चीन का हवाला ट्रेडर एक ठग ही नहीं,अपितु दलाई लामा की निगरानी करने वाला एक चीनी जासूस था

ये दिन रात जासूसी करता था, अब पकड़ में आ चुका है

चीन

(pc -phyul )

पिछले हफ्ते आयकर विभाग ने बहुत से छापे मारे थे, जिसमें चीनी नागरिक और उनके भारतीय सहयोगियों द्वारा हवाला धंधों का कारोबार उजागर हुआ है। लेकिन इनमें से पकड़े गए एक अपराधी की जांच पड़ताल करने पर कुछ चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। एक आरोपी ने स्वीकार किया कि उसके जरिये चीन दलाई लामा की जासूसी करा रहा था।

न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार एक 42 वर्षीय चीनी नागरिक चार्ली पेंग उर्फ लूआओ सेंग हाल ही में आयकर विभाग के अफसरों के हत्थे चढ़ गया है। इन रिपोर्ट्स के अनुसार चार्ली पेंग दलाई लामा और उनके सहयोगियों की जासूसी करने के लिए दिल्ली के मजनू का टीला  में रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं को हवाला से मिलने वाले धन की घूस दे रहा था।

अफसरों के अनुसार, पेंग ने बौद्ध भिक्षुओं अथवा लामाओं को 3 लाख रुपये नगद दिये थे। कुछ भिक्षुओं ने आयकर विभाग के समक्ष इस बात को स्वीकारा कि उन्हे ये धन पैकेट में दिया जाता था। सारा प्रकरण प्रतिबंधित चीनी मेसेजिंग एप ‘वी चैट’ के जरिये किया जाता था। इसके अलावा इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पेंग ने अपने लिए एक नकली भारतीय पासपोर्ट का भी प्रबंध किया था।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि तिब्बत चीन के लिए किसी सरदर्द से कम नहीं रहा है और बीजिंग ने सदैव तिब्बत  को अपने देश का हिस्सा बनाने का प्रयास किया है। हालांकि, आज भी तिब्बत के निवासी चीन को अपना देश नहीं मानते और इसके विरुद्ध विश्व के कोने कोने से मोर्चा निकालते रहते हैं। दलाई लामा तिब्बतियों के संघर्ष के प्रतीक हैं और वे इस समय भारत के धर्मशाला शहर में शरण लिए हुए हैं।

तिब्बत के प्रमुख दलाई लामा को चीन ने नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके अलावा चीन ने दलाई लामा की हत्या करने के अनेकों प्रयास किए हैं और स्वभावानुसार इसे सार्वजनिक रूप से नकारता भी आया है। परंतु अब और नहीं! अब तिब्बत को विश्व के कई देश उसकी वास्तविक पहचान देने के लिए आगे आए हैं। हाल ही में अमेरिका के सांसद स्कॉट पेरी ने एक विधेयक पेश किया, जिसमें तिब्बत को एक स्वायत्त देश के तौर पर पहचाना गया। उन्होने राष्ट्रपति ट्रम्प से आज्ञा की कि वे तत्काल प्रभाव से तिब्बत की स्वायत्ता को स्वीकृति दें और उसकी स्वतंत्रता हेतु प्रयास करें।

इसके अलावा अमेरिका की USAID एजेंसी ने हाल ही में निर्वासित तिब्बती सरकार को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने की घोषणा भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिए आर्थिक तौर पर तिब्बती लोगों की सहायता करना है। अब ऐसे में भला भारत कैसे पीछे रहता? उन्होने भी तिब्बत से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करने हेतु ऑल इंडिया रेडियो पर तिब्बत वर्ल्ड सर्विस नाम से अपनी सेवा भी शुरू कर दी।

इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडु ने भी कुछ महीनों पहले अपने एक ट्वीट में एलएसी को भारत तिब्बत बॉर्डर के तौर पर संबोधित किया। इसीलिए अब तिब्बत की जासूसी करने के प्रयास अनदेखा तो बिलकुल नहीं होगा। चार्ली पेंग की गिरफ्तारी से अब चीन के अन्य काले करतूतों और उसके हवाला नेटवर्क की पोल खुलना तय है।

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