दिल्ली दंगों के बाद अब एक बार फिर से बेंगलुरू में हुए दंगों में PFI और उसके राजनीतिक अंग SDPI का हाथ होने की खबर आई है। बेंगलुरू पुलिस ने इन दंगों को लेकर SDPI के संयोजक मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार कर लिया है।
कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि ने इसे एक नियोजित दंगा करार दिया और कहा कि सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के एक घंटे के भीतर हजारों लोग इकट्ठा हुए और 200-300 वाहनों और विधायक के आवास पर हमला कर दिया। यह कोई आम बात नहीं है कि एक सोशल मीडिया पोस्ट पर रात को एक साथ 300 लोग जमा हो जाते हैं और इस तरह से उत्पात मचाते हैं।
I think it was a planned riot. Within an hour of a post on social media thousands of people gathered & damaged 200-300 vehicles & MLA's residence. We'll take serious action. It was an organised incident. SDPI is behind it: Karnataka Minister CT Ravi on violence in Bengaluru city. pic.twitter.com/RwwKYpFYkI
— ANI (@ANI) August 12, 2020
यहाँ सबसे हैरानी की बात है कांग्रेस नेताओं की चुप्पी। कांग्रेस के विधायक पर इस तरह का जानलेवा हमला होता है लेकिन फिर भी कांग्रेस के नेता चुप्पी बनाए रखते हैं। अब इस चुप्पी का कारण भी सामने आ गया है और वह है इन दंगों से SDPI का संबंध। कांग्रेस और PFI के पुराने संबंध रहे हैं यहाँ तक कि कांग्रेस के नजदीकी रहें हामिद अंसारी PFI के कार्यक्रम में भी शामिल हो चुके हैं और कपिल सिब्बल इस संगठन के लिए केस तक लड़ चुके हैं। अब कांग्रेस की चुप्पी का कारण कहीं न कहीं PFI से भी जोड़कर देखा जा रहा है और देखा भी जाना चाहिए। शाहीन बाग प्रोटेस्ट में भी कांग्रेस और AAP का PFI के साथ कनेक्शन सामने आया था।
बता दें कि वर्ष 2009 में स्थापित, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानि PFI का राजनीतिक संगठन है। SDPI पूरे देश में विभिन्न नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोध प्रदर्शनों के आयोजन में बहुत सक्रिय भूमिका में था।
PFI भी हिंसक और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। यही नहीं दंगाइयों को फण्ड देकर उन्हें बढ़ावा देते हैं। ED ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया कि PFI के कार्यकर्ता देशभर से चंदा इकट्ठा करके शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को फंडिंग कर रहे थे और लगभग 15 खातों में कुल 1 करोड़ से अधिक की राशि जमा की गई थी। इससे पहले भी ईडी ने कहा था कि शाहीनबाग के प्रोटेस्ट में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कई नेता शामिल थे और ये लगातार इस्लामिक संगठन PFI के संपर्क में थे। यही नहीं, दिल्ली हिंसा में संलिप्त संगठन PFI ने ताहिर हुसैन का बचाव करते हुए कहा था कि उसकी कोई गलती नहीं थी, वह गंदी राजनीति का शिकार बना है।
BIG #EXCLUSIVE #Breaking | ED (@Dir_ED) drops another bombshell, 2 days ahead of Delhi Assembly elections, PFI-Shaheen Bagh link out. Political party named by ED.
ED sends sealed cover report to Home Ministry. | Madhavdas G with details. pic.twitter.com/aq8nDhSFxz
— TIMES NOW (@TimesNow) February 6, 2020
PFI इन दंगों के लिए फंडिंग करता है और दंगों की प्लानिंग भी करता है। यही नहीं, PFI को इतने पैसे बाहरी तत्वों से मिलते हैं, दिल्ली हिंसा में खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि दिल्ली में हिंसा के लिए तुर्की और ईरान से पाकिस्तान के माध्यम से फंड मिल रहा था।
पिछले दिनों काबुल में स्थित गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमला करने वाले आतंकयों के बारे में सूचना देते हुए केरल पुलिस ने बताया था कि आत्मघाती हमला करने वालों में शामिल एक हमलावर न केवल केरल से संबन्धित था, बल्कि PFI का हिस्सा भी था। केरल में कट्टरपंथी इस्लामियों द्वारा जिहाद को बढ़ावा देने में PFI का बहुत बड़ा हाथ रहा है। जब देश भर में CAA के खिलाफ दंगे हुए थे तो उसमें PFI का नाम सबसे ऊपर आया था। चाहे वो असम हो या उत्तर प्रदेश, इन राज्यों से PFI के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई थी। शाहीन बाग में अराजकता फैलानी हो, या फिर पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काने हो, PFI की भूमिका हर जगह उजागर हुई है। अब बेंगलुरु दंगे में भी इस संगठन का हाथ नजर आ रहा है।
ऐसे में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर क्यों भारत PFI के विरुद्ध कोई ठोस निर्णय नहीं लेता? जब इसमें कोई संदेह नहीं है कि पीएफआई का नाम हर दंगे में सामने आ रहे हैं और सबूत भी मिल रहे हैं। यही नहीं, सभी को यह पता है कि PFI उसी SIMI संगठन का हिस्सा है, जो आतंकी गतिविधियों की वजह से 2001 से प्रतिबंधित है, तो इसपर सरकार कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं करती? जिस तरह से PFI देश के राज्यों को अस्थिर करने के प्रयास कर रहा, अब यह संगठन देश की सुरक्षा और शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और इस संगठन को बैन कर तहस-नहस कर देना चाहिए।