राम जन्मभूमि मन्दिर के भूमि पूजन को प्रारम्भ होने में अब एक ही दिन शेष है, लेकिन इसे लेकर कांग्रेस के वर्तमान रुख को समझना टेढ़ी खीर है। एक ओर काँग्रेस, विशेषकर उसके चाटुकार नेता यह धारणा स्थापित करने में लगे हुए हैं कि राम मंदिर का पुनर्निर्माण भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है, और वे इसके रोकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। लेकिन कुछ कद्दावर नेता न केवल भूमि पूजन को उचित ठहरा रहे हैं, बल्कि इसका श्रेय भी कांग्रेस को ही दे रहे हैं।
जब यह तय हुआ था कि भूमि पूजन के लिए एक भव्य समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई अहम हस्तियाँ अयोध्या आएंगी, तो ये कांग्रेस ही थी, जिसने इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया था। सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के समय जवाहरलाल नेहरू की अनुपस्थिति का उदाहरण देते हुए सांसद हुसैन दलवाई ने कहा था कि नेहरू ने सोमनाथ मंदिर न जाकर धर्मनिरपेक्षता की रक्षा की थी और नरेंद्र मोदी ऐसा न करके देश की धर्मनिरपेक्षता को खतरे में डाल रहे हैं।
इतना ही नहीं, जब शिवसेना ने यह सुझाव दिया कि भूमि पूजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी हो सकती है, तो इसका पूरा पूरा समर्थन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने किया। उन्होंने कहा कि जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से काम हो सकता है, तो पीएम को स्वयं अयोध्या जाने की क्या आवश्यकता है?
लेकिन कांग्रेस के कई क्षेत्रीय नेता पार्टी हाइकमान की विचारधारा से पूर्णतया सहमत नहीं दिखाई दे रहे। शायद यही कारण है कि कुछ कांग्रेस नेता अपने आप को अधिक राम भक्त दिखाने पर तुले हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्यप्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह।
सर्वप्रथम आते हैं कमलनाथ, जिन्होंने न केवल श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण का समर्थन किया, बल्कि भूमि पूजन के दिन हनुमान चालीसा का पाठ कराने का भी निर्णय लिया। उन्होने हाल ही में ट्वीट किया, “प्रिय प्रदेश वासियों, मैं आप सभी की उन्नति एवं खुशहाली के लिए कल सुबह 11 बजे “हनुमान चालीसा” का पाठ करूंगा मेरा निवेदन है कि आप सब भी अपने अपने घर या नज़दीकी मंदिर जाकर प्रभु हनुमान जी की पूजा करें और मध्य प्रदेश की खुशहाली की कामना करें.. “राम लक्ष्मण जानकी, जय बोलो हनुमान की”।
https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1290223163591102465?s=20
इससे पहले जनाब ने यह भी ट्वीट किया था, “मैं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का स्वागत करता हूँ। देशवासियों को इसकी बहुत दिनों से अपेक्षा और आकांक्षा थी। राम मंदिर का निर्माण हर भारतवासी की सहमति से हो रहा है, ये सिर्फ भारत में ही संभव है”।
मै अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का स्वागत करता हूँ। देशवासियों को इसकी बहुत दिनों से अपेक्षा और आकांक्षा थी। राम मंदिर का निर्माण हर भारतवासी की सहमति से हो रहा है, ये सिर्फ़ भारत में ही संभव है।
—कमलनाथ pic.twitter.com/18RI3arOMs— MP Congress (@INCMP) July 31, 2020
अब ऐसे में दिग्विजय सिंह कैसे पीछे छूटते। उन्होंने तो राफेल प्लेन की भांति श्री राम मंदिर निर्माण का सेहरा भी काँग्रेस, विशेषकर नेहरू गांधी परिवार के सर बांधने का प्रयास करते हुए कहा, “श्री राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण की आधारशिला बहुत पहले ही रखी जा चुकी थी, और यह श्री राजीव गांधी के कारण ही संभव हुआ है। वे भी यही चाहते थे”।
#WATCH Foundation stone has already been laid, Rajiv Gandhi ji did it: Digvijaya Singh, Congress on being asked about Kamal Nath's statement that Rajiv Gandhi also wanted #RamTemple to be constructed pic.twitter.com/BvViPC2KSI
— ANI (@ANI) August 3, 2020
इसके अलावा छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने हाल ही में श्री राम का ननिहाल माना जाने वाले चन्दखुरी के लिए 16 करोड़ रूपए के सौंदर्यीकरण प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति भी दे दी है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या से 800 किलोमीटर दूर स्थित छतीसगढ़ के चंदखुरी के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव को भूपेश बघेल की सरकार द्वारा जल्द ही लागू करने की बात की गई है।
सच कहें तो कांग्रेस की हालत पर अब दया आती है। जिन लक्ष्यों को यथार्थ में न तब्दील करने देने के लिए उन्होने दशकों तक ज़मीन आसमान एक कर दिया था, अब वह सभी लक्ष्य एक-एक कर पूरे हो रहे हैं, चाहे वह अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधान हों, या फिर श्रीराम जन्मभूमि परिसर का पुनर्निर्माण सुनिश्चित कराना हो। अब इसका असर पार्टी पर भी पड़ने लगा है, जिसके कारण अब भूमि पूजन के विषय पर पार्टी में दो फाड़ होती दिखाई दे रही है।