भारत ने जून के अंत में 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाकर तकनीकी क्षेत्र में चीन के वर्चस्व पर लगाम लगाने के लिए एक अहम कदम उठाया था। लेकिन भारत के इस कदम का वैश्विक स्तर पर कितना असर पड़ेगा, इसका आभास तो शायद किसी को भी नहीं था। भारत के इस कदम से प्रेरित होते हुए अमेरिका ने भी चीनी टेक कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए युद्धस्तर पर काम प्रारम्भ कर दिया। और अब इसी रास्ते पर चलते हुए ताइवान ने भी चीनी टेक कंपनियों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया है।
न्यूज़ एजेंसी WION की एक रिपोर्ट के अनुसार ताइवान ने चीनी विडियो स्ट्रीमिंग कंपनी Tencent और Qiyi पर प्रसारण नियमों का उल्लंघन करने और गैर कानूनी तरीके से काम के लिए प्रतिबंधित किया है। रिपोर्ट में कहा गया, “मंगलवार को ऑनलाइन प्रकाशित किए गए एक नोटिस के अनुसार Tencent और Qiyi पर आरोप है कि वे ताइवान में अवैध तरीके से स्थानीय केबल ऑपरेटर्स के साथ काम करते हुए अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।“
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ताइवान ने चीन या चीन से संबन्धित किसी एप पर कानूनी कार्रवाई की हो। इससे पहले ताइवान ने चीनी मूल के अमेरिकी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप, ज़ूम पर भी प्रतिबंध लगाया था। ताइवान ने ये निर्णय ठीक अप्रैल महीने की शुरुआत में लिया था, जब आधी दुनिया कोरोना वायरस से अपने आप को बचाने के जद्दोजहद में लगी हुई थी। ताइवान ने ज़ूम पर प्रतिबंध लगाते हुए ये कहा था कि, इस एप का डेटा चीन के सर्वर से गुजरते हुए जाता है। और उस डेटा के साथ चीन छेड़खानी न करे, ऐसा हो नहीं सकता।
इस निर्णय से अब चीनी कंपनी Tencent पर काफी नकारात्मक असर पड़ने वाला है। यह असर ठीक उसी तरह होगा जैसे अमेरिका की कार्रवाई के बाद Huawei की छवि पर हुआ था। बता दें, कि ये वही Tencent है, जिसने PUBG के साथ-साथ कई प्रचलित Android एप्स में निवेश कर, इंटरनेट की दुनिया में अपना वर्चस्व जमाया है।
पिछले कुछ महीनों में कई देशों ने चीनी कंपनियों के विरुद्ध एक्शन लेने की बात की थी, क्योंकि चीन की कंपनियों पर दूसरे देशों के डेटा और अन्य संसाधनों के साथ समझौता करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। लेकिन इस दिशा में सबसे प्रभावशाली कदम सबसे पहले भारत ने उठाया, जब केंद्र सरकार ने टिकटॉक सहित 59 चीनी एप्स पर पूर्णकालिक प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन भारत इतने पर नहीं रुका। भारत ने आगे 47 ऐसे एप्स प्रतिबंधित किए, जो या तो प्रतिबंधित चीनी ऐप्स की नकल थे या फिर चीन से संबंध रखते थे। इसके अलावा चीन द्वारा किसी भी ऐप में निवेश को ध्यान में रखते भारत ने 250 से अधिक ऐसे ऐप्स की सूची तैयार की, जिनमें चीन के निवेश को देखते हुए आगे कार्रवाई की जा सकती है।
दरअसल, भारत द्वारा चीनी ऐप्स को बैन करने के कदम से अधिकांश देश काफी प्रभावित हुए थे। अमेरिका Huawei के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई तो कर ही रहा था, इसके साथ-साथ ट्रम्प सरकार ने चीनी टेक कंपनियों पर भी कार्रवाई करनी शुरू कर दी। ट्रम्प ने TikTok पर चीनी प्रभाव को खत्म करने के पूरे इंतजाम पहले ही कर लिए हैं। संभावित TikTok-Microsoft डील के बाद अब यह कंपनी अमेरिका में चीनी कंपनी नहीं बल्कि अमेरिकी कंपनी कहला सकती है।
अब जिस तरह ने ताइवान ने चीन के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए, चीन की प्रमुख टेक कंपनी Tencent पर अपना हंटर चलाया है, उससे एक बात तो बिलकुल स्पष्ट है – भारत और अमेरिका की भांति ताइवान भी अपने आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं करेगा। ताइवान की वर्तमान प्रमुख त्साई इंगवेन के नेतृत्व में चीन के विरुद्ध ताइवान ने मोर्चा पहले से ही संभाला हुआ है, लेकिन इस निर्णय से ताइवान ने सिद्ध किया कि चाहे कुछ भी हो जाये, पर अब उनके देश में चीन की दादागिरी नहीं चलेगी।