“कुछ भी हो जाए, अमेरिकी सैनिकों पर गोली मत चलाना”, गलवान के बाद CCP का PLA से विश्वास उठ गया है

चीन को हुआ अहसास- हमारी सेना अमेरिका से मुक़ाबला करने के लिए तैयार नहीं

चीन

(pc -patrika )

चीन और अमेरिका के बीच दक्षिणी चीन सागर में बढ़ते तनाव के बीच चीन ने अपनी सेना को यह आदेश दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति में अमेरिका की सेना पर पहली गोली नहीं चलाएंगे। ये आदेश तब आया है जब अमेरिका लगातार अपने सहयोगियों के समर्थन में दक्षिणी चीन सागर में सैन्य अभ्यास करके चीन को अपनी ताकत दिखा रहा है। अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर USS Nimitz और USS Ronald Reagan दक्षिण चीन सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक युद्धाभ्यास कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने भारत के साथ भी युद्धाभ्यास किया, जो एक ऐसे समय में हुआ है जब चीन और भारत के बीच LAC पर तनाव  बरकरार है।

साफ है कि अमेरिका चीन को अपनी ताकत का अहसास कराना चाहता है और लगता है कि चीन को भी अब उसकी सैन्य क्षमताओं का सही अनुमान हो गया है। यही कारण है कि CCP ने चीन की नौसेना और वायुसेना को सख्त हिदायत दी है कि वे ऐसा कोई कदम न उठाए जिससे हालात बिगड़ें।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनो देशों के रक्षा मंत्रियों ने एक सप्ताह पूर्व इस मामले पर आपस में चर्चा भी की है। महत्वपूर्ण यह है कि एक माह पहले अमेरिका ने China से संपर्क करने की कोशिश की थी जिससे क्षेत्र में तनाव को घटाया जा सके। अमेरिका के प्रस्ताव पर china ने अपना ठंडा रुख बरकरार रखते हुए, दक्षिणी चीन सागर में अपनी आक्रामकता जारी रखी। अतः अमेरिका ने भी तनाव के बढ़ते रहने के कारण अपने युद्धपोत चीन के नजदीक भेजकर उसे साफ संदेश दे दिया। अब 1 महीने बाद china ही अपनी ओर से तनाव कम करने के प्रयास शुरू किए हैं।

वैसे तो China ने अमेरिका के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर को कागजी शेर कहा था लेकिन एक खबर के मुताबिक China की सेना, PLA, इस बात से चिंतित है कि कहीं हालात बिगड़ न जाए। हालांकि,चीन ने अमेरिका से कहा है कि वे ऐसा गुडविल के लिए कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि china जानता है कि उसकी सेना अमेरिका का मुकाबला करने में असमर्थ है।

हाल फिलहाल में अनेक मोर्चों पर मिली असफलता और अपने आर्थिक हितों पर लगातार हो रहे प्रहार के कारण China के राजदूतों की भाषा में भी अब नरमी आ गई है। भारत की ही बात करें तो अब सीमा विवाद के मुद्दे पर भारत के सख्त रुख के बाद अब China सिर्फ अपनी इज्जत बचाकर निकलना चाहता है। यही कारण है कि अब वहां का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स भी भारत विरोधी टिप्पणियों से बच रहा है।

वास्तव में चीनी सरकार जानती है China की सेना को युद्ध का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने इतिहास में भी जो महत्वपूर्ण युध्द लड़ें हैं उनमें पराजित ही हुए हैं। सिर्फ 1962 के एक भारत-चीन युध्द के अतिरिक्त चीन को कहीं सफलता नहीं मिली है। वो युध्द भी China ने अपनी क्षमता से नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के गलत नेतृत्व के कारण जीत पाया था।

लेकिन आज परिस्थितियां बहुत दूसरी हैं। गलवान की घटना के बाद China को अपनी सैन्य क्षमताओं को लेकर जो थोड़े बहुत भ्रम थे, वो भी दूर हो गए हैं। हाल ही में जापान ने भी विवादित क्षेत्रों में घुसपैठ के कारण China को चेतावनी दी है।

वहीं अमेरिका की बात करें तो उसकी सेना ने वर्तमान समय में किसी भी अन्य सेना से अधिक युध्द लड़े हैं। अमेरिका लगातार China  पर वैसे ही दबाव बनाए हुए है,उनकी योजना है कि चीन में कम्युनिस्ट शासन को किसी भी तरह खत्म किया जाए। ऐसे में चीन की कम्युनिस्ट सरकार जानती है कि अमेरिका और China के बीच एक भी गोली का चलना वास्तव में उनके शासन का अंत करवा सकता है।

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