पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के लिए अब अपनी कुर्सी बचाना दूभर होता दिखाई दे रहा है। OIC और कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब से पंगा लेने के बाद पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तान की सेना में दूरी बढ़ती दिखाई दे रही है। एक तरफ जहां इमरान खान तुर्की और चीन की तरफदारी कर रहे हैं, तो वहीं पाकिस्तान की सेना के लिए अरब देश आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इमरान खान और पाक विदेश मंत्री द्वारा तुर्की के गीत गाये जाने को लेकर सऊदी अरब पाकिस्तान के खिलाफ काफी गुस्से में है। नवभारतटाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब की सरकार अब इमरान सरकार को गद्दी से हटाने के लिए पूर्व पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ को राजनीति में उतारने के लिए ज़ोर लगा रही है। अपनी कुर्सी को खतरे में पाकर और पाकिस्तानी सेना के किसी भी एक्शन से बचने के लिए अब कुरैशी चीन का दौरा करने का मन बना चुके हैं। कुल मिलाकर जब सऊदी अरब पाकिस्तानी सेना के जरिये इमरान सरकार को रास्ते से हटाने की तैयारी कर रहा है,तो ऐसे में पाकिस्तानी विदेश मंत्री भागे-भागे चीन से मदद मांगने गए हैं।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच तनाव तो पिछले वर्ष अगस्त से ही देखने को मिल रहे हैं। अगस्त में इमरान खान ने UN जनरल असेंबली में हिस्सा लेने के साथ ही तुर्की और मलेशिया के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठकें की थी और यहाँ तक कि तीनों देशों ने मिलकर एक TV चैनल खोलने का भी निर्णय लिया था। तब सऊदी अरब के Crown Prince मोहम्मद बिन सलमान को इमरान का ये रवैया पसंद नहीं आया था और उन्होंने बीच रास्ते इमरान को दिया अपना प्लेन वापस मंगाने का आदेश दे दिया था।
इसी प्रकार दिसंबर में इमरान खान मलेशिया में हो रही एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो गए थे, जहां तुर्की, ईरान और मलेशिया के राष्ट्राध्यक्ष भी शिरकत करने वाले थे। सऊदी अरब ने दोबारा इमरान को अपना गुस्सा दिखाया और बाद में इमरान को अपना वह दौरा भी रद्द करना पड़ा था। हालांकि, इसके बाद भी इमरान खान के तेवर नर्म नहीं पड़े। इस साल फरवरी में एक बयान देते हुए इमरान ने कहा कि “वे निराश थे कि वे मलेशिया के दौरे पर नहीं जा पाये थे।’’ सऊदी अरब ने इमरान के उस बयान को भी काफी गौर से सुना होगा! उसी के बाद सऊदी अरब पाकिस्तान से इतना गुस्सा हुआ, और उसने पाकिस्तान को मिलने वाली Oil loan facility को renew करने से मना कर दिया।
अब हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा करती हैं कि सऊदी अरब पाक सेना और पूर्व सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ के साथ मिलकर इमरान सरकार को गिराना चाहता है। समा TV की एक रिपोर्ट के मुताबिक 4 अगस्त को ही राहिल शरीफ और सेनाध्यक्ष बाजवा के बीच मुलाक़ात हुई थी, जिसके बाद माना जा रहा है कि इमरान का पत्ता साफ करके पाक सेना राहिल को नया प्रधानमंत्री भी चुन सकती है! हैरानी की बात तो यह है कि जैसे ही राहिल शरीफ और सेनाध्यक्ष बाजवा के बीच मुलाक़ात हुई, उसके बाद ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने हतोत्साहित होकर सऊदी अरब के खिलाफ OIC को लेकर बयान दे डाला।
रिश्तों को संभालने के लिए कुछ दिनों पहले जब पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष सऊदी पहुंचे, तो उन्हें मोहम्मद बिन सलमान से बिना मिले ही वापस लौटना पड़ा! ऐसे में सऊदी अरब ने पाक सेना को भी कड़ा संकेत दिया है कि इमरान खान का सत्ता से जाना ही पाकिस्तानी सेना के हित में है। पाकिस्तान की सरकार भी इस बात को बखूबी जानती है, और ऐसे में उसने चीन की शरण में जाने का प्लान बना लिया है।
कुरैशी ने कहा है कि वह “बेहद ज़रूरी” काम के लिए दो दिन के दौरे पर चीन जा रहे हैं। स्पष्ट है कि कुरैशी अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए चीन की शरण में जाने का फैसला ले चुके हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या चीन कुरैशी की कुर्सी बचाने में कामयाब हो पाता है या नहीं! जब सऊदी ने नाराज़ होकर पाकिस्तान से अपना 1 बिलियन का लोन वापस मांगा था तो पाकिस्तान ने चीन से उधार लेकर ही सऊदी को वह पैसा लौटाया था।
पाकिस्तान में बेहद ही दिलचस्प समीकरण उभरकर सामने आ रहे हैं, जहां पाकिस्तानी सरकार चीन की शरण में बैठी है, तो वहीं पाकिस्तानी सेना के लिए अरब देश महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ऐसे में देखना होगा कि पाक सेना और पाक सरकार के बीच इस लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है!