“हम पैसा वापस नहीं देंगे” पापुआ न्यू गिनी ने दी चीन को धमकी, Australia ने यहाँ सही दांव चला है

Australia ने पापुआ न्यू गिनी से चीन का पत्ता ही साफ कर दिया!

पापुआ न्यू गिनी

pc: SCMP

एक बार फिर चीन की debt diplomacy का एक और नमूना देखने को मिला है और वो भी उसके नये-नवेले धुर विरोधी ऑस्ट्रेलिया के पड़ोस में! दरअसल, चीन की बदनाम कंपनी हुवावे ने वर्ष 2018 में पापुआ न्यू गिनी को एक data centre बनाकर दिया था। Papua ने इसके लिए चीन के ही Exim बैंक से 53 मिलियन अमेरिकी डॉलर का लोन लिया था। हालांकि, यह data centre पापुआ की सरकार के कोई काम ही ना आ सका क्योंकि, हुवावे ने जान-बूझकर इस data centre की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत नहीं किया था। हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक, हुवावे आसानी से इस data centre से data चीन को भेज सकती थी, वो भी बिना पकड़े जाने के डर से! हुवावे द्वारा निर्मित data centre से पैदा हुए विवाद के बाद, पापुआ न्यू गिनी की सरकार ने इसे इस्तेमाल ही नहीं किया और अब इसे बंद करने की नौबत आ गयी है। ऐसे में Papua के IT मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि, वो चीन से लिए गए कर्ज़ का भुगतान नहीं करेंगे।

पापुआ के IT एवं दूरसंचार मंत्री तिमोथी मसिउ ने यह आरोप लगाया है कि, हुवावे ने उन्हें वो उत्पाद दिया ही नहीं, जिसके लिए उन्होंने चीन से कर्ज़ लिया था। तिमोथी ने कहा, “जब आप दुकान से कोई चीज़ खरीदकर लाते हैं और वह खराब निकलती है, तो आप उसे वापस कर देते हैं और अपना पैसा वापस ले लेते हैं। हमें अपने अन्य कर्ज़ों का भुगतान करने में समस्या हो रही है, हम चीन का कर्ज़ क्यों वापस करें?” कुल मिलाकर पापुआ न्यू गिनी सरकार ने कर्ज़ चुकाने के मुद्दे पर चीन को ठेंगा दिखा दिया है। यह संभव है कि, पापुआ न्यू गिनी अपने यहाँ से चीन के प्रभुत्व को खत्म कर दोबारा Australia के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत करने के कदम उठाए।

पापुआ न्यू गिनी पिछले कुछ वर्षों से चीन के कर्ज़ जाल में फँसता चला जा रहा था। यह देश शुरू से ही Australia के बेहद करीब रहा है, ऐसे में चीन ने Australia को मात देने के लिए ही इस देश को अपने प्रभाव में लेन की कोशिश की थी। वर्ष 2019 ,में छपी Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से लिए भारी कर्ज़ की वजह से इस देश पर उसकी GDP के 42 प्रतिशत हिस्से जितना कर्ज़ हो गया है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 तक पापुआ न्यू गिनी को हर साल चीन को लगभग 70 मिलियन डॉलर के कर्ज़ का भुगतान करना पड़ सकता है। कोरोना के कारण tourism ठप होने से इस देश की इकॉनमी को बड़ा झटका पहुंचा है। ऐसे में, अब इस देश को चीन के खिलाफ खड़ा होने का फैसला लेना पड़ा है।

पापुआ न्यू गिनी को चीन के चंगुल में फँसते देख, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश चिंतित थे। हालांकि, इस खबरने ने Canberra और Washington DC को राहत तो ज़रूर पहुंचाई होगी। हुवावे के खिलाफ हुए इस बड़े खुलासे में Australia की भी बड़ी भूमिका रही है। दरअसल, हुवावे के data centre में खामिया खोजने वाले पापुआ न्यू गिनी के National Cyber Security Centre को ऑस्ट्रेलिया का विदेश मंत्रालय ही फंड करता है। पापुआ न्यू गिनी के National Cyber Security Centre ने इस रिपोर्ट को ऑस्ट्रेलिया की सरकार को भी सौंपा है। इस प्रकार, ऑस्ट्रेलिया की सरकार के पास भी हुवावे के खिलाफ पहला documented proof आ गया है। अभी तक हुवावे पर जो आरोप लगाए जा रहे थे, उसका एक सबूत मिल गया है, जो Indo-Pacific में पहले से दम तोड़ चुकी हुवावे के लिए और बड़ी मुश्किलें खड़ा कर सकता है।

एक तरफ जहां ASEAN देश चीन की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, तो वहीं पूर्वी एशिया के देश भी चीन को आँख दिखा रहे हैं। ऐसे में पापुआ न्यू गिनी में चीन की जड़ों का कमजोर होना, चीनी रणनीतिकारों के लिए एक बड़ी विफलता है। PNG की strategic location के कारण चीन की इस देश में बेहद रूचि थी। पापुआ न्यू गिनी का बोईगु द्वीप ऑस्ट्रेलिया से मात्र 6 किमी की दूरी पर स्थित है। चीन इस देश का इस्तेमाल कर आसानी से अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के गठबंधन को बड़ी चुनौती दे सकता था। हालांकि, पापुआ न्य गिनी के रुख में बदलाव से अब चीन के इन सपनों पर हमेशा के लिए पानी फिर गया है।

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