“हमें अपना पैसा नहीं डुबाना”, भिखमंगे इमरान से तंग आकर चीनी बैंकों ने रोकी CPEC की फंडिंग

यहीं से तो पैसा आता था! अब तेरा क्या होगा पाकिस्तान!

CPEC

पाकिस्तान के लिए मुसीबतें हर दिन बढ़ती ही जा रही हैं। एक ओर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह अलग-थलग पड़ चुका है और दूसरी ओर आर्थिक मोर्चे पर भी कोई उसका साथ नहीं दे रहा है। अब ऐसा लग रहा है कि, जल्द ही चीन भी पाकिस्तान से अपना पिंड छुड़ा सकता है। पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए अब चीनी बैंक ही CPEC प्रोजेक्ट को वित्तीय सहायता देने से मना कर रहे हैं।

जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। चीनी बैंक चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को वित्तीय सहायता देने से कतरा रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी चीन के दौरे पर थे, जब ये मुद्दा पहली बार सामने आया था। चीनी बैंक पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता से बेहद चिंतित है और वो नहीं चाहते कि, उनका पैसा गलत जगह फंस जाये। इन बैंकों को लगता है कि, CPEC के खिलाफ हो रहे विद्रोह के बीच पाकिस्तानी सरकार ऋण चुकाने में सक्षम नहीं हो पायेगी।

अब यह खबर पाकिस्तान के लिए एक बुरे सपने जैसा है क्योंकि, CPEC ही तो उसकी राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत है। इसमें चीनी बैंकों के निवेश वापिस खींच लेने से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की एकमात्र लाइफलाइन भी उसके हाथ से निकल जाएगी।

पर ये राजनीतिक अस्थिरता किस बात की है? दरअसल 2015 में शुरू हुए CPEC का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को चीन के बहुचर्चित बीआरआई प्रोजेक्ट से जोड़ना और भारत को रणनीतिक रूप से घेरना था। इसकी नींव बना बलूचिस्तान का ग्वादर बन्दरगाह, जहां चीन ने विशेष रूप से निवेश किया है। लेकिन चीन को कहाँ मालूम था कि, खनिज पदार्थों से सम्पन्न इस क्षेत्र में क्रान्ति की ज्वालामुखी धधक जाएगी।

2016 के बाद बेहिसाब अत्याचार और चीन-पाकिस्तान के नापाक इरादों से तंग आकर बलूचिस्तान के निवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूँक दिया। इसके अलावा मामले को अपने हाथों में लेते हुए बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने पाकिस्तान और चीन, दोनों के विरुद्ध निर्णायक युद्ध छेड़ दिया है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने साल 2018 में कराची स्थित चीनी दूतावास पर हमला किया था। उस वक्त बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि “बलूच जमीन पर चीनी सेना के विस्तारवादी प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि, चीन के बैंकों को भी पता चल चुका है कि पाकिस्तान भरोसे के लायक तो बिलकुल नहीं है, इसीलिए वो जल्द से जल्द अपना पिंड इस जगह से छुड़ाना चाहते हैं।

Exit mobile version