“तुम्हारी धमकी यहाँ नहीं चलेगी”- हुवावे की अफसर मेंग वांझू के मुद्दे पर कनाडा की चीन को दो-टूक

जस्टिन ट्रूडो का "सख्त-मोड" ऑन

कनाडा

pc; huffington post

चीन की गुंडई केवल उसके आस-पड़ोस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उससे अमेरिका और यूरोप के कई देश तंग आ चुके हैं। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं, जो चीन के सामने चट्टान की भांति अड़े हुए हैं। उनके सामने चीन चाहे जो कर ले, वो अपने नीतियों से समझौता नहीं करेंगे। ऐसा ही एक देश है कनाडा, जिसने चीन के लाख धमकियों के बावजूद Huawei की अधिकारी मेंग वांझू को रिहा करने से स्पष्ट मना कर दिया है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के विदेश मंत्री फ़्रांसुआ फिलिप शैंम्पेन ने हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की। इस बातचीत में कनाडा और चीन की जेलों में बंद दोनों देशों के नागरिकों के साथ हो रहे बर्ताव पर भी चर्चा हुई। इसमें फ़्रांसुआ ने स्पष्ट किया कि, कनाडा न तो चीन की किसी धमकी पर ध्यान देगा और न ही मेंग वांझू को रिहा करेगा।

पर मेंग वांझू आखिर कनाडाई जेल में क्यों बंद हैं? दरअसल, Huawei की CFO और उपाध्यक्ष मेंग वांझू पर  ईरान के साथ समझौते करके अमेरिका के व्यापार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। इस कारण अमेरिका ने मेंग के हिरासत में लिए जाने पर कनाडा को प्रत्यर्पण का आवेदन पत्र भेजा था। अमेरिका के इसी आवेदन पर कनाडा ने मेंग वांझू को हिरासत में ले लिया था।

कनाडा भी चीन से क्रोधित है क्योंकि, उसने कनाडा के दो राजनायिकों को झूठे आरोपों के अंतर्गत हिरासत में लिया था। इस पर आग बबूला होते हुए जस्टिन ट्रूडो ने कम्युनिस्ट चीन की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा था, “यदि चीनी प्रशासन को ऐसा लगता है कि वह निर्दोष नागरिकों को हिरासत में लेकर कनाडा पर दबाव बना सकती है, तो वे बहुत बड़े भुलावे में जी रहे हैं।”

इसके अलावा जस्टिन ट्रूडो ने ये भी कहा, “चीन यदि सोचता है कि वह कनाडा के नागरिकों को ऐसे ही हिरासत में लेकर कुछ भी हासिल कर लेगा, तो वो गलत सोच रहा है। यह किसी भी स्थिति में हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है।” इसका अर्थ स्पष्ट है कि अब जस्टिन ट्रूडो भी चीन के विरुद्ध मोर्चा संभाल चुके हैं और वो किसी भी स्थिति में चीन को कनाडा पर हावी होने देने का कोई अवसर नहीं देंगे।

पर जो कनाडा कभी उदारवाद की प्रतिमूर्ति बन चुका था और आईएसआईएस में भर्ती हुए कैनेडियाई लड़ाकों को वापिस लेने के लिए भी तैयार था, वो अचानक से इतना आक्रामक और देशभक्त कैसे हो गया? इसके पीछे प्रमुख कारण है कनाडा को चीन से मिला विश्वासघात। वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा ने चीन से हमदर्दी जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन चीन ने अपनी आदत के अनुसार कनाडा की इस भलीमनसी का दुरुपयोग किया और उसपर दबाव बढ़ाना शुरू किया। इसके अलावा चीन कैनेडियाई नागरिकों को झूठे आरोपों में फंसाकर जेल में भी ठूँसने लगा, जैसे उसने वर्तमान में दो राजनयिकों के साथ किया।

इससे तंग आकर ट्रूडो ने चीन के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया और अब उसने आक्रामक नीति अपनानी शुरू कर दी है। उदाहरण के लिए, कनाडा ने चीन के दबाव में न आते हुए पिछले हफ़्ते हॉन्ग-कॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि को स्थगित कर दिया था और सेना की ज़रूरतों से जुड़े कई सामान के निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी।

इसके अलावा जस्टिन ट्रूडो ने अब अपने पुराने मित्रों से संबंध सुधारने की पहल भी की है। इनमें प्रमुख रूप से अमेरिका और भारत शामिल हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि, मेंग वांझू के मुद्दे पर चीन की गीदड़ भभकी में न आकर कनाडा ने विश्व के समक्ष अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध की है।

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