“दफ़ा हो जाओ और कश्मीर मुद्दा दोबारा मत लाना”, पाकिस्तान और चीन को UNSC ने दुलत्ती मार कर भगाया

ऐसी घनघोर बेइज्जती! वाह भाई वाह!

पाकिस्तान

चीन और पाकिस्तान में कितनी गहरी दोस्ती है, यह सिद्ध करने के लिए किसी विशेष शोध की कोई आवश्यकता नहीं। सोमवार को एक बार फिर पाकिस्तान के कहने पर चीन ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाने का प्रयास किया था। परंतु यहाँ भी चीन को मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि दुनिया का कोई भी अन्य देश चीन की दलीलें सुनने को तैयार तक नहीं था। 

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति के ट्वीट के अनुसार, “पाकिस्तान की एक और कोशिश असफल रही। आज यूएन सुरक्षा परिषद की बैठक अनौपचारिक थी और बंद कमरों में हुई, परंतु निष्कर्ष कुछ नहीं निकला। सभी देशों का मानना था कि जम्मू-कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसके लिए सुरक्षा परिषद को अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए”।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने की वर्षगांठ पर पाकिस्तान ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की चाल चली थी। पाकिस्तान के कहने पर ही चीन ने इस मुद्दे को उठाया था। अमेरिका ने बैठक का प्रारम्भ किया ही था कि चीन ज़बरदस्ती कश्मीर का मुद्दा उठाने लगा। परन्तु चीन की यह हरकत बैठक में उपस्थित यूके, जर्मनी, डोमिनिकन रिपब्लिक, वियतनाम, इन्डोनेशिया, फ्रांस, बेल्जियम जैसे देशों को नागवार गुज़रा और उन्होंने चीन के कदम का पुरजोर विरोध किया। 

सूत्रों की माने तो कुछ लोगों ने यहाँ तक कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का आपसी मुद्दा है, जो बातचीत के जरिये सुलझाया जा सकता है। कुछ ने शिमला समझौते की दुहाई देते सुरक्षा परिषद को इस मामले में हस्तक्षेप न करने तक की सलाह दी। तिरुमूर्ति ने यह भी बताया कि यूएन के वर्तमान प्रमुख एंटोनिओ गुटेर्रेस ने पिछले वर्ष स्पष्ट कहा था कि शिमला समझौते को ध्यान में रखते हुए यूएन किसी भी स्थिति में इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

यह पहली बार नहीं है कि चीन ने यूएन सुरक्षा परिषद में चर्चा के नाम पर तिल का ताड़ बनाने का प्रयास किया हो। जनवरी में भी पाकिस्तान की पैरवी करते हुए चीन ने कुछ ऐसा ही प्रयास किया था। वह चाहता था कि इसपर चर्चा हो और यूएन हस्तक्षेप करे, परंतु जनवरी की भांति ही चीन को इस मुद्दे पर शांत रहने को कहा गया, और चीनी प्रशासन की यहाँ एक नहीं चली। चीन पाकिस्तान के अनाधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर किनारे करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। एक बार फिर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कराये जाने पर चीन ने इसे अवैध और अनुचित करार दिया। इसके साथ ही कहा हम भारत पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।

इसपर विदेश मंत्रालय ने तब जोरदार जवाब देते हुए कहा कि चीन को कोई अधिकार नहीं बनता कि वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों पर अपना मत रखे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, “हमने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के कश्मीर पर दिये बयान को सुना है। चीन का इस विषय पर अपना मत देने का कोई अधिकार नहीं है। कृपया वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें!”

फिर भी चीन भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के अपने प्रयासों से बाज नहीं आ रहा। परन्तु इस बार भी उसे जोरदार फटकार मिली है।

जहां एक ओर भारत वैश्विक समुदाय में एक भरोसेमंद मित्र के तौर पर उभर रहा है, तो वहीं पाकिस्तान और चीन जैसे देश वैश्विक समुदाय के लिए बहुत बड़े खतरे के तौर पर उभर रहे हैं। पिछले 6 महीने में चीन ने अपने असली रंग दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन इस बार यूएन में कोई उसकी दलीलें सुनने को तैयार नहीं है।  

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