‘यहां देशभक्ति महज दिखावा है’, अब चीन का एलिट वर्ग साइप्रस के लिए अपने देश को डंप कर रहा

ये अपना देश ही छोड़ रहे

साइप्रस

कोरोना के बाद चीन लगातार बेहद आक्रामक रुख दिखाता रहा है, इसके दो मुख्य कारण हैं! एक कारण तो यह है कि वह दुनिया पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है, और दूसरा यह है कि वह अपने नागरिकों में राष्ट्रवाद की भावना जगाना चाहता है, ताकि ऐसे संवेदनशील वक्त में कहीं उसी के नागरिक उसके खिलाफ ना खड़े हो जाएँ। इसलिए ही चीन ने आक्रामक wolf warrior कूटनीति को अपनाया। जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी कला, सिनेमा, मीडिया के जरिये लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को जगाने का प्रयास कर रही है। हालांकि, ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट पार्टी की तमाम कोशिशों का चीन के अमीर लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा है।

दरअसल, अल-जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई दिनों से चीन के अरबपति और अन्य अमीर लोग साइप्रस की नागरिकता ग्रहण कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 500 चीनी नागरिकों ने यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश साइप्रस में नागरिकता ली है। इनमें से अधिकतर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मेम्बर ही हैं, और पार्टी पर वे काफी ऊंचे पदों पर रह चुके हैं, जिसके कारण ही उनके पास इतनी ज़्यादा संपत्ति है। साफ है कि जब बात राष्ट्रवाद की आती है, तो चीन के अमीर नागरिक पूर्णतः फिसड्डी साबित होते हैं।

जिन 500 लोगों ने साइप्रस में नागरिकता ली है, रिपोर्ट में उनमें से केवल 8 लोगों का नाम ही बताया गया है, और वे सभी CCP से जुड़े हुए हैं। इनमें से एक Yang Huiyan भी हैं, जिन्हें Asia में सबसे अमीर महिला माना जाता है, और उनके पास करीब 20 बिलियन डॉलर की संपत्ति है। उनके पास इतनी संपत्ति अपने पिता से आई है, जो Chinese People’s Political Consultative Conference (CPPCC) के सदस्य रह चुके हैं। CCP में होने वाले भ्रष्टाचार के कारण पार्टी के उच्चाधिकारियों के पास अक्सर बड़ी मात्रा में संपत्ति पाई जाती है। Yang Huiyan ने अक्टूबर 2018 में साइप्रस की नागरिकता ली थी।

इसी प्रकार रिपोर्ट में Lu Wenbin और Chen Anlin जैसे लोगों का नाम भी शामिल है, जो या तो चीन में बिजनेस किया करते थे, या फिर वे CCP ले टॉप अधिकारी रह चुके हैं। बता दें कि भारत की तरह ही चीन भी अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत नहीं देता है। ऐसे में जैसे ही ये चीनी नागरिक साइप्रस की नागरिकता प्राप्त करते हैं, ठीक वैसे ही इनकी चीनी नागरिकता खत्म हो जाती है।

चीन में CCP के अधिकारी भ्रष्टाचार से पहले करोड़ों-अरबों रुपये कमाते हैं, फिर ये उसे सुरक्षित करने के लिए चीन से बाहर भेज देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी कभी भी उनकी संपत्ति को उनसे छीन लेती है। CCP से जुड़े लोग सबसे ज़्यादा पैसा ऑस्ट्रेलिया में भेजते हैं। CCP के अधिकारी कई सालों से ऑस्ट्रेलिया में property में निवेश करते आ रहे हैं। इसके अलावा, वे अपने परिवार वालों को भी बेहतर ज़िंदगी के लिए चीन से बाहर भेज देते हैं। Global Wealth Migration Review के आंकड़ों के मुताबिक चीन से ही सबसे ज़्यादा अरबपति देश छोड़कर अन्य देशों में रहने के लिए गए। वर्ष 2018 में करीब 15 हज़ार चीनी नागरिकों ने देश छोड़ा था।

ये अधिकतर CCP के सदस्य ही होते हैं। चीन में भ्रष्टाचार करने का भी एक सरकारी प्लान होता है। पहले समाजवाद के नाम पर चीन लोगों से उनकी संपत्ति छीन लेता है, फिर उन properties का निजीकरण करके कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी लाखों रुपये कमाते हैं। हालांकि, CCP के इन अधिकारियों को भी पता है कि चीन के इस तंत्र का कोई भविष्य नहीं है, और इस प्रकार चीन जल्द ही अपने घुटनों के बल आ जाएगा। इसीलिए ये अधिकारी अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए दूसरे देशों में अपनी संपत्ति और परिवार वालों को भेज देते हैं।

चीन की अर्थव्यवस्था को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसके कारण चीन प्रतिव्यक्ति capital outflow पर कई प्रतिबंध भी लगा रहा है। हालांकि, जब भ्रष्टाचार CCP के इन अधिकारियों को लाखों-करोड़ों रुपए कमाने से नहीं रोक पाता, तो वह capital Outflow को भी कहाँ रोक पाएगा! ऐसे में जुगाड़ लगाकर ये टॉप अधिकारी अपने पैसों को बाहर भिजवा ही देते हैं। इसे रोकने के लिए ही अब चीन अपने नागरिकों में राष्ट्रवाद की भावना को जगाना चाहता है। हालांकि, ऐसा लगता है कि अभी चीन के नागरिकों के लिए राष्ट्रवाद से ज़्यादा फ्री स्पीच और बेहतर life-style की कीमत अधिक है।

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