ताइवान के बढ़ते वैश्विक कद से चीन काफी बौखलाया हुआ है। ताइवान के आला अफसरों की माने तो चीन अमेरिका के राजनयिकों के दौरे से तमतमाया हुआ है, क्योंकि हाँग काँग के बाद अब चीन का अगला निशाना ताइवान है। शायद इसी की झलक अभी हाल ही में देखने को मिली, जब अमेरिका के राजनयिकों के ताइवान दौरे के समय ही चीनी फाइटर जेट्स ने Taiwan पर आक्रमण करने का प्रयास किया, लेकिन ताइवान की चपलता और ताइवान की सेना की कार्य कुशलता के आगे चीन को घुटने टेकने पड़े।
सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 9 बजे ताइवान में चीन के J-11 और J-10 विमानों के साथ घुसपैठ की। Taiwan रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में एयर फोर्स ने कहा कि चाइनीज विमानों का जमीन से मार गिराने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलों से पीछा किया गया। पेट्रोलिंग कर रहे ताइवानी लड़ाकू विमानों ने भी चीनी विमानों को सीमा से बाहर खदेड़ दिया। 2016 के बाद यह तीसरा मौका है जब चीनी लड़ाकू विमानों ने इस रेखा को पार किया।
परंतु चीन ने ऐसा घटिया कदम क्यों उठाया? इसके पीछे प्रमुख कारण है अमेरिकी राजनयिकों का पहला आधिकारिक Taiwan दौरा, जिसने चीन के पैरों तले से ज़मीन खिसका दी है। अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा (एचएचएस) मंत्री एलेक्स अजार के नेतृत्व में रविवार को शीर्ष अमेरिकी दल के ताइवान पहुंचने से चिढ़े चीन ने सोमवार सुबह लड़ाकू विमानों के लिए घुसपैठ की जिसका ताइवान द्वारा करारा जवाब दिया गया। ताइवान स्ट्रेट मिड-लाइन को जैसे ही चीनी विमानों ने पार किया, ताइवान ने मिसाइलों को दाग दिया और पेट्रोलिंग विमान भी पीछे लगा दिए। इसके बाद चीनी विमान झटपट वहां से निकल गए। चार दशक बाद अमेरिका से इस स्तर का कोई आधिकारिक दल ताइवान पहुंचा है।
बता दें कि कम्युनिस्ट चीन दशकों से ताइवान पर अपना हक जताता आया है। Taiwan की स्वायत्ता को नकारते हुए चीन ने वैश्विक स्तर पर हमेशा ताइवान को अपमानित किया और ताइवान वासियों को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिए चीन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। परंतु वुहान वायरस के दुनिया भर में फैलने के बाद से मानो पासा ही पूरी तरह पलट गया है, क्योंकि Taiwan ने न केवल मास्क डिप्लोमेसी से दुनिया भर का दिल जीता, अपितु ताइवान के विरुद्ध खुलकर मोर्चा संभालते हुए अपने स्वायत्ता की दिशा में अहम कदम भी उठाए।
अब ऐसे परिप्रेक्ष्य में जब अमेरिका के आला अफसर Taiwan का दौरा करें, तो चीन आरती तो उतारेगा नहीं। लेकिन Taiwan पर चीन के नापाक हमले से ये एक बार फिर सिद्ध हो जाता है कि किस प्रकार से चीन अपने सभी पड़ोसियों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। चाहे जापान हो, ताइवान हो, या फिर भारत ही क्यों न हो, चीन ने अपने पड़ोसियों की नाक में दम कर रखा है। उदाहरण के लिए भारत को ही देख लीजिये। कहने को चीन ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के बॉर्डर से अपनी सेनाएँ हटाने का दावा किया है, परंतु पंगोंग त्सो झील के आसपास के अहम क्षेत्र के पास से वह अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है, और वह दिन प्रतिदिन अपनी सेना की संख्या बढ़ाने में विश्वास करता है। लेकिन भारत भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए सक्षम है।
सच कहें तो ताइवान पर हवाई जेट्स से हमला करने का प्रयास कर चीन ने ये सिद्ध किया है कि वह Taiwan के बढ़ते वैश्विक कद से कितनी बुरी तरह जलभुन गया है और ताइवान को कुचलने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है, लेकिन ताइवान ने भी तय कर लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाये, पर चीन की मनमानी अब और नहीं चलेगी।