इस वर्ष मई महीने से ही भारत-चीन के बीच बॉर्डर विवाद चल रहा है। गलवान में अपने 20 जवान खोने के बाद भारत ने भी चीन के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया हुआ है। चीनी apps प्रतिबंधित कर चीन के टेक सेक्टर को चोट पहुंचाने के अलावा भारत सरकार रेलवे, इनफ्रास्ट्रक्चर, टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को चाइना-फ्री करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दूसरी तरफ गलवान में मुंह की खाने के बाद चीन भारत के खिलाफ कोई ठोस कदम उठा नहीं पा रहा है। अपनी आर्थिक ताकत के जरिये ऑस्ट्रेलिया, UK और दक्षिण एशियाई देशों को आर्थिक चोट पहुंचाने वाला चीन भारत के सामने भीगी बिल्ली बनकर खड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत और चीन का व्यापारिक असंतुलन चीन की तरफ झुका हुआ है, और भारत के साथ व्यापार बंद कर वह हर साल अपने 50 बिलियन डॉलर खोना नहीं चाहता। ऐसे में अब चीन ने भारत को परेशान करने के लिए हिंदुओं के धार्मिक स्थल कैलाश पर्वत का अपमान करना शुरू कर दिया है।
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील के किनारे जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए साइट बनाना शुरू कर दिया है। इस साइट का निर्माण अप्रैल में शुरू हुआ था, जो अब लगभग पूरा हो चुका है।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार “सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से इस बात का खुलासा होता है कि चीन मानसरोवर झील के किनारे HQ-9 मिसाइल की तैनाती करने की तैयारी में है। यहां पर चीन HT-233 रडार सिस्टम लगा रहा है, जिससे मिसाइल का फायर सिस्टम काम करता है। इसके अलावा टाइप 305बी, टाइप 120, टाइप 305ए, वाईएलसी-20 और डीडब्ल्यूएल-002 रडार सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। ये सभी टारगेट्स को ट्रैक कर उन्हें खत्म करने में मदद करते हैं”।
कैलाश पर्वत पर युद्ध सामाग्री को तैनात कर चीन इस पर्वत का अपमान करना चाहता है। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म में इस पर्वत का धार्मिक महत्व है। ऐसे वक्त में जब भारत लद्दाख में अपनी स्थिति से टस से मस नहीं हो रहा है, तो चीन ने हिंदुओं की भावनाओं को भड़काकर भारतीयों में अपने खिलाफ और ज़्यादा गुस्सा पैदा करने का काम किया है। चीन की ऐसी हरकतों से भारत में चीन विरोधी अभियान को तेजी मिल सकती है, जिसके कारण चीन को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
यह भी विडम्बना ही है कि हिन्दू धर्म मे पवित्र माने जाने वाला कैलाश पर्वत आज चीन के कब्ज़े में है। आज से करीब 70 वर्ष पहले जब चीन ने अवैध तरीके से तिब्बत पर अपना कब्जा जमा लिया था, तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोला था। भारत के तमाम शुभचिंतकों द्वारा चेताये जाने के बावजूद तब नेहरू चीन को अपना दोस्त बताते रहे।
उस वक्त सरदार वल्लभभाई पटेल तिब्बत में चीन की हरकतों को लेकर चिंतित थे। वर्ष 1950 में पटेल ने नेहरू को पत्र लिखकर चीनी सेना की नीयत को ठीक नहीं बताया था। हालांकि, नेहरू ने तब अपनी आँखें बंद करने का फैसला लिया और उसके कुछ महीनों बाद ही चीन ने तिब्बत पर चढ़ाई कर दी। नेहरू के अलावा भारत के रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन भी तब शांत रहे थे।
तब की सरकार के निकम्मेपन का ही यह नतीजा है कि आज कैलाश मानसरोवर चीन के कब्ज़े में है। PLA की हरकतों से इतना तो स्पष्ट है कि चीन को भारत के नागरिकों की आस्था की कोई परवाह नहीं है। हालांकि, चीन को जल्द ही इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।