चीन के लिए साल 2020 किसी बुरे सपने से कम नहीं है। पहले तो उसने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने के कारण सभी देशों से अपनी थू-थू करवाया, फिर भारत से सीमा पर भी और डिजिटल क्षेत्र में भी उसे को मुंहतोड़ जवाब मिला और अब, अमेरिका भी उसके खिलाफ इतना मुखर होकर सामने आया है, जितना वह किसी ज़माने में सोवियत संघ के खिलाफ हुआ करता था। कोरोना के कारण चीन की जनता में घोर असंतोष है और चीनी अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक करारे झटके लग रहे हैं।
अब इसी क्रम में, साउथ कोरिया के टेक दिग्गज सैमसंग ने चीन को झटका देते हुए यह घोषणा की है कि वह चीन में अपने आखिरी कंप्यूटर प्रोडक्शन यूनिट को बंद करने जा रहा है। दक्षिण कोरिया जापान के बाद दूसरा ऐसा एशियाई देश है जिसकी दिग्गज कंपनियां चीनी जमीन को छोड़ कर दूसरे देशों में अपनी मैनुफैक्चुरिंग यूनिट्स लगाने जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग अपनी कंप्यूटर विनिर्माण की आखिरी चीनी इकाई को बंद करने जा रहा है। इसका कारण है, कोरोना संक्रमण से चीनी लेबर का बढ़ता वर्क कॉस्ट और अमेरिका-चीन के बीच चल रहा ट्रेडवॉर।
बता दें कि दक्षिण कोरियाई कम्पनी सैमसंग ने, चीन में अपने मोबाईल विनिर्माण की आखरी इकाई पिछले साल ही बंद कर दी थी। सैमसंग की ओर से जारी ताज़ा बयान में कहा गया है कि कंपनी चीन के लोगों को अपने उच्च उत्पाद और अपनी सेवाएं देती रहेगी। अब इससे यह बात साफ्द है कि, सैमसंग चीन के बड़े बाजार में तो बने रहना चाहता है लेकिन वह यह भी चाहता कि चीन में वह किसी भी प्रकार का निर्माण ना करे।
जापान पहले ही अपनी कंपनियों को चीनी जमीन छोड़ने के लिए अपने सरकारी मदद दे रहा है। जुलाई में जापान के वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि जापान की 87 कंपनियों को 653 मिलियन डॉलर की मदद दी जा रही है जिससे वे चीन में अपने विनिर्माण कार्य को बंद करके वहाँ से बाहर निकलें और दूसरे देशों में अपने मैनुफैक्चुरिंग यूनिट्स लगाएं।
भारत ने भी मोबाइल उद्योग से लेकर कोयला भंडार के आवंटन तक, हर क्षेत्र में चीन को बाहर रखने की योजना तैयार कर ली है। वहीं अमेरिका ने भी चीनी डाटा चोरी पर सख्त कदम उठाते हुए उसे इंटरनेट से जुड़े हर क्षेत्र से बाहर करने की योजना बनाई है। पहले ही अमेरिका और भारत के मिलकर चीन की ऐप्स इकॉनमी को भारी चोट पहुंचा रहा हैं उस पर सैमसंग का यह फैसला उसके घाव पर मिर्ची का काम करेगा। सैमसंग जो हार्डवेयर निर्माण के सबसे बड़े नामों में से एक है उसका चीन के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर से पूर्णतः अलग हो जाना इस ओर संकेत करता है कि सब चीन की अर्थव्यवस्था हार्डवेयर के मामले में भी मुसीबत का सामना करेगी।
जुलाई के शुरुआत में आई एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में स्थित हर तीन में से एक कंपनी वहां का काम को छोड़ना चाहती है। ग्लोबल सप्लाई चेन की प्रमुख कंपनियों का चीन के प्रति यह रुख चीनी अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी था और अब उसका असर तेजी से दिख भी रहा है। अब सैमसंग जैसी बड़ी कंपनी ने भी बीजिंग से अपना रुख मोड़ लिया है, तो यह प्रक्रिया और तेज हो गई है। उम्मीद की जा सकती है कि अन्य बड़े नाम भी सैमसंग की राह पकड़ेंगे और चीनी जमीन में स्अथित अपने सारे प्लांट बंद करके उससे पूर्णतः अलग हो जाएंगे।