पहले सरकार विरोधी प्रदर्शन, अब सरकार के समर्थन में रैली; बेलारूस में रूस-चीन एक दूसरे के खून के प्यासे बने बैठे हैं

बेलारूस- छोटा सा देश रूस-चीन का खेल का मैदान बना हुआ है!

बेलारूस

Tfipost  ने आपको कई रिपोर्ट्स के माध्यम से यह बताया है कि, रूस किस प्रकार से चीन के हितों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। अपने एक लेख में हमने बताया था कि चीन में इस बात को लेकर आक्रोश है कि, रूस ने भारत-चीन संघर्ष में भारत का पक्ष लिया। यही नहीं माली में हुए सैन्य तख्तापलट में भी रूस की ही भागीदारी थी जिस कारण अफ्रीका में चीन के हितों को काफी नुकसान पहुंचा। अब पूर्वी यूरोप का देश बेलारूस पुतिन और जिनपिंग के संघर्ष का क्षेत्र बना हुआ है। दरअसल, बेलारूस के तानाशाह लुकाशेंको के शासन के विरुद्ध बेलारूस में व्यापक जन विद्रोह हुआ है।

बेलारूस में हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों में वहाँ के राष्ट्रपति पर धांधली का आरोप लगा है। इसके बाद बेलारूस के विपक्ष समर्थकों ने दो हफ्ते पहले हुए विवादित चुनाव में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के पुनः निर्वाचन के खिलाफ राजधानी मिन्स्क में एक बड़ी रैली आयोजित की थी।

लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लुकाशेंको के समर्थक भी सड़कों पर उतर आए और उन्होंने रैलियों के माध्यम से लुकाशेंको के प्रति अपने समर्थन को जाहिर किया। लेकिन समर्थन और विरोध के इस खेल में असल शक्तियां रूस और चीन हैं। एक ओर रूस लुकाशेंको के विरोधी धड़े का साथ दे रहा है तो वहीं चीन लुकाशेंको के समर्थन में अपनी ताकत लगा रहा है।

किसी समय सोवियत संघ का हिस्सा रहे बेलारूस को रूस अपने प्रभाव में बनाए रखना चाहता है। जबकि चीन इसे बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के प्रमुख प्रचारक के रूप में स्थापित करना चाहता है, ताकि यूरोप के अन्य देशों को भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया जा सके।

बता दें कि, कुछ वर्ष पूर्व रूस ने यूक्रेन पर हमला करके क्रीमिया के इलाके को जीता था और उसे अपने देश का भाग बना लिया था। उसके बाद से ही पूर्वी यूरोप के देशों में रूस की आक्रामकता को लेकर शंकाएं बनी हुई है। बेलारूस में रूस के प्रति यह भावना और अधिक प्रबल है क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं है। इसलिए वहां के राष्ट्रपति लुकाशेंको में मॉस्को का डर बना हुआ है।

रुसी आक्रामकता के कारण ही बेलारूस चीन के प्रति अधिक दोस्ताना रवैया रखता है। लुकाशेंको की योजना है कि, किसी भी प्रकार से चीन को पूर्वी यूरोप की राजनीति में सक्रिय किया जा सके, जिससे रूस के दबाव को कम करना आसान हो जाए। यही कारण रहा है कि लुकाशेंको को पिछले कुछ वर्षों में अधिकाधिक “Pro China” होते जा रहे हैं। वहीं चीन ने भी बेलारूस में बड़ी मात्रा में निवेश किया है। बेलारूस में चीन ने Great Stone Industrial Park का निर्माण किया है जिसे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का मोती कहा था।

यह चीन का बढ़ता प्रभाव ही है जिसने रूस को चिंतित कर रखा है। रूस को लुकाशेंको से उतनी समस्या नहीं है जितना उनके चीन समर्थक रवैये से है। रूस लुकाशेंको को बेलारूस में कमजोर करना चाहता है और उसे अपनी ताकत का एहसास कराना चाहता है, जिससे वहां चीन के प्रभाव को रोका जा सके।

एक ओर तो रूस ने लुकाशेंको के विरोधियों को मौन समर्थन दिया ही है, पर अब पुतिन ने लुकाशेंको को आवश्यकता पड़ने पर सैन्य सहायता का भरोसा भी दिया है। यह साफ बताता है कि रूस को समस्या लुकाशेंको से नहीं बल्कि चीन से है। वैसे रूस और चीन के बीच बढ़ता टकराव भारत के लिए हितकारी है। यदि ऐसा हुआ तो चीन को कूटनीतिक स्तर पर अलग करने में भारत स्वतः ही सफल हो जाएगा।

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