एक वंशवादी को दूसरे वंशवादी का साथ: आदित्य के लिए शिवसेना अब राहुल गांधी के समर्थन में उतर गयी है

अभी संजय राउत से बड़ा राहुल गांधी का कोई आराध्य नहीं

शिवसेना

वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में पार्टी नेतृत्व में बदलाव और सुधार की मांग की थी। इस पत्र को गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ बगावत के रूप में देखा गया और इसके बाद पार्टी में घमासान शुरू हो गया था। इस पूरे विवाद के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना में गांधी परिवार के नेतृत्व की प्रशंसा की है।

महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना की ओर से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा है, यदि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे तो कांग्रेस विलुप्त हो जाएगी। अपने लेख में संजय राउत ने गांधी परिवार को कांग्रेस का आधार कार्ड कहते हुए इस बात की वकालत की है कि गांधी परिवार के अतिरिक्त कोई भी ऐसा नहीं है जो कांग्रेस को एकजुट रख सके।

उन्होंने सामना में लिखा है “जिन लोगों ने पत्र लिखा है, वे 70 वर्ष की आयु तक पहुंच रहे हैं और उनमें से कोई भी एक जन-नेता नहीं है। अकेले देश या राज्य-स्तर पर यहां तक ​​की जिला-स्तर पर भी नहीं। इसके बावजूद उनमें से ज्यादातर ने मुख्यमंत्री पद, केंद्रीय मंत्री और कई अन्य महत्वपूर्ण पदों का आनंद लिया है। पी चिदंबरम एक प्रख्यात वकील हैं, लेकिन वे कब से जन-नेता बन गए … हम पृथ्वीराज चव्हाण और मिलिंद देवड़ा के बारे में क्या कहते हैं?  पृथ्वीराज चव्हाण को सतारा में चुनाव जीतने के लिए शरद पवार के नेतृत्व की मदद लेनी होती है। यह हास्यास्पद है कि ऐसे लोगों ने कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व की मांग की है।”

संजय राउत ने राहुल गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताते हुए कहा कि केवल उन में ही मोदी और शाह की जोड़ी से टकराने का सामर्थ्य है। साथ ही पुराने कांग्रेसी नेताओं की राहुल गांधी के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाते हुए संजय राउत ने लिखा “राहुल गाँधी सक्रिय थे और उन्होंने मोदी-शाह की जोड़ी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने विधानसभा चुनाव में देश में बदलाव का नेतृत्व किया। ये सक्रिय पत्र-लेखन के चैंपियन कहाँ थे, जब भाजपा ने उन पर निचले स्तर के हमले किये? पुराने कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी को मोदी शाह के हमलों के बजाए अधिक हतोत्साहित किया है।”

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण लग सकता है कि बाला साहब ठाकरे की पार्टी का एक वरिष्ठ नेता गांधी परिवार के नेतृत्व के प्रति ऐसी निष्ठा व्यक्त कर रहा है, किंतु यह दुर्भाग्यपूर्ण ना होकर एक स्वाभाविक सी बात है। शिवसेना खुद परिवारवाद की राजनीति पर आधारित एक पार्टी है ऐसे में गांधी परिवार के नेतृत्व पर विश्वास जताकर संजय राउत ने राहुल गांधी के बजाय आदित्य ठाकरे के लिए रास्ता आसान किया है। यह सभी जानते हैं कि आदित्य ठाकरे शिवसेना के राहुल गांधी साबित हो रहे हैं, ऐसे में संजय राउत का बयान कांग्रेसी नेताओं के साथ शिवसैनिकों को भी एक संदेश है।

दूसरी बात यह है कि कांग्रेस में जब तक गांधी परिवार मजबूत है कांग्रेस राजनीति में पुनर्जीवित नहीं हो सकती। केंद्र में कांग्रेस का कमजोर रहना क्षेत्रीय दलों का लिए एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि एक कमजोर कांग्रेस उनके लिए अधिक राजनीतिक अवसर पैदा करती है। महाराष्ट्र में चल रही सरकार इसका उदाहरण है, जहां कांग्रेस को दो क्षेत्रीय दलों के अधीनस्थ के रूप में कार्य करना पड़ रहा है। यदि कांग्रेस का संगठन पुनर्जीवित हुआ तो राज्य स्तर पर भी क्षेत्रीय दलों को चुनौती का सामना करना पड़ेगा और शिवसेना किसी भी स्थिति में ऐसा नहीं चाहेगी।

यही कारण है कि संजय रावत और शिवसेना, राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसा विश्वास व्यक्त कर रहे हैं। अपनी इस नीति के द्वारा शिवसेना, अपनी पार्टी के परिवारवाद को तो जायज ठहरा ही सकती है, साथ ही गांधी परिवार की विश्वसनीय बनकर अधिक लाभ भी पा सकती है।

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