सुशांत सिंह राजपूत के मामले में आये दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है और बिहार पुलिस के साथ रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी ने अपने चैनल पर इस मुद्दे को हाईलाइट करने का एक अवसर नहीं छोड़ रहे। यही कारण है कि अब महाराष्ट्र सरकार की रातों की नींद उड़ने लगी है। एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार की चिंता की रेखाएं बढ़ गयीं जब बिहार के DGP गुप्तेश्वर पांडेय का अर्नब गोस्वामी ने इंटरव्यू लिया।
अर्नब ने इस साक्षात्कार में उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र सरकार पर सुशांत की संभावित हत्या को छुपाने का आरोप लगाया है। अर्नब ने कहा कि आखिर ऐसा क्या है जो महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना को सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मुंबई पुलिस को बिहार पुलिस का सहयोग करने से रोक रही है? बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने अर्नब से साक्षात्कार में ये भी बताया कि कैसे मुंबई पुलिस को इस केस में बिहार पुलिस का सहयोग करने में कोई दिलचस्पी है। गुप्तेश्वर पाण्डेय के अनुसार, “मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह सहयोग करने की बात तो छोड़िए, मेरी कॉल तक नहीं उठा रहे। महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी और महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव तक मुझसे बात करने को तैयार नहीं है, ऐसे कैसे चलेगा?”
परंतु गुप्तेश्वर पाण्डेय वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे ये भी बताया कि कैसे सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु और उनके पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मृत्यु में कुछ न कुछ संबंध तो है। डीजीपी के अनुसार, “इसमें कुछ गहरा राज़ छुपा है, जिसकी जांच करना अति आवश्यक है”। इसी पर भड़कते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये कहा, “बिहार पुलिस के डीजीपी का साक्षात्कार पुलिस फोर्स के अनुशासन का उल्लंघन है, जिसका उद्देश्य केवल और केवल मुंबई पुलिस को बदनाम करना है”।
बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु को प्रारम्भ से ही रिपब्लिक चैनल ने संदेहास्पद बताया है, और वंशवाद से लेकर राजनीतिक पहलू तक सभी को कवर कर सुशांत के मामले को दबाने के लिए मुंबई पुलिस की आलोचना भी की है। यही नहीं, अर्नब ने ये भी कहा कि यदि शिवसेना का एक भी व्यक्ति सुशांत की ‘हत्या’ में लिप्त पाया गया, तो महा विकास अघाड़ी की सरकार का गिरना तय है।
तो शिवसेना को अर्नब से आखिर क्या समस्या थी? दरअसल, अर्नब ने संजय राउत के उस बयान पर विशेष प्रकाश डाला था, जहां राज्य सभा से सांसद ने सुशांत सिंह राजपूत के चरित्र पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनके अपने माँ बाप से संबंध अच्छे नहीं थे। इसके अलावा शिवसेना ने बिहार पुलिस पर उद्धव ठाकरे की सरकार को बदनाम करने का आरोप भी लगाया था, जिसकी अर्नब ने अपने शो में जमकर निंदा की।
एक तो सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने से महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार पहले ही कुपित है, उसके ऊपर से अर्नब द्वारा उद्धव ठाकरे पर किए गए जोरदार हमले से शिवसेना को मानो भागने का रस्ता ही नहीं मिल रहा है। अपनी बौखलाहट जगजाहिर करते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना में संपादक संजय राउत लिखते हैं, “मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर न्यूज एंकर अर्नब गोस्वामी के अशिष्ट हमले को देखने के बाद NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) सुप्रीमो शरद पवार ने मुझे फोन किया था और कहा था कि एक समाचार चैनल पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कैसे कर सकता है, वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री सिर्फ एक व्यक्ति नहीं होता है, बल्कि एक संस्था होती है”।
पर राऊत वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे लिखा, “इस तरह की बातों से अच्छा संदेश नहीं जा रहा और ऐसा लग रहा है कि इस मामले में सरकार क्या कर रही है? यह चैनल मुख्यमंत्री के खिलाफ अशिष्ट भाषा में जहर उगल रहा है, इस चैनल को महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिल रहा है। इस केस में सुशांत सिर्फ माध्यम हैं और इस कवरेज का असली मकसद उद्धव ठाकरे सरकार को बदनाम करना है”।
अब सच कहें तो यदि मुंबई पुलिस ने निस्संकोच बिहार पुलिस की सहायता की होती, तो महाराष्ट्र सरकार पर शायद ही कोई सवाल उठाता। परंतु जिस प्रकार से बिहार पुलिस के अफसरों के साथ मुंबई पुलिस के अफसरों ने बदसलूकी की, उससे मुंबई पुलिस के वर्तमान प्रशासन और महाराष्ट्र की वर्तमान प्रशासन की प्रतिबद्धता पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है। जिस तरह से बिहार पुलिस के एक एसपी रैंक के अफसर को बिना किसी कारण ज़बरदस्ती Home Quarantine में भेजा गया, और अन्य बिहार पुलिस के अफसरों के साथ बदसलूकी हुई, उसे सहयोग तो बिलकुल नहीं कहा जाएगा।
इसके अलावा इस मामले से जुड़े कुछ और पहलू हैं, जिसे मुंबई पुलिस ने कथित तौर पर या तो अनदेखा किया है या फिर जानबूझकर उसपर प्रकाश नहीं डाला है। महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन ने बिहार पुलिस की राह में रोड़े डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब रिया चक्रवर्ती और सुशांत के करीबी मित्र माने जाने वाले सिद्धार्थ पिठानी से बिहार पुलिस पूछताछ करने आई, तो मुंबई पुलिस ने टांग अड़ाने का प्रयास किया, और जब तक बिहार पुलिस पहुँच पाती, सिद्धार्थ हैदराबाद भाग चुके थे। इसके अलावा जब बिहार पुलिस ने दिशा सालियान के मामले में प्रारम्भिक जांच, तो प्रारम्भ में मुंबई पुलिस से सहयोग तो मिला, परंतु जल्द ही उन्हें सूचित कर दिया गया कि दिशा से जुड़ा फोल्डर डिलीट हो चुका है, और बिहार पुलिस द्वारा सहायता की पेशकश पर भी मुंबई पुलिस ने सहयोग करने से स्पष्ट मना कर दिया।
सत्य तो यही है कि बिहार पुलिस की जांच पड़ताल से मुंबई पुलिस और उद्धव ठाकरे की सरकार बुरी तरह घबराई हुई है। यदि ऐसा न होता तो सुशांत सिंह राजपूत की जांच सीबीआई को सौंपे जाने पर संजय राउत सुशांत के निजी जीवन पर लांछन क्यों लगाते? इससे स्पष्ट होता है कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में कुछ तो ऐसा अवश्य है जो महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार नहीं चाहती कि वह सामने आया है, अन्यथा उनकी सरकार गिरने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा।