नौकरियाँ खत्म! कोरोना जाते-जाते चीन से नौकरियाँ भी ले गया, देश में फैली भयंकर बेरोज़गारी

करीब 30 करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में!

चीन

(pc - sunday guardian )

कोरोना के कारण पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही है और चीन में हालत तो बद से बदतर होते जा रहे हैं। कोरोना के फैलाव के बाद चीन ने दुनिया को इस गंभीर बीमारी की सूचना दी। इसके बाद जब ऑस्ट्रेलिया ने जांच की माँग उठाई तो उसके साथ भी आक्रामक व्यवहार किया। चीन की यह आक्रामकता भारतीय बॉर्डर और दक्षिणी चीन सागर में भी दिखाई दी।

इसका नतीजा यह हुआ कि दुनिया की प्रमुख शक्तियां CHINA विरुद्ध एकजुट हो गईं। भारत, अमेरिका, जापान आदि देशों द्वारा चीन की अर्थव्यवस्था पर किये जा रहे हमले का असर अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत होने का घमंड रखने वाले देश  पर साफ़ दिख रहा है।

कोरोना के कारण चीन की अर्थव्यवस्था तो बुरी तरह ध्वस्त हुई ही, उसके आक्रामक व्यवहार के कारण वहां पर मौजूद कंपनियों ने भी चीन छोड़ना शुरू कर दिया है। नतीजा, करोड़ों चीनियों को बेरोजगार होने पर मजबूर होना पड़ा है। हांगकांग के अखबार की रिपोर्ट के अनुसार चीन में अभी करीब 20 करोड़ से अधिक लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, जो चीन की कुल कार्यरत जनसंख्या का 30 प्रतिशत के लगभग है। जबकि चीन की सरकार ने जो बेरोजगारी में गिरावट का आंकड़ा दिया था वह इससे पांच गुना कम था। रिपोर्ट के अनुसार इसमें बड़ी संख्या में ऐसे श्रमिक हैं जो गावों से शहरों में काम की तलाश में आते थे।

प्रवासी मजदूर अधिकांशतः विनिर्माण इकाइयों में श्रमिकों की नौकरी करते हैं। यहाँ  बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो साल भर इसी तरह अलग-अलग निर्माण इकाइयों में काम करते थे। इनकी नौकरियों का बड़ी संख्या में खत्म होना बताता है कि विभिन्न कंपनियों के चीन छोड़कर जाने का असर दिखने लगा है।

साथ ही एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार यहाँ  बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी बेरोजगार हुए हैं जो सेवा क्षेत्रों में लगे थे। सेवा क्षेत्र की नौकरियां पूर्णतः आम लोगों द्वारा अपनी सुख-सुविधा पर खर्च और निर्माण इकाइयों के सहयोगी प्रतिष्ठानों से जुड़ी होती हैं, जैसे रेस्टोरेंट सिनेमा की नौकरियां या माल ढुलाई के लिए चलने वाली गाड़ियां आदि। सेवा क्षेत्रों में रोजगार सृजन जहाँ बढ़ती अर्थव्यवस्था को दिखाता है, वहीं इसमें गिरावट ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था की दूसरी निशानी है। ये दोनों बातें जाहिर करती हैं कि यहाँ हालात कितने खराब हैं।

इसी बीच अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर और गहराती जा रही है। अमेरिका ने अपने क्लीन नेटवर्क योजना के माध्यम से दुनिया के सभी देशों के प्रमुख निर्माताओं को यह स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि अब उन्हें अमेरिकी धड़े और चीनी धड़े में किसी एक को चुनना होगा। ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था की हालत और ख़राब होने की पूरी संभावना है। चीन में फैक्ट्रियां बंद होने के कारण हालत पहले से ही ख़राब हैं और वर्तमान वैश्विक समीकरणों में इस बात की उम्मीद करना कि दुबारा निवेश मिलेगा यह कोरी कल्पना ही है।

हाल ही में एक खबर आई थी कि वियतनाम की सरकार ने बड़े पैमाने पर ऐसे चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया है जो अवैध तरीके से वियतनाम में घुस रहे थे। वियतनाम सरकार के मुताबिक ये लोग वियतनाम में खाने और नौकरी की तलाश में आये थे। ये सभी खबरें बताती है कि चीन दुनिया में अपनी ताकत का जितना भी प्रदर्शन कर ले, वास्तविकता उससे बहुत अलग है जो धीरे-धीरे सबके सामने आ रही है।

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