महिला दंगाई का खुलासा, डीयू प्रोफेसर अपूर्वानंद और उमर खालिद दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड थे

DU में सफाई अभियान की आवश्यकता है

अपूर्वानंद

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में गुलफिशा उर्फ गुल को दिल्ली दंगों के सिलसिले में UAPA के तहत गिरफ्तार किया था। उसके बयान के आधार पर अब दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि दिल्ली दंगे की साजिश में एक प्रमुख नाम दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का भी है। साथ ही दिल्ली पुलिस को JNU के पूर्व छात्र एवं देशद्रोह के मुकदमे में नामदर्ज उमर खालिद की संलिप्तता के भी प्रमाण मिले हैं।

बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का नाम किसी आपराधिक साजिश में आया है। इससे पहले भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक हनी बाबू को NIA ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में ही उमर खालिद पर भी एक FIR दर्ज है। ऐसे में यह शक और पुख़्ता हो जाता है कि दिल्ली में शैक्षणिक गतिविधियों और मानवाधिकार संगठनों के नाम पर कार्य करने वाला एक ऐसा वर्ग है जो लगातार ऐसी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है जिससे देश का माहौल बिगड़े।

अपूर्वानंद के खिलाफ दिल्ली पुलिस को दिए बयान में गुलफिशा ने बताया कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने उससे कहा था कि दंगों की साजिश के लिए तैयार हो जाओ। प्रोफेसर ने महिलाओं को चिली पाउडर लाने को कहा था जिससे यदि पुलिस प्रदर्शन रोकने का प्रयास करती है तो इसे पुलिस पर फेंका जाए।

औरतों के दो whatsapp ग्रुप बनाए गए थे। औरतों का इंकलाब, वॉरियर, जिसमें दंगों की योजना बनाई जाती थी। आरोपी महिला ने बताया कि वह मुस्लिम बस्तियों में जाकर वहां लोगों को CAA-NRC पर ऐसे भड़काऊ बयान देती थी, कि लोग स्वयं धरना स्थल पर चले आते थे।

इनकी योजना थी कि अधिक से अधिक महिलाओं को प्रदर्शन से जोड़ा जाए जिससे यदि पुलिस बलप्रयोग भी करना चाहे तो माहौल बिगड़ जाए, जिसका इन्हें ही फायदा मिलता।

गुलफिशा के संबंध पिंजरा तोड़ संगठन से भी थे। इस संगठन के माध्यम से वह प्रोफेसर अपूर्वानंद एवं राहुल रॉय से मिली थी। राहुल ने इसकी मुलाकात उमर खालिद से करवाई, जो इसे आंदोलन के दौरान धन मुहैया करवाता था। आरोप महिला ने बताया है कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने उससे कहा था कि दंगे करवाकर वे भारत की छवि खराब कर सकते हैं और मोदी सरकार को घुटनों पर ला सकते हैं। इनकी योजना भारत में बगावत जैसा माहौल तैयार करने की थी।

आरोपी महिला ने बताया कि जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के साथ मिलकर इसने धरने के लिए जगह की तलाश की। सीलमपुर में इन्हें ऐसी जगह मिल गई जहाँ 24 घंटे धरना दिया जा सकता है। इस इलाके में इन्हें विशेष दिक्कत नहीं होती क्योंकि यह मुस्लिम बाहुल इलाका है। 5 जनवरी को सीलमपुर फल मंडी में धरना शुरू हुआ।

बयान में यह बात स्पष्ट होकर सामने आई है कि उमर खालिद, जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी, पिजड़ा तोड़, पी एफ आई, उत्तरपूर्वी दिल्ली के बड़े मुस्लिम नेताओं सहित विश्वविद्यालयों में कार्यरत लोग इस पूरी साजिश में शामिल थे। इससे पहले इसके पूर्व ताहिर हुसैन ने भी उमर को लेकर कहा था कि उसने उमर खालिद, पी एफ आई आदि के साथ मिलकर हिंदुओं को सबक सिखाने की योजना बनाई थी। शिवविहार इलाके में हुए दंगों में भी इन्हीं संगठनों का नाम सामने आया था।

इतना ही नहीं पुलिस को दिए बयान में गुलफिशा ने बताया कि इन सब ने साजिशन महिलाओं को इकट्ठा करके जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास चक्का जाम किया जिससे हिंदुओं को आने जाने में दिक्कत हो और वो विरोध करें। इनकी योजना कामयाब रही और जैसे ही हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन किया मामला बिगड़ गया।

जिस आंदोलन को संवैधानिक अधिकारों के नाम पर जायज़ ठहराया जा रहा था वह अब अपने असली स्वरूप में सामने आ रहा है। पुलिस की जांच में एक पूरे nexus का खुलासा हो रहा है, जो लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा है।

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