आखिरकार, कई शताब्दियों बाद अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि परिसर का पुनर्निर्माण प्रारम्भ हो गया है। इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत अयोध्या पहुंचे थे। पीएम मोदी ने भूमि पूजन समारोह में शिलान्यास की पहली ईंट रखकर श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण को प्रारम्भ किया।
लेकिन, जहां एक तरफ पूरे भारत में हर्षोल्लास का वातावरण है, तो वहीं वामपंथी गुटों, खासकर वैश्विक मीडिया के वामपंथी गुटों में मातम छाया हुआ है। कुछ लोगों ने तो टाइम्स स्क्वेयर पर श्रीराम जन्मभूमि के चित्रों के सजीव प्रदर्शन को रोकने के लिए भी सारे हथकंडे अपनाए लेकिन उनके प्रयास व्यर्थ रहे। भारत के मुसलमानों ने भी इस मौके को खुली बाहों से स्वीकारा लेकिन अधिकतर वैश्विक मीडिया पोर्टल्स इसे सेक्युलरिज्म के लिए खतरा बताता रहे।
भारत को वैश्विक स्तर पर अपमानित करने के इस अभियान में सबसे आगे रहा वाशिंगटन पोस्ट। वाशिंगटन पोस्ट ने अपने लेख में लिखा कि, “भारत मुस्लिमों के अपमान का त्योहार मना रहा है”। और तो और इस लेख को ट्विट्टर पर शेयर किया लिबरल राणा अय्यूब ने और लिखा कि, “भारत के मुसलमानों के लिए 5 अगस्त एक बार फिर से एक मनहूस तारीख की तरह होगी, क्योंकि कश्मीर में लागू दमनकारी नीतियों के साथ साथ अयोध्या में उसी जगह पर एक भव्य समारोह आयोजित कराया गया, जहां पर 1992 में दमनकारी ताकतों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था”।
Aug. 5 will become another infamous date for Muslims in India — a day of increased repression in Kashmir, with the added insult of a grand function in the city of Ayodhya, where the Babri mosque’s destruction led to a nationwide attack on Muslims in 1992.https://t.co/bwguldl8Y5
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) August 5, 2020
मिडिल ईस्ट के प्रमुख न्यूज़ पोर्टल्स में से एक अल जज़ीरा भी श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण से काफी भयभीत दिखाई दिया। अल जज़ीरा ने एक के बाद एक कई लेख छापे, जिससे इस पोर्टल की कुंठा और भय दोनों स्पष्ट दिखाई देते हैं। एक लेख का शीर्षक है- “एक ओर मोदी राम मंदिर का पुनर्निर्माण प्रारम्भ करता है, तो दूसरी ओर भारत की पुरानी छवि के धूमिल होने का खतरा भी बढ़ता है’। इस लेख में श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण को भारत के सेक्यूलरिज़्म के लिए खतरा बताया जा रहा है। तो वहीं, दूसरे लेख का शीर्षक है- “भारतीय प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के लिए ध्वस्त मस्जिद की भूमि पर किया शिलान्यास”। यहाँ उन्होने पीएम मोदी द्वारा किए भूमि पूजन समारोह का उपहास उड़ाने का प्रयास किया है।
इसके अलावा सीएनएन ने भी पीएम मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन पर तंज़ कसते हुए लेख लिखा, जिसका शीर्षक था “पीएम मोदी ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद भी किया श्रीरामजन्मभूमि परिसर के निर्माण का शुभारंभ”। सीएनएन के लेख के अनुसार, भूमि पूजन कार्यक्रम ऐसे समय हो हुआ, जब भारत में लगातार पांच दिनों से 50 हजार से ज्यादा संक्रमण के नए मामले आ रहे हैं। लेकिन एकतरफा खबरों से प्यार करने वाला सीएनएन, भारत के घटते मृत्यु दर और सुधरते हालात के बारे में कुछ नहीं लिखेगा।
अब ऐसे में भला द गार्जियन कैसे पीछे रहता? हालांकि, अपने पिछले लेखों के मुक़ाबले इस बार, द गार्जियन ने अपनी भाषा में काफी संयम बरतते हुए निष्पक्ष दिखने का प्रयास किया, लेकिन वह भी अपना एजेंडा न छुपा पाया। द गार्जियन के लेख के अनुसार, “अयोध्या में दिवाली तीन महीने पहले ही आ गई है। शहर में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही। भगवान राम हिंदुओं में सबसे ज्यादा पूजनीय हैं। उनका मंदिर बनना बहुत से हिंदुओं के लिए गर्व का क्षण है। लेकिन, भारतीय मुसलमानों के मन में दो तरह की भावनाएं हैं। एक तो उनकी मस्जिद के जाने का दु:ख है जो 400 सालों से वहां खड़ी थी। दूसरा- उन्होंने मंदिर निर्माण पर अपनी मौन सहमति भी दे दी है।
हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि वैश्विक मीडिया का वामपंथी गुट इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में निर्णय सुनाये जाने पर भी इस प्रकार का ज़हर उगल चुका है। ऐसे में इन पोर्टल्स से ऐसे लेख न लिखे जाने की आशा करना भी हास्यास्पद ही होता। लेकिन शायद ये पोर्टल भूल चुके हैं कि यह अब पहले वाला भारत नहीं रहा, जो किसी भी देश की धमकियाँ के बाद अपना सर झुका लेता था। जैसे पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा है, भारत अब ऐसी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, जो मित्रों के लिए सबसे भरोसेमंद तो वहीँ शत्रुओं के लिए ‘भय बिनु होई न प्रीति’ जैसी नीति का अनुसरण करता है।