीन की दादागिरी पर उसे आड़े हाथों लिया। अपनी विचारधारा से ठीक उलट इस वर्ष ASEAN ने चीन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि चीन के लिए ये श्रेयस्कर रहेगा कि वह जल संसाधनों के उपयोग पर UNCLOS समझौते का सम्मान करे और अपनी हद में रहे। चूंकि इस वर्ष ASEAN का अध्यक्ष वियतनाम है इसलिए ये आक्रामकता ASEAN की ओर से स्वाभाविक भी थी।

इसके अलावा वियतनाम ने चीन की हेकड़ी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा लगाई गई मछ्ली पकड़ने पर रोक को भी अनदेखा किया। चीन के तुगलकी फरमान को ठेंगा दिखाते हुए वियतनाम ने अपने नागरिकों को चीन के इस अवैध प्रतिबंध के बारे में सूचित किया और कहा कि उन्हें चीन की धमकियों की परवाह करने की कोई आवश्यकता नहीं और वे वियतनाम की जल सीमा में रहते हुए बेफिक्र दक्षिण चीन सागर में मछली पकड़ सकते हैं।

वियतनाम के स्वभाव को देखते हुए अमेरिका ने भी वियतनाम को अपना समर्थन देने का निर्णय किया है। | हाल ही में वियतनाम और अमेरिका ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है जिसमें अमेरिका बिना शर्त के वियतनामी मछुआरों की चीनी गुंडई से सहायता करने के लिए आगे आएगा। वियतनाम अब चीन के सबसे तीखे विरोधियों में से एक बन चुका है और उसने चीन की गुंडई को दक्षिण चीन सागर से लात मारकर खदेड़ने की कसम खाई है। अब जापान के साथ सैन्य समझौता कर वियतनाम ने अपना कद और अपनी स्थिति दोनों मजबूत की है, और इसका अर्थ एक ही है – अब चीन की खैर नहीं।

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