“सावधान चीन!”, पाक-चीन दोस्ती की धज्जियां उड़ाने सिंधी और बलोची क्रांतिकारियों ने हाथ मिला लिया है

इसे कहते हैं विस्फोटक गठबंधन!

SRA

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती में पहले ही ग्रहण का काम कर रहे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) की समस्या खत्म नहीं हुई थी कि अब एक और संगठन चीन के CPEC के खिलाफ खड़ा हो गया है। इस संगठन का नाम है सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (SRA) । यही नहीं मीडिया रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रहे बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी और सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी ने अब साथ मिलकर पाकिस्तान में चीन की दादागिरी का मुकाबला करने का फैसला किया है। दअरसल, चीन के प्रोजेक्ट का उद्देश्य सिर्फ ग्वादर पोर्ट तक सीधी पहुंच ही नहीं है, बल्कि चीन की नजर सिंध और बलूचिस्तान के खनिज संसाधनों पर भी है। अपनी भूमि पर इसी लूट का विरोध करने के उद्देश्य से ये संगठन साथ आये हैं। दोनों संगठनों ने 25 जुलाई को अपने गठबंधन की आधिकारिक रूप से घोषणा की। पाकिस्तानी कब्जे और फौज के अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए आजादी समर्थक बलूच और सिंधी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा पहले ही खोल रखा है और अब चीन के खिलाफ भी ये संगठन  साथ आ गए हैं।

बता दें कि है सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (SRA) ज्यादा प्रभावी संगठन नहीं है लेकिन फिर भी सिंध के दक्षिणी हिस्से में इस संगठन ने पाकिस्तान सरकार को काफी परेशान किया है। हाल ही में इस संगठन ने पाकिस्तानी रेंजर्स पर हमला किया था तब इस संगठन के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा था कि सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (SRA) उन सभी स्थानीय तत्वों और खबरियों का अंत कर देंगे जो सिंधु देश की आजादी के खिलाफ चल रहे सरकारी दमन और सिंध के निवासियों के नरसंहार में शामिल होंगे।

वहीं अगर बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी की बात करें तो यह बलूचिस्तान का अत्यंत प्रभावशाली संगठन है, जो पाकिस्तान सरकार को लिए हमेशा मुसीबत खड़ी करता है। सन 2000 में बना यह संगठन अब तक पाकिस्तान के सुरक्षा बालों को ही अपना निशाना बनाता था लेकिन हाल ही में इसने पाकिस्तान में स्थित चीन की व्यापारिक इकाइयों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। 2018 में BLA ने करांची स्थित चीनी कॉन्सुलेट को भी अपना निशाना बनाया था। इसी के एक साथ बाद BLA ने ग्वादर में चीनी निवेश वाले एक होटल को बभी अपना निशाना बनाया था। हाल ही में करांची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले के पीछे भी यही संगठन था। यह हमला भी चीन के हितों पर सीधा प्रहार था क्योंकि चीन की फर्म्स का इस स्टॉक एक्सचेंज में 40 फीसदी हिस्सा है। साफ़ जाहिर है की यह संगठन योजनाबद्ध तरिके से, लगातार चीनी निवेश वाली आर्थिक इकाइयों को अपना निशाना बना रहा है। यही वजह है कि हाल ही में चीन ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था कि वह बीएलए के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाए और उसे सुरक्षा परिषद में एक वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करवाए।

बता दें कि अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पाकिस्तान ने चीन के साथ हाथ मिलाया था। इससे पाकिस्तान की सरकार को लाभ हुआ ,लेकिन आम बलोची नागरिक को इसका कोई लाभ नहीं हुआ। आज 60 हजार के करीब चीनी नागरिक सपेस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं लेकिन बलूचियों को इसमें नौकरी हासिल नहीं हो रही है। चीन CPEC के जरिए पाकिस्तान और चीन का मकसद बलूचिस्तान और सिंध को उनके वैध राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य हितों को अपने अधीन करना और ग्वादर तक तटों और संसाधनों पर कब्जा जमाना है।

सिंध और बलूचिस्तान दोनों ही चीन की विस्तारवादी और दमनकारी नीतियों के समान रूप से शिकार रहे हैं। बलूचिस्तान की तरह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी चीन ने बड़ा निवेश कर रखा है। BLA और SRA ये जानते हैं कि यदि उन्होंने जल्द ही चीन के प्रभुत्व को ख़त्म नहीं किया तो उनकी आजादी का सपना कभी पूरा नहीं होगा। यही कारण हैं कि BLA और SRA ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। यह टकराव निश्चित ही इस क्षेत्र को काफी अस्थिर करने वाला है जो किसी भी हालत में चीन और पाकिस्तान के हित में नहीं है।

वहीं पाकिस्तान BLA और SRA के मुद्दे को टालने की कोशिश करता है तो चीन जैसे साथी की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा जो कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए एक बहुत बुरी खबर होगी। यही नहीं, इससे भी बदतर स्थिति तब हो सकती है, जब चीन पाकिस्तान को अपने ऋण जाल में फंसा कर उसकी जमीन हड़प लेगा। CPEC की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और अंत में चीन इस्लामाबाद को इतना कर्ज दे देगा कि पाकिस्तान के पास अपनी जमीन देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।

 

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