शहरों को बाढ़ से बचाने के लिए चीन ने अपने गांवों को पानी से भर दिया, बेशर्म चीनी मीडिया ने जताई खुशी

गरीबी को ऐसे मिटाता है “सुपर पावर” चीन!

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(pc-deccan herald )

चीन की हालत इस समय बहुत खराब है। 1998 के बाद से इसे अबतक के सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि चीन का विशालकाय Three Gorges बांध भी पानी के दबाव में टूटने के कगार पर पहुँच चुका है। कोई और रास्ता न देखते हुए चीन ने एक बर्बर युक्ति निकाली है – बड़े शहरों को बचाने के लिए ग्रामीण इलाकों को जलमग्न कर दीजिये –

यह कोई व्यंग्य नहीं है बल्कि कड़वा सच है। एपोच टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार चीनी प्रशासन ने मध्य चीन में बारिश के पानी को गांवों में छोड़ना प्रारम्भ कर दिया है। परिणाम स्वरूप मध्य के जियांगशी, हुनान, अनहुई एवम हूबेई प्रांत के ग्रामीण इलाकों को बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है।

सीसीपी प्रशासन का मानना है कि यदि उन्होंने इस बारिश के पानी को गांवों में नहीं फैलाया तो वुहान जैसे जलमग्न हो जाएँगे। इसके कारण ग्रामीण इलाकों की बलि चढ़ाने से भी चीन बाज़ नहीं आ रहा है। बाढ़ के कई पीड़ितों को अब बिना किसी आसरे के रहना पड़ रहा है और उन्हे चीनी प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिलने पर स्वयं ही राहत की व्यवस्था करनी पड़ रही है।

एपोच टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय लोगों ने बताया है कि कैसे सीसीपी के अफसरों ने उन्हें केवल कुछ घंटों का समय दिया था, जिसके कारण इस कृत्रिम बाढ़ के पीड़ितों के पास अपने कुछ कपड़े और कीमती सामानों के अलावा ले जाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। जियांगशी एवं अनहुई प्रांत के पीड़ितों ने स्पष्ट रूप से सीसीपी को इन सब के लिए दोषी ठहराया है। पीड़ितों ने बताया कि रात में शहरो को बचाने के लिए ग्रामीण इलाकों में चोरी छुपे पानी छोड़ा जाता था। उदाहरण के लिए फुनान काउंटी में स्थित वांगजा बांध से पानी छोड़े जाने पर अनहुई का मेंगवा क्षेत्र, जहां लगभग 2 लाख लोग रहते हैं, पूरी तरह जलमग्न हो गया।

पर ठहरिए, ऐसा बिलकुल भी मत सोचिएगा कि सीसीपी ये सब चोरी छुपे कर रही है। सच कहें तो सीसीपी को इस बारे में किसी प्रकार की ग्लानि नहीं है और उन्होने डंके की चोट पर अपने योजना का प्रचार किया है। चीनी मीडिया के अनुसार चीन में 100 फ़्लड स्टोरेज क्षेत्र यानि बाढ़ को रोकने हेतु चिन्हित क्षेत्रों के बारे में बात की है, जो नदी के निकट भी हैं और जो बाढ़ में जल्द ही जलमग्न हो सकते हैं।

चीन की यह कुटिल नीति 2012 से चली आ रही है। तत्कालीन स्टेट काउंसिल ने स्थानीय सरकारों को यह छूट दी थी कि वे जब चाहें तब इन फ़्लड स्टोरेज क्षेत्रों में पानी छोड़ सकते हैं। इसका मतलब स्पष्ट है – सीसीपी प्रशासन जब चाहे तब इन क्षेत्रों में पानी छोड़कर बड़े शहरों को बचा सकती है।

परंतु ये बेशर्मी केवल चीनी कम्युनिस्ट प्रशासन तक ही सीमित नहीं है। चीनी मीडिया ने तो सभी सीमाएं लांघते हुए इसे ग्रामीण परिवारों का बलिदान सिद्ध करने का प्रयास किया। एक टीवी एंकर ने तो यहाँ तक कहने की हिमाकत की कि “बाढ़ को स्टोर करने का अर्थ है अपने घरों में बाढ़ का पानी आने देना। अनहुई के लाखों लोगों के घर बाढ़ के पानी से जलमग्न हो चुके हैं।“ चाइना डेली ने तो यहाँ तक कह दिया कि चीन के गांववालों को अपने घर-बार का बलिदान देना ही पड़ेगा, तभी जाकर चीनी शहर बच पाएंगे। मानव जीवन का इससे घटिया उपहास उड़ाया जाना कहीं और देखा है आपने?

 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस बात को उजागर करने से इनकार किया है कि कितने लोग इस बाढ़ में मारे जा चुके हैं या फिर लापता हुए हैं और न ही उन्होने यह बताया कि कितने घर इस कृत्रिम बाढ़ में नष्ट हो गए। चूंकि, चीन की राजकीय मीडिया ही इकलौती स्त्रोत है इसलिए अल जज़ीरा जैसे वैश्विक मीडिया चैनल सिर्फ इतना ही बता पा रहे हैं कि हजारों की संख्या में लोगों को स्थानांतरित किया गया है। अनेकों गांवों को डुबाकर चीन ने अपनी क्रूरता का नग्न प्रदर्शन किया है।

चीन में जिस प्रकार की बाढ़ उत्पन्न हुई है, उससे ये फिर स्पष्ट हो जाता है कि एक कम्युनिस्ट सरकार किस प्रकार काम करती है – यहाँ मानव जीवन का कोई मोल नहीं है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद चीन अपने नागरिकों को बचाने में नाकाम है। हालांकि, हम भूल रहे हैं कि ये वही चीन है, जिसने अपने ही नागरिकों को वुहान वायरस की आग में भी झोंका और गलवान घाटी के असफल हमले में मारे गए अनेकों चीनी सैनिकों को सम्मानजनक विदाई तक नहीं मिलने दी।

 

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