पहले ताइवान और अब Senkaku द्वीप, कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सेना के बीच मतभेद बढ़ता ही जा रहा है

बिना PLA के युद्ध लड़ पाएगी CCP?

PLA

वैश्विक स्तर पर बढ़ते दबाव और चीन के खिलाफ माहौल के कारण चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और चीन की ताकतवर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रिश्ते में खटास आ चुकी है जो जल्द ही एक बड़े दरार में भी बदल सकता है। एक नए मामले में चीन की सरकार ने चीन के मछुआरों पर जापानी जल क्षेत्र में जाने से बैन हटा लिया है तो वहीं कोस्ट गार्ड उन्हें जापानी जल क्षेत्र में न जाने की हिदायत दे रहे हैं।

दरअसल, चीन की सरकार द्वारा चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर लगाया गया प्रतिबंध 16 अगस्त को समाप्त हो गया था जिसके बाद कई मछुआरे सेंकाकु द्वीप के पास जापानी जल क्षेत्र में प्रवेश करने की आशंका थी। चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने इस मामले पर दोबारा किसी प्रकार का एक्शन या प्रतिबंध नहीं लगाया जिससे जापान के साथ रिश्ते और बिगड़ सकते थे। अब रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए मछ्ली पकड़ने वाली नौकाओं को 30 नॉटिकल मील तक जापानी जल क्षेत्र में न जाने का आदेश दिया है।

बता दें कि इन मछुआरों को कोई और नहीं बल्कि PLA नियंत्रित करता है। इस तरह से देखा जाए तो CCP और PLA दोनों सेंकाकु द्वीप को लेकर दो राह पर दिखाई दे रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है जब चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और PLA में फूट देखने को मिली हो। कुछ दिनों पहले ही PLA के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने CCP की विदेश नीति की जमकर आलोचना की थी और चीन की आक्रामक कूटनीति को आत्मघाती बताया। इसके बाद TFI ने अनुमान लगाया था कि PLA और चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच सब कुछ सही नहीं है। Wion न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में PLA के दो विशेषज्ञों, रिटायर्ड जनरल Qiao Liang और जनरल Dai Xu ने शी जिनपिंग के नेतृत्व पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि शी जिनपिंग की विदेश नीति हमारे दोस्तों को ही हमारे खिलाफ कर रही है।

जनरल Qiao Liang ने कहा, चीन का मकसद ताइवान को खुद में मिलाना नहीं है, बल्कि सभी 1.4 अरब चीनी नागरिकों को खुश रखना है। लेकिन क्या आज ताइवान को चीन में मिलाकर ऐसा किया जा सकता है? बिलकुल नहीं! अगर चीन को ताइवान पर कब्जा करना है, तो चीन को सारी सेना को ताइवान पर चढ़ाई करनी होगी। हमें इतना बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहिए

इसी प्रकार जनरल Dai Xu ने कहा, अमेरिका पर आपके द्वारा लगाए गए 30 अरब डॉलर  के प्रतिबंध से आपको खुद 60 से 90 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचेगा। अमेरिका हमसे बहुत ताकतवर है। हमें गुस्से से नहीं, समझदारी से लड़ना चाहिए।

इससे पहले जून महीने में चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के विद्रोही नेता और कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता के पुत्र जियानली यांग ने वाशिंगटन पोस्ट के लिए लिखे एक लेख में एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि चीन द्वारा गलवान घाटी की सच्चाई न बताना वर्तमान प्रशासन के लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकता है। जियानली यांग ने लिखा था- सेवानिर्वृत्त और घायल पीएलए सैनिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विरुद्ध विद्रोह पर उतर सकते हैं। सीसीपी नेतृत्व को इन पूर्व सैनिकों की क्षमता को नज़रअंदाज़ करने की भूल बिलकुल नहीं करनी चाहिए क्योंकि यदि स्थिति नियंत्रण में नहीं रही, तो ये पूर्व सैनिक मिलकर सीसीपी के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध छेड़ने में भी सक्षम हैं।

इन घटनाओं के सामने आने के बाद अब यह दावा और मजबूत हो गया है कि चीन की सीसीपी और पीएलए के बीच द्वंद्व शुरू हो चुका है।

वास्तविकता देखी जाए तो शी जिनपिंग की Wolf Warrior विदेश नीति से अगर किसी को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, तो वह PLA ही है। जिनपिंग की आक्रामक विदेश नीति के कारण हाल ही में रूस ने PLA को एस400 की सप्लाई देने में देरी करने का फैसला किया है, जिस कारण PLA को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इसके अलावा भारत सरकार PLA से जुड़ी 6 बड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है, जिनमें Alibaba और Huawei जैसी दिग्गज कंपनियाँ शामिल हैं। इतना ही नहीं, चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की नीतियों के कारण ही लद्दाख में PLA को अपने सैनिक गँवाने पड़े, जिन्हें राजकीय सम्मान देने से भी मना कर दिया गया। CCP दुनिया के सामने अपने आप को कमजोर नहीं दिखाना चाहती चाहे उसके लिए उसे कुछ भी क्यों न करना पड़े। परंतु PLA अपनी सीमित शक्ति और संसाधनों को भली भांति समझती है और इस तरह की नीतियों से लगातार नुकसान झेल रही है। यही कारण है अब PLA और चीन कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) में दरार देखने को मिल रही है। अगर शी जिनपिंग इसी तरह से शक्ति प्रदर्शन करते रहे और PLA को नाराज करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब PLA और CCP के बीच यह दरार इतनी बढ़ जाएगी कि उसको पाटना नामुमकिन हो जाएगा।

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