बाकी राज्यों के सीएम JEE/NEET पर रो रहे हैं, वहीं ओडिशा के सीएम ने छात्रों की सुरक्षा का बेहतर समाधान निकाला है

नवीन पटनायक हमेशा की तरह बेहतर समाधान के साथ

ओडिशा

NEET और JEE की परीक्षाओं को जब से सुप्रीम कोर्ट ने और अधिक टालने से मना किया है, तब से लोगों में चिंता बहुत बढ़ चुकी है। कुछ लोगों को इस बात की चिंता है कि, उनके बच्चे परीक्षास्थल तक कैसे पहुंचेंगे, तो कुछ लोगों को यह चिंता है कि, उनके बच्चे परीक्षा की पूरी प्रक्रिया के दौरान कहीं संक्रमित ना हो जाएं । जहां एक ओर विपक्ष के पास परीक्षा को टालने की याचिका दायर करने के अलावा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है, वहीं ओडिशा सरकार ने इस विषय पर एक अनोखा उपाय निकालकर सभी राज्य सरकारों के लिए एक मिसाल पेश की है।

ओडिशा में पिछले कुछ दिनों से भारी वर्षा के कारण सार्वजनिक परिवहन को काफी नुकसान पहुंचा है। प्रारम्भ में ओडिशा सरकार ने भी अन्य विपक्षी पार्टी की सरकारों के भांति पहले परीक्षा को स्थगित करने की याचना की थी। पर केंद्र सरकार द्वारा अपने निर्णय पर अडिग रहने पर NEET और JEE की परीक्षा के लिए आवश्यक परिवहन और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए ओडिशा सरकार ने अपनी कमर कस ली है।

ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव असित कुमार त्रिपाठी ने सरकार के निर्णय को विस्तार से बताते हुए कहा, आगामी NEET और JEE की परीक्षाओं को देखते हुए ओडिशा सरकार ने ज़रूरतमंद विद्यार्थियों के लिए परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। कोरोना वायरस को देखते हुए ये सुविधा सभी प्रकार के स्वास्थ्य चेकअप पूरे होने के बाद ही उपलब्ध कराये जाएँगे। इच्छुक विद्यार्थी तत्काल प्रभाव से इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।”

परंतु बात वहीं पर नहीं रुकी। ओडिशा सरकार ने इस बात का भी भरोसा दिलाया कि, ज़रूरतमंद विद्यार्थियों को सरकारी संस्थानों में ठहराने की भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए मुख्य सचिव ने इच्छुक विद्यार्थियों से अपने डीटेल्स भेजने को कहा है। सरकार अपने खर्चे पर विद्यार्थियों को उनके गृह नगर से परीक्षा केंद्र भेजेंगी, जिसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ेगा।

बता दें कि, कुछ हफ्तों पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रवेश परीक्षाओं की तारीख को और टालने के मुद्दे पर स्पष्ट कहा कि, इन परीक्षाओं को अनिश्चितकाल तक नहीं टाला जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर के प्रारम्भ तक NEET और JEE की परीक्षाएँ कराने के निर्देश दिए।

काँग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस निर्णय का विरोध किया और केंद्र सरकार पर इस निर्णय को वापस लेने का दबाव बनाया। लेकिन केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया कि, बच्चों के भविष्य के साथ और अधिक समझौता नहीं होगा कोरोना वायरस की आड़ में बच्चों के भविष्य को और अधिक नहीं बर्बाद किया जा सकता है।

जहां एक तरफ कांग्रेस और सपा जैसे पार्टियां बच्चों के भविष्य की आड़ में अपना घृणित एजेंडा चलाने का प्रयास कर रही हैं, तो वहीं केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस बात पर अडिग हैं कि, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए परीक्षाओं को और स्थगित नहीं किया जाएगा। ऐसे में ओडिशा सरकार ने अन्य सरकारों की तरह परीक्षा में बाधा न डालकर जरूतमंद विद्यार्थियों के लिए सुविधा उपलब्ध कराकर, एक अनोखी मिसाल पेश की है।

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